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मानव ने विज्ञान को कहां से कहां पहुंचा दिया है। वर्तमान में जनता बढ़ती महंगाई बिजली के बिल से परेशान हैं ऐसे में हमारे वैज्ञानिकों ने बिजली के महंगे बिल से बचने के लिए एक उपाय खोज निकाला है। अब मानव के मल- मूत्र ( यूरिन) से बिजली पैदा की जा सकेगी जिससे छोटे मोबाइल , बल्ब जलाया जा सकेगा। यदि इस रिसर्च में और काम किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब लोग पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएंगे और खुद ही अपने मल मूत्र से बिजली उत्पन्न कर सकेंगे।
दैनिक भास्कर के एक आर्टिकल में बताया गया है कि यूरिन भविष्य की एक संभावना है जो कभी खत्म ना होने वाला बिजली का स्रोत है। यह कोयला से आगे बढ़कर बिजली का एक अच्छा स्रोत है जो कभी समाप्त नहीं होगा।
इस अनुसंधान पर अभी काम चल रहा है भविष्य में यह खोज अत्यंत प्रभावी होगी। जब तक मनुष्य धरती पर रहेगा तब तक इस स्त्रोत की कोई कमी नहीं होगी। अभी तक मानव अपशिष्ट केवल खाद के रूप में प्रयोग किया जाता था लेकिन अब मानव अपशिष्ट का प्रयोग बिजली बनाने के लिए भी किया जाएगा । यह मानव जाति की बहुत बड़ी सफलता है।
मेरठ के एक होनहार छात्र ने यूरिन से बना दी थी बिजली और अब इस देश में इस संभावना को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने की आवश्यकता है। इसके लिए भारत सरकार को आगे आकर इन संभावनाओं को समेटने की आवश्यकता है।