यदि हम सचेत नहीं हुए तो पानी बर्बाद करने की कीमत चुकानी होगी।हाला दिया है कि शुद्ध पानी पिलाने का बाजार करोड़ों रुपए में पहुंच गया है, लेकिन यह जानकर आप दंग रह जाएंगे कि 1 लीटर शुद्ध पानी तैयार करने में आरो प्लांट वाले 3 लीटर पानी बर्बाद करते हैं।इस पानी को अपने दैनिक उपभोग में शामिल किया जा सकता है लेकिन आरो प्लांट वाले इसे नाली में बहा देते हैं।
यही बर्बादी घर की और मशीन भी करती है। एक तरफ पानी पाताल की ओर तेजी से जा रहा है दूसरी तरफ या बर्बादी चिंता का विषय है।
आरो प्लांट कितने हैं पता नहीं
जिले की कौन कहे, शहर में कितने आरो प्लांट है, जिस की भी जानकारी अफसरों को नहीं है।21 सितंबर 2019 को नगर निगम की कार्यकारिणी समिति की हुई बैठक में आरो प्लांट पर कर लगाने का प्रस्ताव पास किया गया।निर्णय लिया गया कि आरो प्लांट संचालकों को प्रतिवर्ष ₹5000 रजिस्ट्रेशन के रूप में नगर निगम में जमा करना होगा, लेकिन अभी तक सर्वे ही नहीं हो सका। आरो प्लांट लगाने वाले 20 लीटर पानी का 1000 20 से ₹40 में देते हैं।
औरों से निकले पानी का यहां करें इस्तेमाल,
कार की धुलाई ,पौधे की क्यारियों वह गमले में ,बर्तन धोने में, कपड़े की आखिरी धूलाई से पहले इस्तेमाल कर सकते हैं।
सबर्सिबल पंप सूख रहे हैं पानी,
शुद्ध और बिना बाधा आपूर्ति के लिए शहर में तेजी से सबर्सिबल पंप लगाए जा रहे हैं। खासकर टॉर्च कॉलोनियों में घर-घर सबसिविल पंप लग चुके हैं। हालांकि प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश भू जल अधिनियम व विनियमन-2020 मैं भू जल संरक्षण व संवर्धन के लिए आरो प्लांट और सब्रसिबल पंप लगाने के नियम बना दिए हैं।व्यवसायिक उपयोग का शुल्क निर्धारण भी सरकार को करना है पर करो ना की वजह से देरी हो रही है।
वाहन धुलाई में बर्बाद हो रहा है पानी,
शहर में कार और मोटरसाइकिल धुलाई में करीब 200 दुकानें हैं। दुलाई के नाम पर रोजाना हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। धुलाई सेंटर पर ना तो री साइकिल की व्यवस्था है और ना वहां पानी का संचयन किया जा रहा है। गैरों में भी पानी धड़ल्ले से बर्बाद किया जा रहा है।