Australia Ban India Students Conference: हर साल की तरह इस साल भी ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में यूरोपियन जियोसाइंसेस यूनियन की एक कॉन्फ्रेंस आयोजित होने वाली है। जनरल असेंबली के नाम से फेमस सालाना तौर पर होने वाली इस कॉन्फ्रेंस में जलवायु परिवर्तन, जियोलॉजिकल साइंसेज, जल संसाधन, और विज्ञान जैसे क्षेत्रों से जुड़े दुनिया भर से हजारों रिसर्च स्कॉलर जुड़ते हैं।
भारत में भी आईआईएससी, आईआईटी, और एनआईटी जैसे जानेमाने इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले छात्र भी इस कॉन्फ्रेंस का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। प्रति वर्ष यदि
तकरीबन 400 भारतीय छात्र-छात्राएं इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेते हैं लेकिन इस बार भारतीय छात्रों के इस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने पर ऑस्ट्रिया ने प्रतिबंध लगा दिया है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है भारत में लगी करोना वैक्सीन।
यूरोपीय संघ में शामिल ऑस्ट्रिया के अनुसार कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले किसी भी व्यक्ति को देश में दाखिल होने की अनुमति तो है, लेकिन उसे वहां पर ठहरने या किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं है। ऑस्ट्रिया ने इसके पीछे यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी का हवाला दे दिया है।
यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने यूरोपीय संघ के देशों में कोरोना की सिर्फ पांच वैक्सीन को ही मान्यता दी है। इसमें फ़ाइजर बायोनटेक, ऑक्सफ़र्ड एस्ट्राज़ेनेका, नोवावैक्स, जॉनसन एंड जॉनसन और मॉडर्ना शामिल है। यानी जिन जिन लोगों इस वैक्सीन का डोज लिया है, उन्हें ही इन देशों में ठहरने की अनुमति हैं।
यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने इस लिस्ट में भारत में बनी कोवैक्सीन और कोविशील्ड को जगह नहीं दी है।
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ग़ौरतलब बात ये है कि इस लिस्ट में ऑक्सफ़र्ड एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सजेवरिया को किया गया शामिल है लेकिन कोविशील्ड को लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। जबकि कोविशील्ड भी ब्रिटेन-स्वीडन की फार्मा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से ही बनाईं गई है।
यहां पर फ़र्क सिर्फ इतना ही है कि कोविशील्ड उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट करता है। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि वैक्सीन एक लेकिन नियम क्यों अलग। भारत के साथ वैक्सीन को लेकर क्यों भेदभाव हो रहा है जबकि कोविशील्ड को WHO से मान्यता प्राप्त हुई है।
भारत में टोटल नौ कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी गई है। देश में टीकाकरण के लिए केवल तीन वैक्सीन का ही इस्तेमाल किया गया है जिसमें कोविशील्ड, भारतीय फर्म भारत बायोटेक की बनाई कोवैक्सीन और रूस की स्पुतनिक-वी भी शामिल हैं। भारत में 85 प्रतिशत से अधिक लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन का डोज ही दिया गया है। इसका अर्थ यह होता है कि भारत के लोग ऑस्ट्रिया में एंट्री ले सकते हैं लेकिन वहां किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले सकते हैं।
ये शर्तें ना सिर्फ भारतीय छात्रों बल्कि उन सभी भारतीयों पर लागू की गई हैं जिनके परिवार ऑस्ट्रिया में रहते हैं। ऐसे परिवार भी भारतीय वैक्सीन के कारण एकदूसरे से नहीं मिल सकते हैं।
जो बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के सेंटर फ़ॉर एटमॉस्फे़रिक एंड ओशिएन साइंसेज से पीएचडी कर रही प्रियांशी मॉनसून पर रिसर्च कर रही हैं।
प्रियांशी ने जनवरी में यूरोपियन जियोसाइंसेस यूनियन की कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए आवेदन किया था और स्वीकृति मिलने के बाद 23 से 27 मई को होने वाली इस कॉन्फ्रेंस की तैयारियों में जुट गईं।. इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के उन्होंने क़रीब 25 हजार रुपये का भुगतान भी किया लेकिन अब उन्हें इंफोर्म किया गया कि वे इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा नहीं ले सकतीं हैं। इस कॉन्फ्रेंस में रजिस्ट्रेशन की लास्ट डेट 14 अप्रैल थी।
बीबीसी से बातचीत में प्रियांशी ने बताया कि पीएचडी पीएचडी के बाद पोस्टडॉक करने के लिए उसे विदेश जाना है जिसके लिए नेटवर्किंग की आवश्यकता होती। ये कॉन्फ्रेंस उनके लिए बहुत ही मायने रखती है।
प्रियांशी ने जब यूरोपियन जियोसाइंसेस यूनियन की वेबसाइट रजिस्ट्रेशन किया था तब उन्हें ऐसी कोई भी जानकारी नहीं दी गई थी कि जिन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई है उन्हें आस्ट्रिया में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रियांशी का कहना है कि उन्हें 7 अप्रैल को इस बारे में जानकारी दी गई, जो ग़लत है।
Australia Ban India Students Conference, प्रियांशी की तरह ही शुभम गोस्वामी ने भी इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने की तैयारियां की थी । बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस में डिपार्टमेंट ऑफ़ सिविल इंजीनियरिंग के छात्र शुभम को कॉन्फ्रेंस में ग्राउंड वॉटर रिचार्ज पर एक पेपर प्रेजेंट करना था।
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Australia Ban India Students Conference, कोविशील्ड वैक्सीन के चलते कॉन्फ्रेंस में एंट्री नहीं मिलने पर आईआईटी खड़गपुर की एक छात्रा ने यूरोपियन जियोसाइंसेस यूनियन को मेल किया था।
यूरोपियन जियोसाइंसेस यूनियन ने जवाब में कहा, “ये बहुत बड़ा कार्यक्रम है और ऑस्ट्रिया अथॉरिटी के कोविड नियमों का पालन करना भी अनिवार्य है। आपने कोविशील्ड वैक्सीन की डबल डोज ली है तो अगर आप कोविशील्ड की बूस्टर डोज भी लेते हैं तब भी आपको इस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने की परमिशन नहीं दी जा सकती। हम रजिस्ट्रेशन में फिस वापस लौटाने के लिए रेडी हैं।”
Australia Ban India Students Conference, हालांकि छात्र कहते है कि, ” जब भारत में मॉडर्ना,फ़्इजर, ऑक्सफ़र्ड एस्ट्राज़ेनेका जैसी वैक्सीन लगती ही नहीं तो फिर कहां से लगवाएंगे?” अब इस प्रकार के नियमों से भारतीय छात्र परेशान हैं।