Sharda Peeth Kashmir: 75 साल बाद मुसलमानों ने कश्मीरी पंडितों को सौंपी शारदा पीठ की जमीन

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मुस्लिम भाईयों ने दी भाईचारा की मिसाल

जम्मू – कश्मीर के टिटवाल गांव में मुस्लिम भाइयों ने एकता का नया रूप दिया है । टिटवाल पीओके से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित है । यहां पर हिन्दू और मुस्लिम भाइयों ने अलग ही भाईचारा की मिसाल पेश की है । जहां एक ओर मस्जिद वही दूसरे ओर प्राचीन मंदिर और गुरुद्वारा का निर्माण। भाईचारे का मिसाल बनता जा रहा है ।

अब तक बचा रखा था Sharda Peeth Kashmir का मंदिर की जमीन

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1947 में जब हमारे देश का विभाजन हुआ था उसके बाद , प्राचीन शारदा पीठ मंदिर परिसर और गुरुद्वारा आदिवासी हमलों में क्षतिग्रस्त हो गए थे । तब से यह जमीन वीरान और खाली पड़ी हुई है । लेकिन बहुसंख्यक समुदाय , जो वहा मुसलमान हैं , उन्होंने जमीन के इस टुकड़े को जस का तस बचा कर रखा है ।

Sharda Peeth Kashmir समिति में कौन कौन से लोग है सामिल

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रिपोर्ट की माने तो वर्ष 2021 में वार्षिक शारदा पीठ यात्रा और पूजा के लिए ग्रामीणों ने यह जमीन कश्मीरी पंडितों को सौंप दी । दिसंबर 2021 में इस भूमि पर पारंपरिक तरीकों से पूजा की गई और इस मंदिर के जीर्णोद्धार और निर्माण के लिए शारदा समिति ने एक मंदिर निर्माण समिति का गठन किया । समिति में तीन स्थानीय मुस्लिम , एक सिख और कश्मीरी पंडित शामिल है ।

28 मार्च को Sharda Peeth Kashmir शुरू हुआ मंदिर निर्माण

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कश्मीर के इस टिटवाल गांव में 28 मार्च को माता शारदा मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया और इस मंदिर के साथ ही गुरुद्वारा और मस्जिद का निर्माण भी शुरू हो गया है । सेव शारदा कमेटी के पदाधिकारियों ने कहा कि हम यहां हिंदू मुस्लिम की भाईचारे की मिसाल कायम करना चाहते हैं ।

क्षतिग्रस्त मंदिर और गुरुद्वारे के मिले है अवशेष

रवींद्र पंडित के अनुसार वहा क्षतिग्रस्त मंदिर और धर्मशाला और गुरुद्वारा के अवशेष मिले हैं , जो 1947 में भारत विभाजन के समय आदिवासियों द्वारा क्षतिग्रस्त हो गया था और स्थानीय लोगो की माने तो यही अच्छा होगा कि मंदिर , धर्मशाला और गुरुद्वारा का फिर से निर्माण हो ताकि एक मिसाल कायम हो सके

रवींद्र पंडित ने क्या कहा

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रविन्द्र पंडित ने कहा कि लोग और प्रशासन उनका पूरा सहयोग कर रहे हैं । उन्होने कहा जब वह वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए वहा गए , तो लोगों ने उन्हें वह भूमि वापस दे दी और उन्होंने उसका सीमांकन किया और एक बार फिर से शारदा पीठ मंदिर बनाने का फैसला किया ।

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Sharda Peeth Kashmir में मिल रहा लोगो का पूरा समर्थन

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उन्होंने एक मंदिर निर्माण समिति बनाई जिसमें तीन मुस्लिम , एक सिख और बाकी के कश्मीरी पंडित हैं । इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं यहां के लोगों का पूरा समर्थन मिल रहा है। इसे एक पुनर्वास योजना भी का जा सकता है क्योंकि मंदिर हमारे तंत्रिका केंद्र हैं । वो चाहते हैं कि वहा शारदा सेंटर भी बनाया जाए ताकि लोगों को इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में पता चले ।

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