National Symbol: राष्ट्रीय प्रतीक कैसे बन गया अशोक स्तंभ, उस पर बने हुए ये चार शेर असल में क्या दर्शाते हैं

National Symbol

National Symbol: राष्ट्रीय प्रतीक यानी अशोक स्तंभ भारत सरकार के आधिकारिक लेटरहेड का भी एक हिस्सा है. इसके अलावा भी भारतीय मुद्रा पर भी इसके चिन्ह को छापा जाता है. भारत के पासपोर्ट पर भी प्रमुख रूप से अशोक स्तंभ को ही अंकित किया गया है. वहीं अगर बात करे तो आधिकारिक पत्राचार के लिए किसी भी व्यक्ति या अन्य किसी निजी संगठन व संस्थान को इस प्रतीक को उपयोग करने की अनुमति नहीं है.

अशोक स्तंभ, आज हम जानेंगे कैसे बन गया राष्ट्रीय प्रतीक, उस पर बने ये चार शेर असल में क्या क्या दर्शाते हैं


Updated: Jul 15, 2022, 12:40 PM

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अभी हाल ही में भारत के नए संसद भवन के शीर्ष पर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को लगाया गया है. सम्राट अशोक के शासन काल में बने इस स्तंभ में चार सिंहों को चार अलग-अलग दिशाओं में दर्शाया गया हुआ है. हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नए संसद भवन के शीर्ष पर स्थापित 6.5 मीटर लंबे और 9,500 किलोग्राम वजनी कांस्य से निर्मित राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ का अनावरण कर राष्ट्र को समर्पित भी किया गया है.

कैसे बना National Symbol चिन्ह

आज हम आपको यहां बताएंगे कि यह स्तंभ राष्ट्रीय प्रतीक कैसे बना, किस नेता ने इसको राष्ट्रीय प्रतीक बनाने का सुझाव दिया था. इसके अतिरिक्त हम यह भी जानेंगे कि अशोक स्तंभ में चार अलग दिशाओं में बैठे ये चार शेर ऐसा क्या जाहिर करते हैं कि इस स्तंभ को भारतीय गणराज्य के प्रतीक के रूप में इसका उपयोग किया जाने लगा.

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अशोक स्तंभ के चिन्ह का इस्तेमाल कहा कहा किया जाता है

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आपको बता दें कि भारत के National Symbol का उपयोग केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और सरकारी संस्थाओं द्वारा अलग अलग जगहों पर किया जाता है और इस स्तंभ को सम्राट अशोक ने 280 ईसा पूर्व में बनवाया था. वह स्तंभ इस समय वाराणसी में स्थित सारनाथ संग्रहालय में रखा हुआ है. इस स्तंभ को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में 26 जनवरी सन् 1950 को अपनाया गया था.

यह प्रतीक भारत सरकार के आधिकारिक लेटरहेड का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसके अलावा भी यह भारतीय मुद्रा पर इसके चिन्ह को छापा जाता है. भारतीय पासपोर्ट पर भी हमेशा प्रमुख रूप से अशोक स्तंभ को ही अंकित किया गया है. वहीं अगर देखा जाए तो आधिकारिक पत्राचार के लिए किसी भी व्यक्ति या अन्य किसी निजी संगठन व संस्थान को इस प्रतीक को उपयोग करने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं है.

CHANDRA PRAKASH YADAV

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