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Kanpur: जिंदा होने की उम्मीद में परिवार ने 17 महीने तक संभालकर रखा शव, रोज पैर छूकर ड्यूटी पर जाती थी बैंक मैनेजर पत्नी

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Kanpur से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है । यहां के एक परिवार ने अपने एक सदस्य का शव 17 महीने तक घर में छुपाए रखा और किसी को पता भी नहीं चलने दिया । यही नहीं शव को जीवित मानकर घरवाले उसकी सेवा बर्दाश्त भी करते रहे । इस हैरान करने वाले मामले की जानकारी तब सामने आई जब सीएमओ द्वारा जांच के आदेश दिए गए । पुलिस और मेडिकल टीम जब शव को लेने कानपुर स्थित उनके आवास पहुंची तो परिवारीजनों ने इसका विरोध किया और शव देने से मना कर दिया ।

हालांकि बाद में बड़ी मुश्किल से वह शव देने को तैयार हुए । परिवारीजनों का मानना था कि उनका प्रिय अभी जीवित है और कोमा में है । वहीं डॉक्टरों ने इस बेहद अजीब मामले को मोहब्बत को मनोरोग में बदलने का मामला माना है ।

जिंदा समझकर 17 महीने घर में रखा शव- Kanpur

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अस्पताल द्वारा मृत घोषित कर दिए जाने के बाद भी Kanpur में रहने वाले विमलेश के परिजनों को लगता था कि विमलेश जीवित हैं । यही वजह है कि परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार नहीं किया और बॉडी को घर मे रखे रहे । घर मे पिता राम औतार, मां रामदुलारी, पत्नी मिताली, बेटा सम्भव(4) और बेटी दृष्टि (18 माह) के अलावा भाई दिनेश, सुनील और उनकी पत्नियां जो कि घर मे रह रहे हैं सबको उम्मीद थी कि विमलेश एक दिन उठकर खड़े हो जाएंगे ।

पत्नी मिताली दीक्षित जो कि बैंक में असिस्टेंट मैनेजर है वह भी पति को जिंदा समझकर उसकी सेवा करती रही । हर रोज पति के शरीर को गंगाजल मिश्रित पानी से पोंछती थी और पैर छूकर और विमलेश की देह से आज्ञा लेकर बैंक जाती थी । यही नहीं घर मे मौजूद बच्चों को भी लगता था कि विमलेश जीवित है और जल्दी ही उठकर खड़े हो जाएंगे । घर के बच्चे विमलेश के जल्दी ठीक होने की भगवान से मन्नतें भी मांगते थे । विमलेश के भाई दिनेश और सुनील भी सेवा करते रहे और ऑक्सीजन सिलेंडर उनके लिए लाते रहे ।

विमलेश आयकर विभाग में थे तैनात

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Kanpur के कृष्णापुरी रोशननगर के रहने वाले विमलेश कुमार गौतम आयकर विभाग में असिस्टेंट अकाउंट्स ऑफिसर के पद पर तैनात थे । साल 2021 में अहमदाबाद में तैनात विमलेश कोरोना की चपेट में आ गए थे । कुछ दिन वहीं इलाज कराने के बाद जब हालत में सुधार नहीं हुआ तो वह फ्लाइट से कानपुर आ गए थे जिसके बाद 19 अप्रैल को उन्हें मोती हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था । 2 दिन इलाज चलने के बाद 21 अप्रैल को डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया था जबकि 22 अप्रैल को मृत्यु प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया था ।

जिंदा होने की उम्मीद में रखे रहे शव

Kanpur, विमलेश के भाई दिनेश जो कि सिंचाई विभाग में कार्यरत हैं उन्होंने बताया कि विमलेश को मृत मानकर हॉस्पिटल से घर लाकर जब अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रहीं थी तभी किसी ने बताया कि उनकी नब्ज चल रही है । ऑक्सीमीटर में भी ऑक्सीजन लेवल नार्मल आ रहा था जिसके बाद मोहल्ले के एक डॉक्टर ने जांच की और बताया कि विमलेश कोमा में चले गए हैं । उन्होंने बताया कि इसी उम्मीद में हम उन्हें घर मे रखे रहे और उनका इलाज करते रहे । हमें लगा कि वह कोमा में चले गए हैं । हम उनके लिए ऑक्सीजन सिलेंडर लाते रहे ।

वहीं उन्होंने बताया कि हमने हैलट के एक डॉक्टर से सम्पर्क किया और स्थिति बताई तो उन्होंने कहा कि मरीज ने ढाई महीने से कुछ नहीं खाया जिससे उनकी नसें सिकुड़ गयी होंगी । ऐसे में नली डालने से उनकी म्रत्यु हो सकती है । दिनेश ने बताया कि कोरोना काल मे हमने भाई विमलेश को फार्च्यून, पनेशिया, केएमसी, सिटी हॉस्पिटल लेकर गए लेकिन किसी ने भर्ती नहीं किया सब आरटीपीसीआर रिपोर्ट मांग रहे थे ऐसे में हमारे पास कोई चारा नहीं था । जिंदा होने की उम्मीद में हम विमलेश के शरीर को घर मे रखे रहे ।

Kanpur का एक गुमनाम पत्र से खुला राज

Kanpur के विमलेश की मौत के छठे दिन यानी 27 अप्रैल को विमलेश के अहमदाबाद ऑफिस को पत्नी मिताली दीक्षित का एक पत्र प्राप्त हुआ था जिसमे विमलेश के नाम के आगे स्वर्गीय अंकित था । पत्र में जानकारी दी गयी थी कि विमलेश की कोरोना से मृत्यु हो गयी है इसलिए तुरंत पेंशन आदि कागजी कार्यवाही पूरी की जाए । वहीं बाद में फिर से एक पत्र प्राप्त हुआ जिसमें बताया गया कि विमलेश की नब्ज चल रही है और वह जिंदा है जिसके बाद विभाग उलझन में फंस गया । इसके बाद विभाग विमलेश के नाम पत्र भेजता रहा लेकिन किसी ने कोई उत्तर नहीं दिया ।

17 महीने से नौकरी पर न जाने से विभाग ने भी जांच करवाई । बाद में अहमदाबाद ऑफिस को एक गुमनाम चिट्ठी मिली जिसमे बताया गया कि विमलेश की मौत हो चुकी है और उसकी डेड बॉडी घर मे है । इसके बाद अहमदाबाद विभाग से जोनल अकाउंट्स ऑफिसर की एक टीम जांच करने भेजी गयी लेकिन परिजनों ने उन्हें घर मे घुसने नहीं दिया जिससे टीम वापस लौट गई । इसके बाद विभाग ने सीएमओ को पत्र लिखा जिसके बाद पुलिस और मेडिकल टीम सुबह 11 बजे शव लेने पहुंची हालांकि तब भी परिजनों ने आपत्ति जताई और बड़ी मुश्किल से शव देने को राजी हुए । टीम दोपहर 2 बजे शव लेकर मेडिकल कालेज पहुंची ।

जांच में मृत घोषित करने का बाद शव परिजनों को सौंपा गया जिसे लेकर वह गायब हो गए । बाद में पुलिस ने किसी तरह से ढूंढकर शव का अंतिम संस्कार भैरोघाट स्थित विद्युत शवदाहगृह में करवाया ।

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