Akhilesh Yadav: Lucknow से लेकर दिल्ली तक अखिलेश यादव रूठे नेताओं को मनाने समझाने में जुटे हुए हैं। ओमप्रकाश राजभर जैसे सहयोगी दल की नेता भी मुंह फुलाए हुए हैं। आजम खान के जेल के छूटने के बाद से अखिलेश की उनसे मुलाकात नहीं हो पाई थी। आजम खान इन दिनों दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती हैं। इस सिलसिले में अखिलेश यादव ने बुधवार को पार्टी के सीनियर नेता आजम खान से मिलने के लिए दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में पहुंचे।
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वहां पर वो लगभग 3 घंटे तक आजम खान के साथ रहे। इसी दरमियान Akhilesh Yadav ने तमाम सियासी बातचीत आजम खान के साथ की। पार्टी नेताओं के मुताबिक इस मुलाकात में अखिलेश ने विधान परिषद चुनाव को लेकर पार्टी नेताओं की आतुरता के बारे में भी आजम खान को बताया कि कैसे सहयोगी दल विधान परिषद में जाने के लिए उन पर दबाव बना रहे हैं। इसकी भी जानकारी दी। इसके साथ ही साथ अखिलेश ने आजमगढ़ एवं रामपुर संसदीय सीटों पर होने वाले उपचुनाव में किसे चुनाव लड़ाया जाए? इस बात पर भी आजम खान से चर्चा की।
अभी इसी सप्ताह Akhilesh Yadav आजमगढ़ एवं रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाली पार्टी उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर देंगे। ऐसा माना जा रहा है कि अखिलेश यादव आजमगढ़ से अपनी पत्नी डिंपल यादव एवं रामपुर संसदीय से सिदरा खान को चुनाव लड़ाने के मूड में है। बता दें कि आजम खान के बड़े बेटे आदि खान की पत्नी है सिदरा खान। इसके साथ ही वो विधान परिषद में सपा के कोटे से किन चार लोगों को भेजा जाएगा। इसका फैसला भी करेंगे। यह विधान परिषद का चुनाव भी अखिलेश यादव के लिए बहुत ही अहम है।
उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की कुल 100 सीटें हैं। इसमें से तेरे विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल 6 जुलाई को समाप्त होने वाला है। जिसके चलते ही विधान परिषद की इन 13 सीटों पर 20 जून को चुनाव होना है। जिसके लिए नामांकन प्रक्रिया 2 जून से 9 जून तक दाखिल किए जाएंगे। हालांकि 10 जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी एवं 13 जून तक उम्मीदवार अपने नाम वापस ले सकेंगे। एक चुनावी कार्यक्रम के अंतर्गत सपा के कोटे से विधान परिषद सदस्य बनने के लिए पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या से लेकर इमरान मसूद एवं सुहेलदेव भारतीय सपा के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के बेटे तक दावेदारी के लिए लाइन में हैं।
वहीं पर दूसरी और अखिलेश यादव के करीबी सुनील साजन से लेकर संजय लाठर एवं उदयवीर जैसे और भी कई नेता विधान परिषद सदस्य बनना चाहते हैं। रामगोविंद चौधरी, नदीम फारुकी और राम आसरे विश्वकर्मा भी विधान परिषद जाने की मंशा रखते हैं। इसी प्रकार विधान परिषद चुनाव में सपा की हालत एक अनार सौ बीमार वाली बनी हुई है।
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ऐसे में यह देखना है कि क्या Akhilesh Yadav विधान परिषद चुनाव में राज्यसभा की तरह ही फॉर्मूला आजमाएंगे या कोई नया सियासी दांव चलने वाले हैं? वैसे भी समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के पास नया सियासी दांव चलने का चांस नहीं है। उन्हें ओमप्रकाश राजभर एवं स्वामी प्रसाद मौर्या की जरूरत जयंत चौधरी की तरह ही है। हालांकि गठबंधन राजनीति को मजबूत करने के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य एवं ओमप्रकाश राजभर की बात माननी चाहिए। शायद आजम खान ने भी यही सलाह उन्हें दी है। Akhilesh Yadav को अब यह तय करना है कि विधान परिषद जाने को लेकर पार्टी नेता जो उन पर दबाव बना रहे हैं, वह उससे कैसे निपटते हैं।