Anand Mahindra: सेना भर्ती की नई योजना अग्निपथ को लेकर सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक विवाद अभी भी जारी है.
भारत के बड़े कारोबारी Anand Mahindra ने भी ट्वीट करके इस योजना को समर्थन दिया है. इसके बाद ही अब पूर्व सैनिकों और उद्यमियों के बीच इस भर्ती की योजना पर वाद-विवाद भी शुरू हो गया है.
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पूर्व नौसेना प्रमुख और 1971 की जंग के हीरो रहे एडमिरल अरुण प्रकाश ने आनंद महिंद्रा के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा कि, “इस स्कीम का इंतज़ार क्यों? क्या महिंद्रा ग्रुप ने अब तक उन हज़ारों कुशल और अनुशासित पूर्व सैनिकों से संपर्क (Contact) किया है, जो हर साल रिटायर (Retired) हो रहे हैं और जिन्हें दूसरा करियर (career) बनाने के लिए मौक़े की तलाश है? आपके ग्रुप से ऐसे आंकड़े (Statistics) मिलना अच्छा होगा.”
वहीं महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन Anand Mahindra, आरपीजी एंटरप्राइज़ चेयरमैन हर्ष गोयनका और बायोकॉन लिमिटेड चेयरपर्सन (chairperson) किरन मज़ूमदार शॉ इस भर्ती योजना के समर्थन में आए हैं.
Anand Mahindra ने सोमवार को ट्वीट (tweet) कर के लिखा था कि, “अग्निपथ योजना को लेकर हो रही हिंसा से दुखी हूँ. पिछले साल जब इस योजना पर विचार किया जा रहा था, तब मैंने कहा था और आज भी दोहराता हूँ कि अग्निवीर को जो अनुशासन और कौशल (Skills) मिलेगा वह उन्हें उल्लेखनीय रूप से रोज़गार योग्य बनाएगा. महिंद्रा ग्रुप इस तरह के प्रशिक्षित और सक्षम युवाओं को हमारे यहाँ नौकरी (job) का मौक़ा देगी.”
Anand Mahindra के ट्वीट का जवाब देते हुए हर्ष गोयनका ने लिखा, “आरपीजी ग्रुप भी नौकरी के लिए अग्निवीरों का स्वागत (welcome) करेगी. मैं उम्मीद करता हूँ कि दूसरी कॉर्पोरेट कंपनियां (corporate companies) भी इस प्रतिज्ञा में हमारे साथ आएं और हमारे युवाओं को भविष्य के लिए आश्वासन दे.”
हर्ष गोयनका के इस ट्वीट (tweet) को कोट करते हुए किरन मज़ूमदार शॉ लिखती हैं, “मुझे पक्का भरोसा है कि इंडस्ट्रियल जॉब मार्केट ( industrial job market) में नौकरी पाने की प्रक्रिया में अग्निवीरों को ख़ास फ़ायदा मिलेगा.”
लेकिन उद्योगपतियों के इन प्रस्तावों पर पूर्व सैन्य प्रमुख सवाल उठा रहे और पूछ रहे हैं कि हर साल हज़ारों की संख्या में सैनिक रिटायर भी होते हैं, उनमें से कितनों को इन्होंने नौकरियां दे दी हैं. एडमिरल अरुण प्रकाश ने आनंद महिंद्रा से पूछा है कि अग्निवीरों का इंतज़ार क्यों करना है, अब भी हज़ारों की संख्या में कुशल और ट्रेंड पूर्व सैनिक मिल जाएंगे.
पूर्व एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर ने आनंद महिंद्रा को टैग (Tag) करते हुए लिखा, “आनंद महिंद्रा सर, क्या हमें वो आंकड़े मिल सकते हैं जो पूर्व नौसेना प्रमुख ने मांगे हैं? मैं इसी तरह के वादों को सुनते हुए 40 साल बाद सेवा से रिटायर (retired) हुआ हूँ.”
ट्विटर यूज़र अभिषेक कुमार ने आनंद महिंद्रा के ट्वीट पर किया सवाल, “मैं नेवी का इंजीनियरिंग सेलर रहा हूँ और 31 जुलाई 2017 को सेवा मुक्त हुआ. मैंने एक अच्छी नौकरी के लिए महिंद्रा ग्रुप से संपर्क भी किया लेकिन उन्होंने मेरे आवेदन पर कोई जवाब नहीं दिया. पाँच साल बाद मैं आज भी बेरोज़गार (unemployed) हूँ और अब अचानक कंपनियां अग्निवीरों को नौकरी देने के लिए तैयार हैं. क्या मज़ाक है…”
कर्नल सलीम दुर्रानी भी इसपर लिखते हैं, “प्रिय महिंद्रा जी, हर साल करीब 60 से 70 हज़ार पूरी तरह प्रशिक्षित (trained) जवान रिटायर होते हैं. अगर पूछने की इजाज़त हो तो, इनमें से कितने आपके पास नौकरी (job) कर रहे हैं? हम अग्निवीरों पर बाद में आएंगे, जब समय आएगा.”
पूर्व कर्नल अशोक कुमार सिंह ने महिंद्रा को टैग करते हुए लिखा, “Anand Mahindra जी कृपया अमेरिकी कॉरपोरेट (American corporate) से कुछ सीखिए. कैसे वो अपने पूर्व सैनिकों को मदद (help) करते हैं और मनोबल बढ़ाते हैं. आप सिर्फ़ बातें कर रहे हैं क्योंकि आपको मोदी ने यही करने को कहा है.”
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अंग्रेज़ी अख़बार द टेलिग्राफ़ की एक ख़बर के मुताबिक डायरेक्टोरेट जनरल रिसेटलमेंट (डीजीआर) के पास 30 जून 2021 तक के मौजूद ताज़ा आंकड़ों से पता चलता है कि सरकारी नौकरियों में पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित सीटों और असल में होने वाली भर्तियों में बहुत बड़ा अंतर है.
केंद्र सरकार के विभागों में ग्रुप सी (group C) की नौकरियों में 10 फ़ीसदी और ग्रुप डी (group D) की नौकरियों में 20 फ़ीसदी पद पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित हैं. लेकिन ग्रुप सी की कुल नौकरियों में इनकी संख्या केवल 1.29 फ़ीसदी और ग्रुप डी में 2.66 फ़ीसदी है.
अग्निपथ योजना पर हुए भारी विरोध के बाद बीते सप्ताह गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने इस स्कीम को लेकर सेना में चार साल सेवा देने वालों को 10 फ़ीसदी अतिरिक्त आरक्षण देने का भी एलान किया था.
30 जून 2021 तक के सभी आंकड़ों के अनुसार देश में पूर्व सैनिकों की संख्या 26 लाख 39 हज़ार 20 थी. और इनमें से 22 लाख 93 हज़ार 378 थल सेना, 2 लाख 7 हज़ार 534 वायु सेना और 1 लाख 38 हज़ार 108 नौसेना से सेवानिवृत्त भी हुए हैं.