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Success Story: दसवीं तक की पढ़ाई.. गोले–बारूद के धंधे ने दिलाई पहचान और बन गए 15000 करोड़ के मालिक

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Success Story: किसी भी इंसान के लिए सफल होने का सूत्र एक ही है– लगन और कड़ी मेहनत। इसी लगन और मेहनत के बूते पर कितने ही लोग फर्श से अर्श तक का सफर तय करते हैं। गुमनामी के अंधेरों से निकल कर फलक पर ऐसे ही कुछ नाम रौशन करने वालों में से एक हैं सत्यनारायण नुवाल । सत्यनारायण का स्याही बनाने से शुरू हुआ सफर आज 3500 करोड़ से अधिक की सोलर इंडस्ट्रीज तक जारी है । भारत सहित कई देशों में फैले कंपनी के कारोबार में करीब 7500 कर्मचारी काम करते हैं ।

हाल ही में एक आंकड़े के अनुसार सत्यनारायण नुवाल की कमाई अब 15000 करोड़ तक पहुंच चुकी है । आइए जानते हैं देश की नंबर –1 विस्फोटक बनाने वाली कंपनी सोलर इंडस्ट्रीज के मालिक सत्यनारायण नुवाल की कहानी।

दसवीं के बाद छूटी पढ़ाई,स्याही बेचकर रखा बिजनेस में कदम

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राजस्थान के भीलवाड़ा में जन्मे सत्यनारायण नुवाल की कहानी एक साधारण इंसान से दुनिया में छा जाने वाले इंसान के तौर पर देखी जाती है । दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद पारिवारिक कारणों से वह आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाए और दादाजी की परचून की दुकान में आने जाने लगे । वहीं 19 साल की उम्र में शादी हो जाने के बाद कब बचपन की जगह जिम्मेदारियों ने ले ली उन्हें पता ही न चला । मुसीबत तब और हुई जब पिता की नौकरी छूटी और रिटायरमेंट हुआ उसके बाद तो गृहस्थी की गाड़ी खींचना ही मुश्किल हो गया । हालांकि सत्यनारायण ने विपरीत परिस्थितियों में भी संयम बनाए रखा और कमाई के रास्ते खोजे ।

1977 में पहुंचे महाराष्ट्र और बदल गई किस्मत

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Success Story, घर के खर्च चलाने के लिए सत्यनारायण ने इस बीच फाउंटेन पेन की स्याही बेचने का धंधा शुरू किया पर इससे उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली । रोजी रोटी के जुगाड में नुवाल 1977 में महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में पहुंचे जहां बल्हारशाह में उनकी मुलाकात अब्दुल सत्तार अल्लाहभाई से हुई । इसी मुलाकात ने नुवाल की किस्मत का सिक्का पलटा । अल्लाहभाई कुंए,खदानों और सड़कों की खुदाई में काम आने वाले विस्फोटकों के व्यापारी थे । यहीं से नुवाल ने इस धंधे में कदम रखा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह अल्लाहभाई के विस्फोटकों के लाइसेंस का उपयोग कर छोटा मोटा बिजनेस करने लगे ।

कंपनियों के एकाधिकार को तोड़ा,शुरू की अपनी इकाई

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साल 1984 में नागपुर आने के बाद नुवाल को महसूस हुआ कि इस क्षेत्र में कुछ कंपनियों का एकाधिकार है जो मनमाने ढंग से कार्य करती हैं । यहीं पर उनकी नजदीकी सरकारी कंपनी वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड से बढ़ी जिसके बाद उन्हें छोटे मोटे टेंडर मिलने लगे । शुरुआत में डीलर 250 रुपए में 25 किलो विस्फोटक खरीदते थे और उसे बाजार में 800 में बेचते थे पर कुछ समय बाद ही सरकार द्वारा पैसे बढ़ाए जाने से इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई । साल 1995 में नुवाल ने एसबीआई से 60 लाख का कर्ज लेकर नागपुर में ही विस्फोटक निर्माण की छोटी इकाई शुरू।

नुवाल की सरकार से नजदीकी काम लाई और कोल इंडिया उनका भरोसे का ग्राहक बन गया । शुरू में सोलर इंडस्ट्रीज को छोटे मोटे ठेके मिलते थे पर साल 1996 उनके लिए टर्निंग पॉइंट रहा जब उन्हें सालाना 6000 टन विस्फोटक बनाने का लाइसेंस मिल गया ।

कंपनी में 7500 कर्मचारी, 35000 करोड़ की कम्पनी बनी सोलर इंडस्ट्रीज

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Success Story, देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में भी सत्यनारायण नुवाल आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं । भीलवाड़ा जैसे छोटे शहर से निकलकर देश की टॉप शख्सियत बनने तक उन्होंने लम्बा सफर तय किया है । यकीनन 1000 रुपए से 35000 करोड़ की सोलर इंडस्ट्रीज बनाने तक में उनकी मेहनत और लगन का योगदान है। आज उनका विस्फोटकों का कारोबार देश के अलावा विदेशों में भी फैला हुआ है जहां वह 7500 कर्मचारियों को रोजगार दे रहे हैं ।

अब कंपनी रक्षा क्षेत्र में भी पैठ बढ़ा रही है । साल 2021 में कंपनी ने पिनाक राकेट के उन्नत संस्करण का सफल परीक्षण किया । यही नहीं जुलाई में कंपनी ने ब्रह्मोस मिसाइल में प्रयोग आने वाले स्ट्रैप ऑन बूस्ट का ठेका भी हासिल कर लिया है । फोर्ब्स की रिच लिस्ट के अनुसार सत्यनारायण नुवाल भारत के अरबपति रह चुके हैं । आज उनकी कुल कमाई करीब 15000 करोड़ है ।

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