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up election 2022 देश के सियासत में अपनी बयानबाजी के कारण जाने जाने वाले अयोध्या राम घाट स्थित तपस्वी जी की छावनी के महंत जगतगुरु आचार्य परमहंस दास ने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। 25 जनवरी मतदाता दिवस के दिन आचार्य परमहंस ने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। पहले अयोध्या से योगी जी चुनाव लड़ेंगे यह बातें सुनने में आ रही थी लेकिन इसके बाद योगी जी गोरखपुर सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं इसलिए आचार्य परमहंस ने कहा कि वह अयोध्या से चुनाव लड़ेंगे। आचार्य परमहंस ने ने तपस्वी छावनी में हवन पूजन कर साधु संतों को मतदान का संकल्प दिल आया संत परमहंस ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को अयोध्या से कोई समुचित प्रत्याशी नहीं मिल पा रहा था ऐसे में वह अयोध्या से चुनाव लड़ेंगे और संत समाज के उत्थान के लिए काम करेंगे।
up election 2022 आचार परमहंस ने कहा कि बीजेपी पार्टी को अयोध्या से कोई प्रत्याशी नहीं मिल रहा था ऐसे में वह खुद चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि अयोध्या मठ मंदिर और साधु संतों का शहर है । साधु-संतों के शहर का प्रतिनिधि संत ही होना चाहिए आचार्य परमहंस ने कहा कि मठ मंदिरों की बिजली और पानी फ्री होना चाहिए। अयोध्या के साधु संत भिक्षा मांगकर के मठ मंदिर का संचालन कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि संत समाज को जो सम्मान मिलना चाहिए, वह तभी मिल पाएगा जब उनकी विचारधारा का कोई जनप्रतिनिधि संत समाज के बीच का हो। आचार्य परमहंस ने कहा कि – अगर भारतीय जनता पार्टी उन्हें अयोध्या से चुनाव लड़ने के लिए टिकट देती है तो वह लड़ेंगे । लेकिन यदि भारतीय जनता पार्टी आचार्य परमहंस को टिकट नहीं देती है तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे वह बीजेपी से टिकट मांगने के लिए नहीं जाएंगे।
up election 2022 आचार परमहंस ने कहा कि जब मौलवियों को सैलरी दी जा सकती है तो संतो को क्यों नहीं अगर उन्हें बीजेपी टिकट देती है तो वह है संतों को 40000 सैलरी दिलवा आएंगे और मंदिरों और मटरू की बिजली पानी की व्यवस्था फ्री होगी उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी उन्हें टिकट नहीं देगी तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे और भगवान राम की नगरी अयोध्या का प्रतिनिधित्व संत समाज ही करेगा।
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up election 2022 हमारे देश में बेरोजगारी की इतनी समस्या है कि यदि किसी पत्थर को उछालो तो वह जब नीचे गिरेगा तो किसी बेरोजगार पर ही गिरेगा । हमारे देश में बेरोजगारों की भरमार है। सरकारी रोजगार देने के दावे करती हैं, वह अलग बात है। सरकार है तो दावे करेंगी ही लेकिन यदि पर्याप्त रोजगार दे दिए होते तो क्या छात्र छात्राओं को आंदोलन के लिए मैदान में आना होता। आचार्य परमहंस ने कहा कि वह संतो को 40000 सैलरी दिलवाएंगे। सरकार पहले देश के युवा शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार दे दे फिर इसके बाद संतों की सैलरी की भी बात हो जाएगी और जब नेता ही बनना था तो संत क्यों बने और जब ऐसे संत नेता बनेंगे तो लॉजिक तो डायनासोर की तरह विलुप्त हो जाएगा। और देश अपनी पटरी से उतर कर किस खाई में गिरेगा पता नहीं।