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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि प्राण वायु देवता के नाम से 75 साल से ऊपर के वृक्ष के रखरखाव के लिए 2500₹ प्रतिवर्ष पेंशन दी जाएगी और इस पेंशन में भी बुढ़ापा सम्मान पेंशन के अनुसार हर वर्ष बढ़ोतरी होगी प्राकृतिक ऑक्सीजन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के हर गांव में पंचवटी के नाम से पौधारोपण किया जाएगा। हरियाणा सरकार ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर में ऑक्सीवन को लॉन्च किया है ऑक्सीवन ऐसी भूमिया है जिन पर 30000000 पेड़ लगाए जाने हैं हरियाणा के 800000 हेक्टेयर में 10% क्षेत्र पर होंगे।
मेडिकल ऑक्सीजन के लिए कोरोना काल में हुई त्रासदी को देखते हुए ऑक्सीवन लांच किया गया। हरियाणा सरकार ने ऑक्सीवन के साथ-साथ प्राण वायु देवता पेंशन योजना को भी लांच किया। इस स्कीम के तहत 75 वर्ष या इससे अधिक उम्र के पेड़ों को पेंशन दी जाएगी। यह वृक्षों की सम्मान राशि होगी। जिन्होंने विश्व मानवता को प्राणवायु दिया प्रदूषण कम किया और छाया प्रदान की ऐसी प्रकृति पहचान पूरे राज्य भर में की जाएगी हरियाणा राज्य में 5 से 100 एकड़ में ऑक्सीजन लगाए जाएंगे 75 साल से अधिक उम्र वाले वृक्षों को एक माह में ₹25 दिए जाएंगे जिसे भी पेंशन के रूप में दिया जाएगा।
हरियाणा में ऑक्सीवन पंचकूला करनाल में खोले जाएंगे । इसके साथ साथ चितवन, आरोग्य वन ,ऋषि वन,पाखी वन, सुगंध वन, स्मरण वन नाम दिया गया है। ट्री पेंशन हर साल बढ़ता रहेगा ठीक उसी तरह जिस तरह ओल्ड एज सम्मान पेंशन स्कीम में बढ़ता रहता है। अब हरियाणा में 2500 ऐसे पेड़ों की पहचान की जा चुकी है जो ट्री पेंशन की पात्रता रखते हैं यानी 75 साल या 75 साल से अधिक उम्र के हैं।
जिस तरह देश में और सारी दुनिया में वनों का दोहन हो रहा है। वह एक प्रकार से प्रकृति माता को चोट पहुंचाना ही है। लेकिन इस योजना के तहत वृक्षों का संरक्षण किया जा रहा है यह है सभी जीव धारियों के लिए और प्रकृति के लिए बहुत ही प्रसन्नता की बात है। वृक्षारोपण और वन संरक्षण वर्तमान की परम आवश्यकता है। बनो से बारिश होती है और जल स्तर ऊपर बना रहता है कई प्रकार के जीव धारी वनों में अपना घर बना कर रहते हैं, मनुष्य के लिए कई तरह की सामग्री वनों से ही प्राप्त होती है , वनों के इतने उपयोग है कि वह एक मनुष्य से भी कहीं ज्यादा उपयोगी है।
75 साल से अधिक उम्र के पेड़ों को अधिक देखभाल की जरूरत नहीं होती है बस इतना ही देखना होता है कि कोई इन पुराने वृक्षों को काटे नहीं। इस योजना में वृक्षारोपण पर अधिक ध्यान देना चाहिए तभी तो वृक्षों की संख्या अधिक होगी और अधिक ऑक्सीजन निकलेगी। छोटे पौधों की देखभाल अधिक करनी होती है इसलिए जो रुपए खर्च किए जा रहे हैं उनका सकारात्मक परिणाम मिलता। प्राकृतिक ऑक्सीजन और हॉस्पिटल में सिलेंडर में भरी हुई ऑक्सीजन में जमीन और आसमान का अंतर होता है यदि कोरोना काल में शुद्ध ऑक्सीजन वायुमंडल में पर्याप्त मात्रा में होती तो भी कुछ काम में नहीं आने वाली थी क्योंकि कोरोना काल में सिलेंडर की ऑक्सीजन ही काम में आ सकती थी। इसलिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जी को स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी अपना ध्यान देना चाहिए।
सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात ऑक्सीवन लगाने से पहले उस भूमि की वैज्ञानिक मशीनों द्वारा जांच करवा लेनी चाहिए कि उस जमीन के अंदर कोयला सोना चांदी या अन्य कोई कीमती धातु और अधातु तो नहीं है। नहीं तो वृक्षारोपण कर दिया जाएगा, वृक्षों को पानी दिया जाएगा , श्रम करना पड़ेगा और पैसे खर्च करने पड़ेंगे इसके बाद पता चलेगा कि भूमि के अंदर कोयला या कोई धातु दबी हुई है तो मशीनों द्वारा पल भर में पूरा जंगल साफ कर दिया जाएगा छत्तीसगढ़ के जंगल लेमरू हाथी रिजर्व की तरह ।
75 वर्ष या 75 वर्ष से अधिक उम्र के वृक्षों के लिए जो सरकार की तरफ से 2500 रुपए प्रति वर्ष पेंशन मिलेगी वह कैसे प्राप्त होगी। और जिस भी व्यक्ति को यह पेंशन प्राप्त होगी। कैसे पता चलेगा कि वह है पेड़ों की देखभाल कर रहा है या नहीं वैसे बड़े
वृक्षों की अधिक देखभाल नहीं करनी पढ़ती है बस कोई उन्हें काटने ना पाए।
हरियाणा सरकार की इस योजना से वृक्षारोपण को प्रोत्साहन नहीं मिलता क्योंकि केवल 75 साल या 75 साल से अधिक उम्र के वृक्षों के लिए पेंशन मिलनी हैं इसलिए वृक्षारोपण पर कोई अधिक ध्यान नहीं देगा क्योंकि वृक्षारोपण करने पर किसी प्रकार के सरकार द्वारा लाभ का प्रावधान नहीं किया गया है।