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कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक, क्या तैयारियां है सरकार की कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए ?

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चिंताजनक जानकारी बच्चों की हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी आंकड़े तक नहीं

भारत सरकार कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए विफल रही। देश की जनता ने ऐसे मुश्किल वक्त में अपनों को खोकर भी खुद अपने आप खुद को संभाला है। लोगों ने ऐसा मंजर देखा है जो कभी नहीं देखा था इतना सहने को मिला है कि अब सहने की ताकत नहीं रही। कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने की अवस्था में है 6 मई के बाद पिछले 2 सप्ताह में संक्रमण के दैनिक मामलों की संख्या 4. 14 लाख से घटकर लगभग 2.6 लाख हो गई है। लेकिन इससे यह समझ लेना बहुत बड़ी गलती होगी की कोरोना महामारी खत्म हो गई है।

डॉक्टर वैज्ञानिक व अधिकारी नियमित रूप से तीसरी लहर की संभावना के बारे में चेतावनी दे रहे हैं कोरोना महामारी की तीसरी लहर के संभावित समय की भविष्यवाणी करना असंभव है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि मजबूत उपायों से कोरोना के तीसरी लहर से बचा जा सकता है। कोरोना महामारी की तीसरी लहर देश के भविष्य बच्चों के लिए बहुत खतरनाक बताई जा रही है। स्थानीय प्रशासन और कुछ अस्पतालों ने तीसरी लहर से निपटने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार करना शुरू कर दिया है।

लेकिन कुछ अस्पतालों व स्थानीय प्रशासन के कुछ प्रयास से बच्चों पर आ रही इस आफत से निपटा जा सकता है। यह बहुत चिंताजनक बात है कि सरकार के पास बच्चों के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के आंकड़े तक मौजूद नहीं है। बच्चों के हेल्थ infrastructure और बच्चों के डॉक्टर और ट्रेंड नर्सों की कमी किसी आपदा से कम नहीं है। भारत की 35 फ़ीसदी आबादी पर इस लहर का असर पढ़ने वाला है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने राज्यों को कहा कि बच्चों के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के आंकड़े पेश करें तो राज्यों को पसीना छूट गया। क्योंकि उनके पास कोई आंकड़ा ही नहीं था। लेकिन कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए अभी भी समय है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ” प्रियांक कानूनगो ” ने बताया कि “आंकड़े राज्यों को थर्डवेव के लिए अलर्ट करने के साथ-साथ केंद्र को भी यह बताएंगे कि किस राज्य में कितनी मदद की जरूरत है ।आयोग ने राज्यों को एक डिटेल्स फार्म भेजा है जिसमें बच्चों के लिए आई सी यू समेत 22 मेडिकल उपकरणो का डाटा मांगा गया है इसमें बच्चों के इलाज के लिए कुल अस्पताल ,नर्सिंग होम, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, डॉक्टर नर्सों के आंकड़े भेजने को कहा है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ अशोक राय कहते हैं कि बच्चों का हेल्थ सिस्टम बिल्कुल अलग होता है उनके लिए वेंटीलेटर ,इंटेंसिव केयर यूनिट और सभी तरह के अन्य मेडिकल उपकरण अलग होते हैं बच्चों के इलाज में केवल डॉक्टर की जरूरी नहीं है बल्कि बच्चों के वार्ड में काम करने वाली नर्सेज भी अलग तरह से ट्रेंड होना चाहिए “।

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को कोरोना की दो लहरों से सबक लेना चाहिए और तीसरी लहर को आने से रोकना चाहिए और यदि कोरोना की तीसरी लहर मे बच्चों के संक्रमित होने के केस आते हैं तो स्वास्थ्य सेवाओं की उत्तम व्यवस्था करनी चाहिए।

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