Sri Lanka Crisis: चीन की तुलना में श्रीलंका अब भारत के ज्यादा करीब जाता नजर आ रहा है। भारत ने भी श्री लंका संकट को सुलझाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया है।
इन दिनों श्रीलंका (Sri Lanka Crisis) की अर्थव्यवस्था अपने दौर से गुजर रही है। चीन (China) के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करना श्री लंका को महंगा पड़ चुका है। इन दिनों श्री लंका में महंगाई भी अपने चरम सीमा पर है। हालात इस कदर बदतरीन हो चुके हैं कि अब वहां लोगों के पास आवश्यक चीजों को खरीदने के लिए भी पैसे नहीं है। महंगाई और बेरोज़गारी की मार से बदहाल हुई वहां की एक बड़ी आबादी बीते सप्ताह ही रामेश्वरम पहुंची थी, तब से ही देश में श्रीलंका की बदहाली की सुर्खियां भी बनी हुई है।
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Sri Lanka Crisis में तीन दशक तक गृहयुद्ध चला था। 2009 से ही श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने थी। किंतु,अब वहां पर हालात इस कदर बुरे हो चुके हैं, कि लोग श्रीलंका से पलायन कर तमिलनाडु के तटों पर पहुंच रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि लोगों के पास एक वक्त का खाना तक नहीं है। लोग बेरोजगारी की मार से परेशान हो गए हैं। इस प्रकार चीन से संबंध स्थापित करना अब श्रीलंका को भारी पड़ा है।
आर्थिक तंगी के प्रभाव से श्रीलंका के कई विभाग भी बंद हो चुके हैं। यहां तक की अखबारों का प्रकाशन भी नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा खाद्य संकट भी लगातार बढ़ता जा रहा है। सभी पेट्रोल-डीजल स्टेशनों पर सेना की तैनाती की गई है। जनता आए दिन श्रीलंका की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। श्रीलंका पर विदेशी कर्ज भी बढ़ा हुआ है।
इस मुद्दे पर गौर किया जाए तो श्रीलंका के मौजूदा संकट को भारत खत्म कर सकता है। यही सबसे बड़ा कारण है कि श्रीलंकाई नागरिक भारत हिजरत करना चाहते हैं। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को ही श्रीलंका दौरे पर थे। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक वार्ता जारी है और भारत, श्रीलंका को तकरीबन 2.4 बिलियन की आर्थिक सहायता भी दे रहा है। आर्थिक सहायता के साथ ही रक्षा और समुद्री सुरक्षा देने की दिशा में भी भारत श्रीलंका को साथ ले रहा है। अपनी खस्ताहाल आर्थिक स्थिति में श्रीलंका अब चीन के बजाय भारत के करीब आ रहा है।
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श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में भी लगातार गिरावट आ रही है। टूरिज्म से लेकर फूड सेक्टर तक हर उद्योग घाटे में है। इसके अलावा रूस-यूक्रेन वॉर की वजह से समुद्री रूट भी बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है। यही वजह है कि अब Sri Lanka Crisis में बुनियादी चीजों की भी किल्लत हो रही है। भारत हर मोर्चे पर श्रीलंका की सहायता कर रहा है। क्रेडिट लाइन से लेकर आर्थिक गड़बड़ियों को दूर करने के लिए भारत ने सहायता की है।
सिर्फ क्रेडिट लाइन का विस्तार ही नहीं किंतु भारत ने अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं, त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म, और जाफना में एक सांस्कृतिक केंद्र सहित संयुक्त परियोजनाओं की एक श्रृंखला पर भी काम शुरू कर दिया है।
भारत का श्रीलंका की मदद का प्रस्ताव सिर्फ और सिर्फ श्रीलंकाई लोगों की मुश्किलों को कम करना है। Sri Lanka Crisis के लिए भारत ही अब तक सबसे बड़ा मददगार साबित हुआ है। यदि अब श्रीलंका भारत को तरजीह दे तो समुद्री सीमा में चीन के खिलाफ भारत को भी मजबूत बढ़त मिलने के मौके बन सकते है। चीन और श्रीलंका की दूरियों का सबसे बड़ा फायदा भारत को ही होगा।