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Agra में यहां रोजाना ‘मौत का सफर’ करते हजारों लोग, दो वक्त की रोटी के लिए मजबूर

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2 जून की रोटी के लिए इंसान क्या कुछ नहीं करता है, कितनी भी मुसीबतों को उठाकर उफ्फ तक नहीं करता है हम आपको कुछ ऐसे लोगो की कहानी बताने जा रहे हैं जो हर रोज अपनी जान को जोखिम में डालकर नदी पार कर, वह अपने काम पर जाते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं आगरा के रुनकता की, जहां शनिदेव मंदिर के पास यमुना नदी के रास्ते पर दूसरे पार से हर रोज लगभग 3 हजार से ज्यादा लोग नदी पार करके आगरा के लिए आवाजाही

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Agra में नदी के उस पार के 25 गांवों को जोड़ती है ये नाव

इस नदी के उस पार लगभग 25 से 30 गांव हैं. इनकी कुल आबादी लगभग 30 से 40 हजार है. रोजगार व काम धंधे की तलाश में यहां के लोग आगरा शहर का रुख करते हैं. बीच में यमुना नदी को पार करना पड़ता है. नदी को पार करने का केवल एक ही साधन है वह है ये नाव.  इस नाव को केवल रस्सी के सहारे से खींचकर उस पार तक ले जाया जाता है. इसी नाव पर स्कूली बच्चे ,महिलाएं ,कारीगर, मजदूर सवार होकर उस पार पहुंचते हैं,

यहां के आसपास के लोग बताते हैं कि उनकी कई पीढ़ियां बीत गई लेकिन इस नदी पर पुल नहीं बना है. केवल आने जाने का यही एक नाव साधन हैं. कई बार बड़े हादसे भी हुए हैं .

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कई पीढ़िया कर रही हैं इसी नाव से सफर

जहां के बुजुर्ग  बताते हैं कि उनकी कम से कम तीन पीढ़ियां बीत गई तो इसी नाव से सफर तय करती हैं. उन्हें आज भी आश है किस नदी पर पुल बने और यहां के लगभग 25 से 30 गांव को पुल से जोड़ा जाए, अगर इस नदी पर पुल बनता है तो उनके आने-जाने का रास्ता तो सुलभ होगा इसके साथ गांव का भी विकास तेजी से होगा, आज भी बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे महिलाएं, बुजुर्ग अपनी जान जोखिम में डालकर नाव पर सवार होकर उस पार पहुंचते है. इसी छोटी सी नाव पर मोटरसाइकिल, सामान लाद कर ले जाया जाता है, भगवान ना करें कि कभी कोई बड़ा हादसा हो जाए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा ?

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बरसाती मौसम में लोगों को होती है सबसे ज्यादा दिक्कत

सबसे ज्यादा मुश्किल  बरसात के दिनों में आती है. जब यमुना का जलस्तर बढ़ जाता है. पानी का बहाव भी तेज़ होता है. ऐसे हालातों में भी ये लोग मजबूरन नाव  इस्तेमाल करते हैं, नाव पर कोई भी बचाव के उपकरण मौजूद नहीं है. यहां के स्थानीय निवासी गोताखोर और नाव चालक बताते हैं कि कई बार बड़े हादसे भी हो गए हैं. एक गोताखोर का तो यहां तक का कहना है कि उन्होंने अब तक 200 से ज्यादा लाश नदी से निकाली हैं लेकिन फिर भी कोई बुनियादी इंतजाम नहीं किया गया,

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सालों बाद बन रहे पुल का काम बेहद धीमा

पिछले कई सालों की मेहनत और प्रयासों के बाद ले देकर एक पुल बनाया जा रहा है, और उसका भी काम बेहद धीमी रफ्तार से हो रहा है. फिलहाल इस पुल का बेस तैयार हो रहा है. अभी इसकी कोठिया बनाई जा रही है. आपको बता दें, कुछ देर की बारिश में ही यहां पानी भर जाता है. जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि बरसात के दिनों में पानी भर जाएगा और इस पुल का काम भी रुक जाएगा. वहीं बरसात का मौसम आने वाले हैं और एक बार फिर से यमुना का जलस्तर बढ़ेगा और चुनौतियां फिर से बढ़ने लगेगी.

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