काला हीरा: करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर विशाल और घने जंगल हुआ करते थे। कई साल बाद प्रकृति ने ऐसा कहर बरपाया कि उन इलाकों में तेज बाढ़ आ गई। जिसके कारण जो निचले हिस्से में जंगल हुआ करते थे वह बाढ़ में मिट्टी के नीचे दब गए कई साल दवे रहने के कारण उन्हें सूर्य की रोशनी और ऑक्सीजन न मिलने से पृथ्वी के अंदर दबाव उत्पन्न हुआ । जिसकी वजह से वह बड़े-बड़े पेड़ कोयले के रूप में बदलते चले गए। करोड़ों साल पहले दवे वनस्पति को अब हम कोयले के रूप में खानों से बाहर निकालते हैं और शक्ति संसाधन के रूप में प्रयोग करते हैं। लेकिन कोयला के भी प्रकार होते हैं। कोयले में कार्बन की मात्रा के अनुसार अच्छी क्वालिटी का या निम्न क्वालिटी का होता है।
सामान्यता कोयला चार प्रकार का होता है। जिससे कोयले में कार्बन की मात्रा के अनुसार बांटा गया है।
(1) एन्थेसाइड कोयला :- यह सबसे अच्छे एवं उच्च क्वालिटी वाला कोयला माना जाता है क्योंकि इस में कार्बन की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है । इसमें 96 से 98% तक कार्बन की मात्रा पाई जाती है।
(2) बिटुमिनस कोयला :- यह कोयला भी काफी हद तक अच्छी गुणवत्ता वाला माना जाता है यह अधिकतर घरों में प्रयोग किया जाता है।
(3) लिग्नाईट कोयला :- यह भी एक अच्छा कोयला माना जाता है इस में कार्बन की मात्रा 65 से 70 प्रतिशत पाई जाती है।
(4) पीट कोयला :- पीट कोयला में कार्बन की मात्रा 40 से 7 प्रतिशत पाई जाती है यह एक निम्न कोटि का कोयला माना जाता है।
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कोयले का उपयोग प्रमुखता से ईंधन के रूप में किया जाता है। कोयले को काला हीरा कहा जाता है क्योंकि कोयले के बहुत उपयोग हैं। अभी हाल ही में कोयले की समाप्ति को लेकर खबर आई थी जिससे सारी बिजली ठप होने वाली थी लेकिन इस कोयला क्राइसिस को नियंत्रण कर लिया गया है। कोयले से बिजली बनाई जाती है। जब कोयला चलाया जाता है तो कोयले की बंद गर्मी से पानी को भाप में बदला जाता है और इस भाप से टरबाइन घुमाया जाता है। जिससे बिजली पैदा होती है। वर्तमान में कोयले का इतना उपयोग हो रहा है कि इससे संबंधित वैश्विक स्तर पर बैठकर हो रही है कि किस प्रकार कोयले के उपयोग को कम किया जा सके और काला हीरा के विकल्प के रूप में कुछ और उपयोग में लाया जा सके।
झारखंड 80,716 मिलियन टन काला हीरा के अनुमानित भंडारण के साथ देश में कोयला आरक्षित राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है। भारत में सर्वाधिक कोयला उत्पादक राज्य झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल है
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मध्य प्रदेश – मध्यप्रदेश में सिंगरौली, सोहागपुर, जिला उमरिया, सतपुरा आदि कोयले की प्रमुख खाने हैं।
आंध्र प्रदेश– अरुणाचल प्रदेश में काला हीरा की कंटापल्ली सिंगरैनी प्रमुख खाने हैं।
असम- मुकुम, नजीरा, जान जी असम की प्रमुख काला हीरा खदानें हैं।
मेघालय– उमरलॉन्ग, डारंगीगिरी, चेरापूंजी, मावलॉन्ग आदि मेघालय की प्रमुख कोयला खदान है।