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the collection report: चीन और भारत के बीच हुई गलवान झड़प में चीन के 4 सैनिक नहीं 38 सैनिक मारे गए थे

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भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई बलवान झड़प में चीन के 4 नहीं 38 सैनिकों की हुई थी मौत (the collection report)

the collection report: वर्ष 2020 में भारतीय सेना और चीनी सेना में एक धड़क हिंसक झड़प हुई थी जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे यह भारत के लिए एक असहनीय दर्द था सेना ने अपने बयान में कहा था कि 17 जवानों की मौत हुई है लेकिन यह संख्या बढ़कर बाद में 20 हो गई डेथ हो गई लेकिन चीन के कितने सैनिकों की मौत हुई है । यह चीन ने नहीं बताया था कि उसने बयान दिया था लेकिन उसमें भी चीन ने साफ नहीं कहा था कि उनके कितने सैनिक मरे हैं फरवरी 2021 में चीन के गलवान घाटी में मरने वाले 4 सैनिकों को मेडल देने की घोषणा की । the collection report में कहा गया कि चीन के नुकसान के दावे नए नहीं है हालांकि जो सबूत सोशल मीडिया रिसर्चर के ग्रुप में जुटाए हैं वह इस बात के समर्थन में है कि चीन को हुआ नुकसान 4 सैनिकों की मौत के दावे से कहीं ज्यादा था।

रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन के 4 सैनिकों की नहीं, 38 सैनिकों की हुई थी मौत :-

गलवान झड़प में देखा गया कि चीन ने भारतीय कब्जे वाले क्षेत्र में चीन ने अस्पताल, हथियार और अन्य मशीनों को रखने के लिए ढांचे बना लिए हैं (the collection report)

समाचार एजेंसी पीटीआई और ए एन आई के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के एक अखबार दक्षिण कलेक्शन ने अपने एक खोजी रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन की तरफ से 4 सैनिकों की मौत का आंकड़ा बताया गया था लेकिन इस से 9 गुना ज्यादा कम से कम 38 पीएलए जवानों की मौत हुई थी रिपोर्ट में शोधकर्ताओं और चीन के ब्लॉगर्स के हवाले से एक हवाई दी गई है सुरक्षा कारणों की वजह से उनके नाम उजागर नहीं किए गए हैं the collection report में कई विवो यूजर्स के हवाले से दिया गया है और कहा गया है कि उस रात एक जूनियर सार्जेंट समेत कम से कम 38 पीएलए सैनिक डूब गए थे वही जो आधिकारिक आंकड़े आए थे उनमें चार मौतों की बात कही गई थी सिर्फ जूनियर सर्जन के ही डूबने का जिक्र किया गया था।

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झड़प की स्थिति कैसे बनी थी गलवान घाटी में

एक अस्थाई पुल को लेकर हुई थी झड़प the collection report

गलवान घाटी में हुई दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प की स्थिति एक पुल को लेकर बनी थी। बताया जा रहा था कि दोनों देशों की सेनाओं के अधिकारियों ने बफर जोन बना रखा है कि वहां ना तो चीन का कब्जा है और ना ही भारत का वह विवादित क्षेत्र है, लेकिन चीन ने बफर जोन में बुनियादी ढांचे तैयार कर लिए और पेट्रोलिंग का एरिया बढा़ लिया था। भारतीय सेना ने एक अस्थाई पुल बनाया, जिससे चीनी सैनिकों की गतिविधि पर नजर रखी जा सके। एक तरफ चीन खुद ही बफर जोन पर अपना एरिया बढ़ा रहा था और जब भारतीय सेना अस्थाई पुल बनाने लगे तो पीएलए सैनिकों की तरफ से जोरदार विरोध किया गया। 6 जून को 80 सैनिक चीन के पुल बर्बाद करने और 100 भारतीय सैनिक पुल को बचाने के लिए लगे थे । 6 जून के गतिरोध के बाद दोनों तरफ से अधिकारियों ने बफर जोन पार करने वाले सभी जवानों को वापस बुलाने के लिए सहमत हो गए लेकिन चीन ने समझौते का पालन नहीं किया, जैसा कि चीन हमेशा से करता आया है । चीनी सेना की तरफ से अपने ढांचे नहीं हटा कर भारतीय सेना की तरफ से तैयार किये पुल को बर्बाद कर दिया था। 15 जून को संतोष कर्नल और भारतीय सेना गलवान घाटी में संघर्ष वाले क्षेत्र में फिर से आई चीन की तरफ से किए गए अतिक्रमण को हटाया जाए। वहां चीन के लगभग डेढ़ सौ सैनिक तैनात थे जैसा कि हम भारतीयों की खून में ही हैं, पहले चेतावनी देने का लेकिन उन्होंने चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया । फिर दोनों सेनाओं के बीच झड़प हुई और भारत के बीस सैनिक शहीद हो गए लेकिन चीन ने अभी तक यह बात आधिकारिक तौर पर नहीं बताई है कि चीन के बहुत से सैनिक इस झड़प में मारे गए थे।

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