Taj Mahal Controversy: एक बार फिर दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताज महल अपने इतिहास को लेकर विवादों में है। ‘ताज महल या तेजो महल‘ के विवाद ने एक बार फिर तूल पकडा है। इसी सिलसिले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में बीजेपी नेता रजनीश सिंह ने एक याचिका दायर कर ताज महल के तहखाने में मौजूद 22 कमरों को खोलने की मांग की थी। हालांकि हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है।
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एक जानकारी के मुताबिक हमारे देश की भव्य धरोहर ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के कुछ वंशज आज भी आगरा शहर में रहते हैं। इन्हीं कारीगरों के वंशज जिनका नाम हाजी ताहिरुद्दीन है, उन्होंने ताजमहल के 22 कमरों को लेकर कुछ जानकारी दी है। 80 साल के ताहिरुद्दीन ताज महल के कारीगरों के वंशज होने के साथ-साथ ताजमहल के गाइड भी है। अब यह पत्थर पर हाथ के काम की नक्काशी करते हैं। उन्होंने जी न्यूज़ चैनल के साथ इस भव्य धरोहर और ऐतिहासिक इमारत के बारे में कुछ बात करते हुए ताजमहल के 20 कमरों के राज से पर्दा उठा दिया है।
ताहिरुद्दीन ने ताजमहल के बारे में जो कुछ भी बताया है वह कुछ इस प्रकार है,
पिछले कुछ दिनों से चर्चा में रही इस भव्य इमारत ताजमहल की 20 कमरे कब्रों के नीचे बने हुए हैं। इसे ASI स्टोरेज की तरह ही इस्तेमाल करता है। यह कमरे पहले तो जूते रखने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे लेकिन जब से पर्यटकों का आना जाना बढ़ने लगा तो इसे बंद कर दिया गया लेकिन इन कमरों को जर्जरित होने के लिए नहीं रखा गया है क्योंकि ASI द्वारा बीच बीच में इन कमरों को खोलकर इनकी योग्य तरह से साफ सफाई भी की जाती है।
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यह बात बिल्कुल ही सच है और ऐसा इसलिए क्योंकि कूंए के पानी से संगमरमर ठंडा ही रहता है और संगमरमर को जोड़ने के लिए जिस चुने का इस्तेमाल किया गया वह भी मजबूत होता है। कुएं आपस में जुड़े हुए हैं पानी भी ओवरफ्लो नहीं होता है। साथ ही पास ही यमुना नदी से भी इसका कनेक्शन है।
वैसे यह बात कई लोगों के मुंह से सुनने में आती है की ताजमहल को बनवाने के बाद शाहजहां ने कारीगरों के हाथ काट दिए थे लेकिन ताहिरुद्दीन कहते हैं की यह बात बिल्कुल ही गलत है। उन्हें Hand cut agreement को लेकर कहा गया था। शाहजहां ने कारीगरों से कहा था कि अब आप लोग दूसरा ऐसा कुछ भी न बनाए। हम आपका हर तरह से ख्याल रखेंगे। इतना ही नहीं शाहजहां ने अपने किए गए इस वादे को भी पूरा किया था और South gate पर कुछ परिवारों को बसाया गया।
ताजमहल को जर्नलिस्ट और आर्कियोलॉजी एक्सपर्ट डॉक्टर भानु प्रताप सिंह कहते हैं,
मैंने ताजमहल को पूरा देखा है। ताज महल में कभी भी उन 22 कमरों को नहीं खोला गया है। साल 1932 में कुछ अंग्रेजों ने वह कमरे देखे हैं ऐसा मैंने सिर्फ सुना है। ASI कोई भी खतरा मोल नहीं लेना चाहता है इसलिए उन्होंने इस कमरे को खोला ही नहीं। ताजमहल पहले खोला गया था तब वहां कमरे और टॉयलेट बने हुए थे।
ताजमहल में कुछ हिंदू चिह्न मिलते हैं। चारों तरफ परिक्रमा पथ बना है जो सिर्फ मंदिरों में ही होता है.। ऐसा लगता है कि दीवारों से कमरों को बंद कर दिया गया है। ASI यहां उत्खनन कर सकता है। ज्यामितीय सिमिट्री आपको यहां हर जगह मिलेगी लेकिन कब्रों के पास मौजूद नहीं है। साथ ताजमहल में राम, मोहन जैसे नाम भी लिखें हु़ए मिलते हैं। कोर्ट कमिश्नर की देख रेख में ताजमहल का सर्वे होना चाहिए।