Sri Lanka Economic Crisis: कभी स्वर्ण नगरी रही श्रीलंका पर इन दिनों आर्थिक संकट आया हुआ है और देश भारी चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में श्रीलंका की राजपक्षे सरकार के सभी 26 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है। ज्ञात हो कि बढ़ते आर्थिक संकट, भुखमरी और अस्थिरता के बीच राजपक्षे सरकार पर जनता का भारी दबाव था। देश पर आए संकट से निपट न पाने के लिए जनता सरकार को दोषी ठहराते हुए राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रही थी।
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देश पर आए इस अभूतपूर्व संकट से त्रस्त होकर जनता सड़कों पर उतर आई है और माहौल में अस्थिरता, अराजकता व्याप्त है। ज्ञात हो कि यह स्थिति कई दिनों से श्रीलंका में बनी हुई है। रविवार रात को भी सरकार के खिलाफ भारी प्रदर्शन हुए। देश भर में सोशल मीडिया पर ऐक्टिविस्ट द्वारा सड़कों पर उतरने के लिए लगातार अपील की जा रही है जिसके परिणाम स्वरूप भारी भीड़ सड़कों पर उतर आई और सरकार से इस्तीफे की मांग करने लगी। बता दें कि पिछले सप्ताह 31 मार्च को भी भीड़ ने राष्ट्रपति आवास का घेराव करते हुए बसों और अन्य वाहनों को आग के हवाले कर दिया था।
प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बेटे और खेलमंत्री सहित सरकार में कई पद सम्भाले नमल राजपक्षे ने इस्तीफा देते हुए कहा कि उन्होंने सचिव को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा,”उम्मीद है प्रधानमंत्री नई कैबिनेट का गठन कर देश को संकट से निकालकर स्थिरता लाने का प्रयास करेंगे।”उन्होंने आगे लिखा,”मैं देश मे शांति, स्थिरता आने की कामना करता हूँ और हम्बनटोटा के लोगों के लिए सदैव काम करता रहूंगा।”
ज्ञात हो कि नमल राजपक्षे के इस्तीफे के घण्टे भर के भीतर ही कैबिनेट में शामिल सभी 26 मंत्रियों ने इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। हालांकि देश मे अपने खिलाफ माहौल होते हुए भी प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने पद नहीं छोड़ा है और वह प्रधानमंत्री बने रहेंगे।
देश को आर्थिक संकट से निकाल पाने में नाकाम रही राजपक्षे सरकार अब अंतरिम सरकार बनाने का प्रयास करेगी। सभी 26 मंत्रियों के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे नई कैबिनेट का गठन करेंगे। ज्ञातव्य हो कि देश मे जरूरी और जीवनोपयोगी चीजों की भारी किल्लत है। डीजल-पेट्रोल, दूध, अंडे, गैस, बिजली, दवाओं सहित तमाम जरूरी चीजों की देश मे भारी कमी है जिसे अब तक सरकार संतुलन में नहीं ला सकी है।
देश में जारी आपातकाल के मद्देनजर सरकार यदि मौजूदा संकट सुलझाने में नाकाम रहती है तो देश मे अंतरिम चुनाव कराए जा सकते हैं। फिलहाल राजपक्षे परिवार पर भारी दबाव है।जनता में उनके खिलाफ आक्रोश व्याप्त है जो कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है।
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ज्ञात हो कि अभी 2 दिन पहले ही भारत सरकार ने श्रीलंका में 40000 मीट्रिक टन डीजल की अपनी चौथी खेप भेजी है। जरूरी खाद्यान्न पदार्थों के अलावा भी भारत की तरफ से संकट में घिरे पड़ोसी श्रीलंका को मदद दी जा रही है।
ज्ञात हो विदेशी कर्ज और ऊर्जा संकट से जूझ रहे इस द्वीपीय देश के मौजूदा संकट की बड़ी वजह कोविड-19 को माना जा रहा है। कोविड काल के दौरान देश की रीढ़ माने जाने वाले पर्यटन उद्योग के बन्द रहने से विदेशी मुद्रा की भारी कमी के हो जाने से मौजूदा संकट गहराया।