Wheat Export Ban: घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ने की वजह से भारत द्वारा गेहूं निर्यात पर लगाई गई पाबंदी का अमेरिका ने विरोध किया है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीन फील्ड ने यह आशंका जताई है कि भारत के कदम से विश्व में खाद संकट भी बढ़ सकता है। वहीं पर इसी बीच चीन ने इस मामले पर भारत का बचाव किया है। इसी बीच भारत सरकार ने अब गेहूं के निर्यात पर पाबंदी के आदेश में मावली ढील दे दी है।
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ग्रीन फील्ड ने यह कहा है कि हमने गेहूं निर्यात पर रोक को लेकर भारत के फैसले की रिपोर्ट देखी है। हम अलग-अलग देशों को निर्यात को प्रतिबंधित नहीं करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। क्योंकि हमें यह लगता है कि निर्यात पर किसी भी पाबंदी से खाद्यान्न की और अधिक कमी हो जाएगी। भारत के साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस पर विचार होगा। उम्मीद है कि भारत रोक हटाने पर पुनर्विचार करेगा।
अमेरिकी राजदूत ने यह कहा है कि भारत सुरक्षा परिषद की हमारे द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल होगा तथा हमें यह उम्मीद है कि वह अन्य देशों द्वारा जताई जा रही चिंता को देखते हुए अपने फैसले पर विचार करेगा।
गौरतलब है कि भारत के Wheat Export Ban करने के फैसले को लेकर जी-7 देशों की आलोचना के बाद से चीन भारत के बचाव में आया है। इसी मामले में भारत का बचाव करते हुए रविवार को यह कहा था कि भारत जैसे विकासशील देशों को दोष देने से वैश्विक हा संकट का समाधान नहीं होगा।
मीडिया रिपोर्ट में यह कहा गया है कि अब जी-7 कृषि मंत्री भारत से Wheat Export Ban नहीं लगाने का आग्रह करते हैं। तो जी-7 देश स्वयं ही अपने निर्यात में वृद्धि करके खाद बाजार की आपूर्ति को स्थिर करने के लिए आगे क्यों नहीं बढ़ेंगे??
आपको बता दें कि भारत सरकार ने बीते दिनों बड़ा फैसला लेते हुए गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। हालांकि गेहूं को निर्यात की प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है। सरकार की तरफ से यह कहा गया है कि देश की खाद सुरक्षा के मद्देनजर ये कदम उठाया गया है। इसके साथ ही पड़ोसी देशों तथा गरीब देशों को समर्थन करने के लिए भी ऐसा करना जरूरी था।
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केंद्र सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए यह कहा है कि गेहूं खरीद की समय सीमा बढ़ाकर 21 मई कर दी गई है। केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने आदेश की प्रति ट्वीट करते हुए इसी बात की घोषणा की है। अब किसानों को एमएससी पर गेहूं बेचने के लिए 15 दिनों का और वक्त मिल गया है। इसी साल अनुकूल मौसम की वजह से रबी फसल की उपज अच्छी हुई है। लेकिन देश के कई हिस्सों में गेहूं की जबरदस्त उपज के बाद भी किसान है समय सीमा तक अपनी फसल को नहीं बीच पाने के कारण से कुछ दिनों से परेशान थे।
इस वर्ष गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। किसी कीमत पर अब देश की करोड़ों की शान की 30 मई तक गेहूं की बिक्री तय कर सकेंगे।