बनारस वैसे तो शिव की नगरी मानी जाती है और यहां आने के बाद लोग धार्मिकता को अपने अंदर अनुभव करते हैं। लेकिन आज हम आपको बताएंगे बनारस से जुड़ी एक ऐसी बात जो शायद आप नहीं जानते हो। यह एशिया का सबसे प्राचीन शहर है। बनारस शहर कितना पुराना है इसका अभी ठीक-ठीक प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन कुछ तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर अनुमान लगाया जाता है कि लगभग 5000 साल पुराना है। कुछ विद्वान इसे 3000 तथा दूसरे विद्वान इसे 4000 साल पुराना मांगते हैं।
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इस प्राचीन शहर को बनारस, काशी, और वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है। बनारस को सबसे पवित्र शहर माना जाता है। गंगा नदी से बनारस के महत्व का एक अटूट रिश्ता है। कहा जाता है कि बनारस में अगर व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। क्योंकि यहां का वातावरण पवित्र और धार्मिक है। यह शहर सैकड़ों सालों से उत्तर भारत का सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र रहा है।
बनारस का नाम वाराणसी कैसे पड़ा, अनुमान लगाया जाता है कि यह शहर यहां की दो नदियां वरुणा और असी से मिलकर बना है। वाराणसी नाम इन्हीं दो नदियों के शब्दों के मेल से बना है। वाराणसी नाम पढ़ने का एक दूसरा विचार भी सामने आता है की वरुणा नदी को प्राचीन काल में वरणासि जाता था जिसके नाम पर इसका नाम वाराणसी पड़ा।
धार्मिक और पौराणिक कथाओं के मुताबिक काशी यानी वाराणसी नगर की स्थापना भगवान शिव के द्वारा लगभग 5000 वर्ष पहले किया गया था जिसके वजह से वाराणसी आज एक पवित्र और प्रमुख तीर्थ स्थल है। वाराणसी के बारे में महाभारत,रामायण ,स्कंद पुराण,और प्राचीनतम वेद ऋग्वेद में भी उल्लेख है।
बनारस का काशी हिंदू विश्वविद्यालय पूरे विश्व में शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है। बनारस के कुछ घूमने लायक स्थान जिसमें शीतला घाट, मानस मंदिर ,बिरला मंदिर,और काशी है। जो बनारस को दर्शनीय बनाने में मदद करते हैं। कहा जाता है कि बनारस भगवान शिव के त्रिशूल के ऊपर टिका हुआ है यहां पर लोग शिव की पूजा नहीं करते हैं बल्कि शिव को लोग आशीर्वाद देते हैं।
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भारत के प्राचीन शहरों की श्रृंखला में कुछ और शहर भी गिने जाते हैं जिसमें उज्जैन एशिया का तीसरा सबसे प्राचीन शहर माना जाता है। उज्जैन को लगभग 2800 वर्ष पुराना होने की संभावना है
वही दुनिया का सबसे पुराना शहर खालिस्तान के जेरिको को भी माना जाता है। कुछ प्रमाणों से पता चलता है कि यह लगभग 11000 साल पहले बसाया गया था। जॉर्डन नदी के किनारे पर स्थित इस प्राचीन शहर में इस समय 20,000 की आबादी वाला एक गांव है।