Wild Animals Got Legal Rights: बहुत से लोग जंगली जानवरों परेशान करते रहते है; उन्हें लगता है कि जंगली जानवरों को उनके पर्यावरण ने इतना मजबूत बना दिया है और उन्हें दर्द का अहसास ही नहीं होता है, या कम से कम, यह उस हद तक तो महसूस नहीं होता जितना इंसान और पालतू जानवरों को होता हैं ।
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जंगली जानवरों को दर्द नहीं होता हमारा यह विचार सरासर गलत है। जिन महत्त्वपूर्ण कारणों से हमे यह विश्वास है कि इंसान और पालतू जानवर में फीलिंग होती है, वही कारण जंगल में रहने वाले सभी जंगली जानवरों पर भी लागू होते हैं ।
किसी भी देश का संविधान हर नागरिक को जीवन जीने का अधिकार देता है यह बात तो आपने कई बार सुनी होगी। लेकिन Animal Ethics इक्वाडोर के संविधान ने जानवरों को भी जीवन जीने की आजादी देकर उन्हें कानूनी अधिकार दिए हैं। अगर कोई भी इनके जीवन को बाधित करने का प्रयास करता है तो इसके लिए संविधान में कई तरह के दंड़ के प्रावधान भी किए गए हैं।
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कई जंगली जानवरों के पास नर्वस सिस्टम भी होते हैं जो हमारे नर्वस सिस्टम से बहुत अलग नहीं हैं। जंगली जानवरों को प्रताड़ित करने पर या अन्य किसी प्रकार उन्हें परेशान करने पर उन्हें भी पीड़ा होती है। बस फर्क इतना है कि हम इंसान अपनी जबान से अपनी तकलीफ को बयान कर सकते हैं और यह बिचारे बेजुबान जानवर अब सिर्फ अपनी आंखों से आंसू निकाल कर अपने दर्द को बयान करते हैं। किंतु हमें यह समझना चाहिए कि जिस प्रकार तकलीफ या परेशानी में हमें पीड़ा होती है इस प्रकार ही इन जंगली जानवरों को भी पीड़ा होती है।
इन दिनों इंसानों द्वारा जानवरों के शोषण और दुर्व्यवहार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब ऐसे में इक्वाडोर ने एक सराहनीय कदम उठाकर जंगली जानवरों को कानूनी अधिकार दिया है। दक्षिण अमेरिका का यह देश दुनिया का ऐसा सबसे पहला देश बन चुका है जहां जंगली जानवरों को कानूनी अधिकार दिए गए है। इक्वाडोर ने यह सुनिश्चित किया है कि जंगली जानवरों को वे अधिकार मिले जिनके वे सभी हकदार हैं। साथ ही वो बिना किसी भी प्रकार के शोषण के स्वतंत्र रूप से अपना जीवन गुजार पाए।
इक्वाडोर की सुप्रीम कोर्ट ने ने उस मामले के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है जिसमें एक बंदर पर ध्यान केंद्रित किया गया था। एस्ट्रेलिटा नाम का यह बंदर महज एक महीने का ही था जब उसे जंगल से दूर ले जाया गया ताकि वह लाइब्रेरियन एना बीट्रिज़ बरबानो प्रोआनो के लिए एक पेट एनिमल बन सके। प्रोआनो ने 18 साल तक एस्ट्रेलिटा की संपूर्ण तौर पर देखभाल की थी। लेकिन 2019 में पुलिस अधिकारियों द्वारा एस्ट्रेलिटा को जब्त कर लिया गया था।
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Wild Animals Got Legal Rights दरअसल, दक्षिण अमेरिकी देश में जंगली जानवरों का मालिक होना अवैध (Animal Ethics) करार दिया गया है। प्रोआनो के पास से लेकर एस्ट्रेलिटा को एक चिड़ियाघर में स्थानांतरित कर दिया गया। किंतु वहां पर जाने के बाद एस्ट्रेलिटा बहुत ही उदास हो गया और उसकी मौत हो गई । इस इस घटना से व्यथित होकर मालिक एना बीट्रिज़ बरबानो ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सारे मामले को जाने के बाद और समझते हुए जवाब में अब अदालत ने यह तय किया है कि बंदर के अधिकारों का उल्लंघन न किया जाए।
अदालत ने एस्ट्रेलिटा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकार ने साफ तौर पर उसके अधिकारों का उल्लंघन किया है। इस घटना के साथ ही इक्वाडोर जंगली जानवरों को कानूनी अधिकार देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।