Story of Mughal Empire: 6 अप्रैल 1702… ये वह ताऱिख है जब मुगलों के घराने में जन्म लिया औरंगजेब के पोते नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह ने… जो मोहम्मद शाह रंगीला के नाम से मशहूर हुए… यह बड़े ही रंगीन तबके के थे इन्हें नाच गाने का बड़ा शौक था, वहीं औरंगजेब एक क्रुर शासक तो था ही लेकिन वह संगीत विरोधी था जिसके चलते संगीत पर पाबंदी लगा दी गई, जिसके बाद विरोध में हजारों कलाकारों ने वाद्ययंत्रों का जानाजा निकाला.
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सन 1707 में औरंगज़ेब का निधन हो गया और अगले 20 सालों में तीन बादशाह के क़त्ल कर दिए गए, उसके बाद दिल्ली की हुकूमत की बागडोर मुहम्मद शाह रंगीला के हाथों में आ गई । फिर तो जैसे तमाम कलाएं अपनी पूरी ताक़त के साथ सामने आ गईं.
मशहूर इतिहासकार और कला समीक्षक विलियम डेलरिम्पल का कहना है कि ‘मुहम्मद शाह रंगीला और बहादुर शाह ज़फर के शासनकाल में कला के क्षेत्र में कई असाधारण कार्य हुए। उसने राजस्थान के दो मशहूर चित्रकार, को बुलाकर अपने दरबार में नियुक्त किया।
इन कलाकारों की कृतियां शाहजहां काल के चित्रों से ज़्यादा कल्पनाशील, कहीं अधिक बोल्ड और चित्तग्राही थीं। इन चित्रों में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच की रेखाएं धुंधली हो गईं थीं। तस्वीरों में बादशाह अपने दरबारियों के साथ होली खेलता दिखाई देता है। कुछ तस्वीरों में मुसलमानों के साथ हिंदू संत बातचीत करते दिखाई देते हैं।’
शाहजहां के बाद पहली बार दिल्ली में मुग़ल चित्रकारों का दूसरा दौर शुरू हुआ। इसी दौर की एक और तस्वीर मशहूर हुई, जिसमें ख़ुद मुहम्मद शाह रंगीला को एक कनीज़ से सेक्स करते दिखाया गया है। जिसके बाद पूरी दिल्ली में अफवाह फैल गई कि बादशाह नामर्द है, जिसे दूर करने के लिए वह इस तस्वीर का सहारा ले रहे हैं।
दरअसल अकबर शाहजहां और औरंगज़ेब, के बाद सबसे ज़्यादा दिनों तक हुकूमत करने वाले मोहम्मद शाह रंगीला को युद्ध पंसद नहीं था और उसे साम्राज्य के विस्तार की कोई ख्वाहिश भी नहीं थी। उनके दिन की शुरुआत ‘दर्शन झरोखा’ से होती थी। मुहम्मद शाह रंगीला का एक शौक और भी अनोखा हुआ करता था। उन्हे औरतों के कपड़े पहनना पसंद थे। अक्सर वह दरबार में लंबे जनाना के कपड़ों में आ जाता। और उस वक़्त उसके पांव में मोती से जड़े हुए जूते हुआ करते थे।
कमजोर होने के बावजूद भी काबुल से लेकर बंगाल तक मुग़ल शहंशाह का सिक्का चलता था और उसकी राजधानी दिल्ली उस समय दुनिया का सबसे बड़ा शहर थी। ऐश्वर्य से भरी दिल्ली में 20 लाख लोग रहते थे। यह लंदन और पेरिस की संयुक्त आबादी से भी ज़्यादा थी और उसका शुमार दुनिया के अमीर तरीन शहरों में किया जाता था।
Story of Mughal Empire, मोहम्मद शाह के दौर में कई विदेशी शक्तियों की नजरें मुगल सल्तनत पर गड़ी हुई थी,दरअसल इस वक्त मुगल काफी कमजोर थे क्योकि पिछले लगभग 20 साल में कई सारे सम्राटों द्वारा गद्दी पर बैठाए जाने के कारण मुगल साम्राज्य बेहद ही कमजोर पड़ गया था जिसके कारण कई विदेशी शक्तियां भारत पर अपने पांव पसार रही थी।
बेतहाशा अफ़ीम और शराब की लत ने मुहम्मद शाह की ज़िंदगी छोटी कर दी। कहा जाता है कि एक दिन मोहम्मद शाह रंगीला को अचानक गुस्से का दौरा पड़ा। हकीमों ने उठाकर हयात बख़्श बाग़ भेज दिया। सारी रात बेहोश रहने के बाद अगले दिन मुहम्मद शाह चल बसे। यह 1748 का वर्ष था और तारीख थी 26 अप्रैल। उन्हे बाबा निज़ामुद्दीन औलिया की मज़ार में अमीर ख़ुसरो के बराबर में दफ़न किया गया। उस वक़्त मुहम्मद शाह की उम्र सिर्फ 46 वर्ष की थी।
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ज़ाहिर है कि मुहम्मद शाह रंगीला बाबर, अकबर या औरंगज़ेब के मुक़ाबले कोई मंजा हुआ फौजी जनरल नहीं था और ना ही उसकी सैन्य क्षमता मजबूत थी। इन सबके बावजूद इसके, विपरीत परिस्थितियों, बाहरी हमलों और देश के अंदर ताकतवर दरबारियों की साज़िशों से निपटते हुए मुग़ल सल्तनत की बिखरी हुई चीज़ों को संभालकर रखना मुहम्मद शाह की सियासी कामयाबी का सबूत है।
मुहम्मद शाह रंगीला ने हिंदुस्तान की गंगा-जमनी तहजीब, सांस्कृतिक गतिविधियों और कलाओं को प्रोत्साहित करने में जो भूमिका निभाई है, वह वाकाई तारीफों के लायक है।