State Bank Of India Recruitment ने विरोध के बाद से गर्भवती महिला को लेकर भर्ती के नियमों को अब बदल दिया है। असल में SBI ने पिछले दिनों एक आदेश को जारी किया था। जिसमें यह कहा गया था कि 3 महीने से अधिक गर्भवती महिला को नियुक्ति के लिए अनफिट समझा जाएगा। चूंकि एसबीआई ने यह भी कहा था कि ऐसे आवेदक बच्चों को जन्म देने के 4 महीने के अंदर ज्वाइन भी कर सकते हैं। लेकिन नए आदेश में एसबीआई ने बताया कि वह भावनाओं का ध्यान रखते हुए बदले हुए भर्ती नियमों पर रोक लगा रहा है, तथा आगे होने वाली भर्तियां पुराने नियमों के आधार पर ही की जाएंगी।
इससे पहले भी State Bank Of India में Requirement (नियुक्ति) के लिए 6 महीने तक गर्भवती महिलाओं को योग्य समझा जाता था। चूंकि उन्हें डॉक्टर के सर्टिफिकेट की भी जरूरत पड़ती थी। फिलहाल 1 दिसंबर को बैंक ने ऐलान किया कि 3 महीने से अधिक गर्भवती महिलाओं को सर्विस के लिए अस्थाई तौर पर अनफिट माना जाएगा।
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State Bank Of India Recruitment दिल्ली महिला आयोग के Chairperson स्वाति मालवीय ने SBI नए नियम को गैरकानूनी तथा भेदभाव करने वाला बताया है। उसने ने State Bank Of India Recruitment को नोटिस भी जारी किया था। मालवीय ने उस नोटिस में कहा था कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बैंक द्वारा 31 दिसंबर को हाल ही में जारी किए गए एक सर्कुलर में 3 महीने से अधिक गर्भवती महिलाओं को सर्विस ज्वाइन करने से रोका गया था। नोटिस में यह भी कहा गया था कि इसके बावजूद भी उनका चयन प्रक्रिया के जरिए किया गया था।
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दिल्ली महिला आयोग ने State Bank Of India Recruitment किस सर्कुलर को कोड ऑफ सोशल सिक्योरिटी (Code of Social Security) 2020 के अंतर्गत दिए गए मातृत्व के बेनिफिट्स के खिलाफ था। इसमें भी कहा था कि इसके अलावा यह लिंग के आधार पर भी भेदभाव करता है। जोकि भारत की संविधान के अंतर्गत दिए गए मूलभूत अधिकार के खिलाफ है।
आपको यह बता दे कि State Bank of India द्वारा गर्भवती महिला उम्मीदवारों के लिए भी भारतीय नियम में किया गया बदलाव को दिसंबर 2021 यानी की मंजूरी की तारीख से प्रभावी माना गया है। हालांकि प्रमोशन से जुड़े नियम एक अप्रैल 2022 से ही लागू होंगे।
दरअसल अखिल भारतीय स्टेट बैंक (ASBI) कर्मचारी संघ के महासचिव के एस कृष्णा के अनुसार यूनियन ने SBI प्रबंधन को पत्र लिखकर दिशा निर्देश को वापस लेने का भी आग्रह किया है। उनके अनुसार एक महिला पर बच्चा पैदा करने तथा रोजगार के बीच चुनाव करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये उनके प्रजनन अधिकारों तथा रोजगार के अधिकार दोनों में दखल अंदाजी करता है।