World Refugee Day: रिफ्यूजी(Refugees) यानी शरणार्थियों की समस्या एक वैश्विक समस्या है। वी बेबस लो जो जंग, हिंसा और अन्य चीजों को सहते हुए अपनी सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर को पार कर लेते हैं उन्हें रिफ्यूजी कहां जाता है। उन्हीं रिफ्यूजी की समस्याओं को बताने और उनके साहस को दर्शाने के लिए हर साल आज के दिन यानी 20 जून को वर्ल्ड रिफ्यूजी डे मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं इस दिन को मनाने के पीछे की वजह और इससे जुड़ी हुई कुछ बातें,
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हर साल 20 जून को पूरी दुनिया में वर्ल्ड रिफ्यूजी डे (World Refugee Day 2022) मनाया जाता है। यह दिन यूनाइटेड नेशन्स द्वारा विश्व भर में रिफ्यूजी के साहस और उनके जज्बे को सराहते हुए मनाया जाता है। यह लोग हिंसा या अन्य कारणों से अपने देश को छोड़ने के लिए मजबूर होते हैं। यह लोग मजबूरी में अन्य देशों में शरण लेकर वहां पर रहते हैं। इस प्रकार अन्य देशों में जाकर शरण लेने वाले रिफ्यूजी(Refugees) की संख्या एक दो नहीं बल्कि लाखों में है।
दूसरे देशों में जाकर वहां अपना जीवन यापन करना इन सभी लोगों के लिए काफी कठिन होता है। उन्हें ना ही उस देश की नागरिकता मिलती है और ना ही अन्य सुख सुविधाएं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 के अंत तक 8.24 करोड़ लोग जबरदस्ती विस्थापित किए गए थे।
विश्व में पहली बार साल 2001 में वर्ल्ड रिफ्यूजी डे (World Refugee Day 2022) मनाया गया था। उस समय इस दिन को 1951 के यूएन रिफ्यूजी समझौते की 50वीं एनिवर्सरी के तौर पर सेलिब्रेट किया गया था। इससे पहले इसी दिन को अफ्रीका रिफ्यूजी डे कहा जाता था। साल 2000 में यूनाइटेड नेशन्स ने ऑफिशियली वर्ल्ड रिफ्यूजी डे के रूप में मान्यता दी थी।
UNHCR ( United Nations High Commissioner for Refugees ) की साल 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक यह तय है कि जल्द ही दुनिया में कुल विस्थापित लोगों की संख्या बढ़कर 10 करोड़ (100 मिलियन) तक पहुंच जाएगी। इसी साल 2022 की शुरुआत में, रूस और यूक्रेन युद्ध और कुछ अन्य देशों में नए आंतरिक विस्थापन के कारण शरणार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। UNHCR के अनुसार अब तक विस्थापित लोगों की संख्या बढ़कर 10 करोड़ हो चुकी है। इस बात का अर्थ होता है कि अब दुनिया में हर 78 व्याक्तियों मे से एक व्याक्ति विस्थापित है।
UNHCR की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2021 के अंत तक कुल 8.9 करोड़ लोगों को मजबुरन ही अपने गृह देश के भीतर या बाहर बलपूर्वक निर्वासन झेलना पड़ा है। इन लोगों में से 5.3 करोड़ आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं और वहीं 2.7 करोड़ लोग घोषित रुप से शरणार्थी (Refugee) का दर्जा पा चुके हैं। इसके अलावा तकरीबन 46 लाख लोग (Asylum Seeker) शरण पाना चाहते हैं।
शरणार्थी शब्द भी एक भरी पूरी परिभाषा है। शरणार्थियों की स्थितियों से संबंधित 1951 के कन्वेंशन के अनुच्छेद 1 में UN ने इस शब्द को परिभाषित किया है। यहां एक शरणार्थी वह है जो धर्म, नस्ल, राष्ट्रीयता, राजनीतिक राय या किसी विशेष सामाजिक समूह की सदस्यता के कारण उसे प्रताड़ित किए जाने के डर के कारण अपने मूल देश में लौटने में असमर्थ हो या अनिच्छुक हो।
हर साल वर्ल्ड रिफ्यूजी डे (World Refugee Day Theme 2022 ) की एक थीम निर्धारित की जाता है और इस साल भी इसकी थीम निर्धारित की गई है। इस साल वर्ल्ड रिफ्यूजी डे (World Refugee Day Theme 2022 ) की थीम ‘Whoever, Whatever, Whenever. Everyone has the right to seek safety’ है, जिसका अर्थ होता है कि सभी शरणार्थियों का सम्मान और गरिमा के साथ स्वागत होना चाहिए, चाहे वे किसी भी धर्म देश, या जाति के हों।
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1- 83 प्रतिशत शरणार्थी विकासशील देशों में शरण ले चुके है। इसमें 40 प्रतिशत से अधिक संख्या बच्चों की है।
2- विश्व के शरणार्थियों की कुल संख्या में से दो-तिहाई से भी अधिक सिर्फ पांच देशों- सीरिया, दक्षिण सूडान, वेनेजुएला, म्यांमार और अफगानिस्तान से आते हैं।
3- 6 मिलियन से भी अधिक रिफ्यूजी शिविरों में ही रहते हैं। यहां उन्हें तत्काल सुरक्षा और सहायता दी जाती है। ये वे लोग होते हैं जो उत्पीड़न, युद्ध या हिंसा के कारण अपने घरों को छोड़कर भागने के लिए बेबस होते हैं।
4- विश्व के सबसे बड़े रिफ्यूजी कैंप(शिविरों) में से एक केन्या के दादाब में है। यहां 329,000 से अधिक रिफ्यूजी रहते हैं।