मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट पर हाल ही में हुए चुनावों के परिणामों ने एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत विपक्षी दलों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से छेड़छाड़ के आरोपों को लेकर अपनी आवाज़ बुलंद की है। आइए, इस मामले की पूरी कहानी पर नज़र डालते हैं।
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शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर और शिंदे सेना के उम्मीदवार रवींद्र वायकर के बीच यह चुनावी जंग केवल 48 वोटों के अंतर से तय हुई। यह मामूली अंतर ही इस विवाद की जड़ बना। चुनाव परिणामों के बाद, विपक्ष ने चुनाव प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगाए, जिनमें मुख्य रूप से ईवीएम से छेड़छाड़, मोबाइल फोन का अनुचित उपयोग और ओटीपी का मामला शामिल है।
1. मोबाइल फोन का उपयोग: चुनाव के दौरान वायकर के पोलिंग एजेंट द्वारा मतगणना क्षेत्र के अंदर मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया गया। नियमों के अनुसार, मतगणना क्षेत्र में मोबाइल फोन ले जाना सख्त मना है। इस मामले में पुलिस जांच कर रही है और कॉल रिकॉर्ड खंगाल रही है ताकि पता चल सके कि फोन का उपयोग किस प्रकार किया गया था।
2. वीवीपीएटी मशीनों की तकनीकी जांच: शिवसेना (यूबीटी) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार वीवीपीएटी मशीनों की तकनीकी जांच की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, वीवीपीएटी मशीनों को सिंबोलिक लोडिंग यूनिट्स के साथ संग्रहीत किया जाना चाहिए। लेकिन चुनाव आयोग की वेबसाइट पर ऐसी तकनीकी जांच के लिए कोई स्पष्ट प्रक्रिया नहीं दी गई है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।
3. रिटर्निंग ऑफिसर पर आरोप: एनईएससीओ केंद्र में रिटर्निंग ऑफिसर पर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। विपक्ष का दावा है कि मतगणना के दौरान अनियमितताएं हुईं, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
वनराई पुलिस ने वायकर के रिश्तेदार मंगेश पांडिलकर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत मामला दर्ज किया है। इसके अलावा, जोगेश्वरी विधानसभा क्षेत्र के डेटा एंट्री ऑपरेटर दिनेश गुरव का निजी मोबाइल फोन एक अनधिकृत व्यक्ति के पास पाया गया, जिसकी जांच की जा रही है। पुलिस ने इस मामले में सीसीटीवी फुटेज की भी मांग की है, लेकिन यह तभी उपलब्ध कराई जाएगी जब सक्षम अदालत से आदेश प्राप्त हो जाएगा।
इस विवाद में राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेता भी शामिल हो गए हैं। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाया और ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। उन्होंने मिड-डे अखबार की एक खबर का हवाला दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि शिवसेना उम्मीदवार के रिश्तेदार ने मतगणना के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था, जो ईवीएम से जुड़ा हुआ था। निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचन अधिकारी वंदना सूर्यवंशी ने इस खबर को ‘झूठी खबर’ करार दिया और कहा कि प्रकाशन को मानहानि का नोटिस जारी किया गया है।
इस विवाद को और गर्माते हुए, एलन मस्क ने ईवीएम की सुरक्षा पर सवाल उठाया। मस्क ने एक पोस्ट में कहा कि ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए क्योंकि उन्हें हैक किए जाने का खतरा है। उन्होंने कहा कि ईवीएम को हैक करना संभव है, चाहे वह मनुष्यों द्वारा हो या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) द्वारा। उनके इस बयान ने भारतीय राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एलन मस्क के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भारतीय ईवीएम विशेष रूप से तैयार की गई हैं और वे किसी भी नेटवर्क या मीडिया से नहीं जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय ईवीएम सुरक्षित हैं और इनमें कोई कनेक्टिविटी नहीं है, न ब्लूटूथ, न वाईफाई, न इंटरनेट। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय ईवीएम फैक्टरी-प्रोग्राम्ड कंट्रोलर हैं, जिन्हें पुनः प्रोग्राम नहीं किया जा सकता।
इस विवाद में मीडिया और सोशल मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। विपक्षी नेताओं ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, जिससे जनता में भी इस मामले को लेकर जागरूकता बढ़ी। मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स ने इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है।
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मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट का यह मामला भारतीय राजनीति में एक नए विवाद को जन्म दे चुका है। ईवीएम से छेड़छाड़, मोबाइल फोन का उपयोग, और ओटीपी जैसे मुद्दे चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। चुनाव आयोग और संबंधित अधिकारियों को इस मामले की विस्तृत जांच कर सच सामने लाने की जरूरत है, ताकि चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता बरकरार रह सके। इस विवाद ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारी चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित और निष्पक्ष है। जनता और राजनीतिक दलों की ओर से इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग की जा रही है।