Har Ghar Tiranga: “देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी के अमृत महोत्सव से जुड़े आयोजनों ने इक्नॉमी को काफी फायदा पहुंचाया है। खास तौर पर इस मौके के लिए शुरू किए गए पीएम नरेंद्र मोदी के “हर घर तिरंगा” अभियान से छोटे व्यापारियों एवं दुकानदारों को बड़ी मदद मिली है। व्यापारी संगठन कैट के अनुसार वोकल फॉर लोकल एवं आत्मनिर्भर भारत के सरकार की मुहिम को इन आयोजनों ने नई पहचान दिलाई है। जिसका असर ये हुआ कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश में 500 करोड़ रुपए की तिरंगे खरीदे गए।
इस पोस्ट में
“हर घर तिरंगा” अभियान से 500 करोड़ का कारोबार देश में हुआ है। बीते 20 सालों में देश में 30 करोड़ तिरंगा झंडा तैयार किए गए। जिससे कि 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला। हर घर तिरंगा समेत अन्य तिरंगा यात्रा के चलते 500 करोड़ के तिरंगे झंडा खरीदे गए हैं। तिरंगा झंडा निर्माण एवं बिक्री का यह नया रिकॉर्ड देश में बना है। बीते कई वर्षों में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज की सालाना बिक्री लगभग 150 से 200 करोड़ रुपए तक ही सीमित रहती थी। लेकिन इस बार तिरंगा आयोजन में झंडे की बिक्री को कई गुना बढ़ा दिया।
बता दें कि “Har Ghar Tiranga” अभियान में भारत वासियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
संस्कृत मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार मंगलवार दोपहर 12 बजे तक छह करोड़ लोगों ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के अंतर्गत झंडे के साथ अपनी सेल्फी अपलोड की थी। फिलहाल अपने घर, गाड़ी, दुकान और दफ्तर में कितने लोगों ने झंडा लगाया। इसके आंकड़े मंगलवार सुबह तक संस्कृत मंत्रालय के अधिकारी नहीं जुटा पाए थे। लेकिन जिस तरह से इस अभियान का प्रचार प्रसार किया गया था। फिजिकल मोड में झंडा लगाने वालों की संख्या भी करोड़ों में होगी।
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के अनुसार इस वर्ष 15 अगस्त के मौके पर पूरे देश में व्यापारियों ने विभिन्न साइज के 30 करोड़ झंडे बेचे। झंडे का कुल व्यापार करीब 500 करोड़ का हुआ। जाहिर सी बात है अगर इतनी बड़ी मात्रा में झंडो की बिक्री हुई है तो उन्हें सहेज कर रखना भी उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी है।
यही कारण है कि जनता सवाल पूछ रही है कि 15 अगस्त के बाद इन झंडों का क्या करना है??
आपको बता दें कि इसका एक जवाब सपा पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर करके दिया है। उनके द्वारा शेयर किए गए पोस्ट में यह लिखा है कि 15 अगस्त के बाद झंडे का क्या?? घबराने की जरूरत नहीं है। ला मार्टिनियर गर्ल्स कॉलेज, लखनऊ कॉलेज के पास इसका समाधान भी है। हम पूरे राज्य के विभिन्न शहरों के रिहायशी इलाकों, घरों, सड़कों, दूसरे संस्थानों से जमा किए गए झंडे इकट्ठा कर रहे हैं। चाहे तो आप यूज किए हुए झंडे डाक से भेज सकते हैं एवं चाहे तो उनके कॉलेज के गेट पर भी जाकर जमा कर सकते हैं।
अमृत महोत्सव में तिरंगे के निचे देखिए लगा है कूड़े का ढेर, पुलिस भी कूड़े के ढेर पर कर रही रैली
टाइगर श्रॉफ को भुलाने की कोशिश कर रहीं हैं Disha Patani, शेयर की बेडरूम की अनसीन फोटोज
गौरतलब है कि ला मार्टिनियर गर्ल्स कॉलेज की प्रिंसिपल आश्रिता दास बीबीसी से बातचीत में यह बताया कि ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के साथ इस तरह से जुड़ने का फैसला कॉलेज प्रशासन का ही था। हालांकि इस फैसले में राज्य प्रशासन का कोई भी रोल नहीं है। उन्होंने इसके साथ ही यह भी बताया कि इस पहल के बारे में उन्होंने स्थानीय निगम प्रशासन को बताया है जिन्होंने आश्वस्त किया है कि वह लोगों को इस बारे में जागरूक जरूर करेंगे।
आश्रिता दास के अनुसार 15 अगस्त को देर शाम ही उन्होंने इसका पोस्टर सोशल मीडिया पर शेयर किया है। शुरुआती वक्त है हमें बहुत उत्साहजनक रिस्पांस नहीं मिला है। लेकिन हमने नगर निगम एवं अपने यहां पढ़ने वाले छात्रों से अब इस बारे में बात की है।
गौरतलब है कि ला मार्टिनियर कॉलेज की तरह इंडियन ऑयल मुंबई ब्रांच ने भी 16 अगस्त से फ्लाइट कलेक्शन ड्राइव की शुरुआत की है। अगर आप मुंबई के आसपास रहते हो तो इंडियन ऑयल के पेट्रोल पंप पर जाकर झंडा जमा कर सकते हैं। हालांकि इसी तर्ज पर माय ग्रीन सोसाइटी नाम से एक एनजीओ ने भी झंडा जमा करने की पहल की है।
आपको बता दें कि यह चुनिंदा प्रयास है जो निजी स्तर पर शुरू किए गए हैं। केंद्रीय या फिर राज्य सरकार की ओर से अभियान के दौरान इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं की गई है।