Assistant Professor: कहते हैं सफलता का कोई पैमाना नहीं होता लेकिन मेहनत और लगन से सफलता प्राप्त की जा सकती है । कितने ही लोगों ने अपनी किस्मत कठिन मेहनत और लगन के बूते बदल डाली है अब उन्ही में से एक नाम और शामिल है- कमल किशोर मंडल उर्फ के के मंडल। कमल किशोर ने अपनी लगन के दम पर अपनी किस्मत न सिर्फ बदली बल्कि ऊंचा मुकाम भी हासिल किया है ।
गार्ड की नौकरी से लेकर चपरासी तक की नौकरी करने वाले कमल किशोर मंडल को भागलपुर के तिलकामांझी विश्वविद्यालय में अंबेडकर विचार विभाग में Assistant Professor के तौर पर नियुक्त किया गया है । कमल किशोर इसी विश्वविद्यालय में चपरासी की नौकरी करते हुए Assistant Professor के पद तक पहुंचे हैं । हालांकि उनकी नियुक्ति पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं और विवि एक कमेटी गठित कर जांच कर रहा है कि कमल किशोर ने नौकरी करते हुए Assistant Professor के बनने के लिए पढ़ाई कब की ।
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बिहार के भागलपुर के मुंदीचक इलाके के रहने वाले कमल किशोर एक गरीब घर से आते हैं । पिता गोपाल मंडल चाय बिस्कुट बेचते हैं तो वहीं उनके चार बेटों में कमल किशोर दूसरे नम्बर के बेटे हैं । 2003 में आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से कमल किशोर ने मुंगेर के आरडी एंड डीजे कालेज में गार्ड की नौकरी कर ली ।
गार्ड के रूप में नाईट ड्यूटी करने वाले कमल किशोर की उम्र तब 23 वर्ष थी । वहीं उनकी जिंदगी तब बदली जब नाईट गार्ड की डयूटी करते 1 महीने के भीतर ही उनकी नौकरी भागलपुर के तिलकामांझी विवि के अंबेडकर विचार विभाग में दरबान के रूप में लग गयी । उस वक्त डॉ कमल किशोर मंडल ने राजनीति विज्ञान से स्नातक की पढ़ाई की थी ।
भागलपुर के तिलकामांझी विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के अंबेडकर विचार एवं सामाजिक कार्य विभाग में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया । 2008 में उनके पद को चपरासी के रूप में पदोन्नत किया गया । दरबान(चपरासी) के पद पर नौकरी करने वाले कमल किशोर ने पढ़ाई जारी रखी । 42 वर्षीय कमल किशोर विश्वविद्यालय में चपरासी रहते हुए छात्रों और शिक्षकों को देखते थे जिसके बाद उन्हें भी पढ़ाई करने का ख्याल आया और फिर उन्होंने चपरासी रहते हुए स्नातकोत्तर पूरा किया । इसके बाद उन्होंने पीएचडी करने की अनुमति विश्वविद्यालय से मांगी।
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2009 में अनुमति मांगने पर विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें 2012 में पीएचडी करने की अनुमति प्रदान करने की अनुमति प्रदान की गई । इस बीच कमल किशोर सुबह क्लासेस अटेंड करते तो वहीं दोपहर में चपरासी की डयूटी पूरी करते जबकि रात में क्लासेस में पढ़ाये गए मैटर का रिवीजन करते । 2013 में कमल किशोर ने पीएचडी के लिए नामांकन भरा और 2017 में थीसिस लिखकर जमा की । वहीं उन्हें 2019 में पीएचडी की डिग्री से सम्मानित किया गया । इस बीच 2018 मे उन्होंने व्याख्यान के लिए नेट( राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) पास की ।
तिलकामांझी भागलपुर विवि में साल 2020 में सहायक प्रोफेसर के 4 पदों के लिए वैकेंसी निकली थी । बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग(बीएसयूएससी) द्वारा निकाली गई इस भर्ती में कुल 4 पदों के लिए 12 लोगों का इंटरव्यू लिया गया था जिनमें से एक कमल किशोर मंडल भी थे । इस परीक्षा का परिणाम 19 मई 2022 को घोषित किया गया । इसमें कमल किशोर का अंतिम रूप से चयन इसी विवि में सहायक प्रोफेसर के रूप में हो गया हालांकि अभी तक उन्हें जॉइनिंग नहीं मिली है ।
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में चपरासी की नौकरी करने के बाद Assistant Professor रके रूप में चयनित होने वाले कमल किशोर की जॉइनिंग रोक दी गयी है । विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसके लिए जांच बैठा दी है । कुलपति की तरफ से 4 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है जो यह जांच करेगी कि कमल किशोर ने विवि में चपरासी की नौकरी करते हुए पढ़ाई कब की ।
यदि उन्होंने पढ़ाई की है तो चपरासी की नौकरी कब की । कमेटी द्वारा जांच के बाद ही उनकी नियुक्ति पर फैसला लिया जाएगा । वहीं Assistant Professor के तौर पर चयनित हुए कमल किशोर ने कहा है कि उन्होंने विवि के अधिकारियों की अनुमति के बाद ही पढ़ाई जारी रखी और साथ मे नौकरी भी की । उन्होंने कहा कि उनके साथ के 3 अन्य लोगों को जॉइनिंग दे दी गयी है जबकि उनकी जॉइनिंग लटका दी गयी ।