Sanjay Raut ED: शिवसेना प्रवक्ता और सांसद संजय राउत के घर रविवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने छापा मारकर करीब 11.50 लाख रुपये जब्त किये हैं । संजय राउत इसे राजनीतिक प्रतिशोध की संज्ञा दे रहे हैं । यह तो सबको मालूम ही है कि संजय राउत पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में बीजेपी के खिलाफ खूब लिखते आ रहे हैं । यही नहीं उन्होंने सार्वजनिक रूप से भी बीजेपी के खिलाफ खूब बयान दिए हैं और यह एक तरीके से अघोषित रार ही थी ।
अब जबकि संजय राउत का पहले जैसा समय नहीं है तब बीजेपी उनपर भले ही हमलावर हो लेकिन ईडी ने जिस पात्रा चाल जमीन घोटाले के केस में उनको अभियुक्त बनाया है वह केस आज का नहीं है
जबकि वर्षों पुराना है और काफी पेचीदा मामला है। तो आइए जानते हैं कि शिवसेना सांसद संजय राउत जिस पात्रा चाल घोटाले में ईडी द्वारा धरे गए हैं वह आखिर कौन सा घोटाला है । बता दें कि ईडी का आरोप है कि इस जमीन घोटाले का कुछ पैसा( लगभग 83 लाख रुपये) संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किये गए हैं जिन पैसों से वर्षा राउत ने मुंबई में प्रॉपर्टी खरीदी ।
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मुंबई के उपनगरीय इलाके गोरेगांव में एक इलाका आता है सिद्धार्थनगर । इसी सिद्धार्थनगर को पात्रा चाल कहते हैं। तो बात ये है कि पात्रा चाल में कुछ समय पहले तक 47 एकड़ में 672 घर बने थे । साल 2008 में महाराष्ट्र गवर्नमेंट ने इस इलाके का पुननिर्माण करने के उद्देश्य से MHADA(महाराष्ट्र हाउजिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी) को निर्देश दिया । MHADA ने इस इलाके को पुनः डेवलप करने के लिए गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड(GACPL) को ठेका दिया ।
अथॉरिटी ने इस इलाके को रि-डेवलप करने का ठेका तो कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया ही साथ ही यहां पर रह रहे लोगों का पुनर्वास करने का काम भी इसी कम्पनी को सौंपा । इस प्रोजेक्ट का बाकायदा एग्रीमेंट हुआ जिसमें 3 पार्टियां शामिल हुईं । पहली पार्टी MHADA, दूसरी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी( GACPL) और तीसरी पार्टी पात्रा चाल में रह रहे लोगों का समूह । अग्रीमेंट में तय हुआ था कि कंस्ट्रक्शन कंपनी GACPL को पात्रा चाल के लोगों को 672 फ्लैट डेवलप करके देने थे और साथ ही बची हुई जमीन को प्राइवेट डेवलपर्स को बेचना था ।
बवाल तब शुरू हुआ जब GACPL दिए गए काम को पूरा नहीं कर पाई । 2008 से लेकर 2022 तक 14 साल से पात्रा चाल के लोगों का पुनर्वास होना बाकी है और उन्हें फ्लैट्स नहीं मिल पाए । यही नहीं अग्रीमेंट के तहत GACPL को पात्रा चाल में रह रहे लोगों को तब तक हर महीने किराया देना था जब तक कि लोगों को फ्लैट्स नहीं मिल जाते और उन्हें पुनर्वासित नहीं कर दिया जाता । एक रिपोर्ट के मुताबिक कंस्ट्रक्शन कंपनी ने पात्रा चाल के लोगों को बस 2014-15 तक ही किराया दिया । इसके बाद किराया देना बंद कर दिया ।
लोगों ने इसकी शिकायत की साथ ही इस बात की भी शिकायत की कि घर बनाने में कम्पनी देरी कर रही है । जब लोगों की शिकायत MHADA तक पहुंची तो अथॉरिटी ने 12 जनवरी 2018 में GACPL का पात्रा चाल के लिए कांट्रेक्ट रद्द करने का आदेश जारी कर दिया । मामले में पेच तब फंसा जब GACPL से जुड़े 9 प्राइवेट डेवलपर्स नोटिस के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंच गए । बता दें कि इन 9 प्राइवेट डेवलपर्स ने GACPL से फ्लोर स्पेस इंडेक्स खरीदा था । इसके बाद ये प्रोजेक्ट रुक गया ।
ईडी के अनुसार संजय राउत के करीबी प्रवीण राउत और GACPL ने महाराष्ट्र हाउजिंग अथॉरिटी (MHADA) को धोखे में रखा । प्रवीण राउत पर आरोप है कि उन्होंने फ्लोर स्पेस इंडेक्स को 9 प्राइवेट डेवलपर्स को बेचकर 901.79 करोड़ रुपये इकट्ठा किये । इस दौरान न तो पात्रा चाल के लोगों के लिए और न ही MHADA के लिए एक भी फ्लैट बनाया गया ।
Sanjay Raut ED के अनुसार GACPL ने एक प्रोजेक्ट मेडोस नाम से लांच किया और फ्लैट की बुकिंग करने के नाम पर लोगों से 138 करोड़ रुपये इकट्ठा किये । ईडी ने आरोप लगाए हैं कि GACPL ने अवैध तरीके से कुल 1039 .37 करोड़ रुपये इकट्ठा किये ।
Sanjay Raut ED ने ये भी आरोप लगाए हैं कि संजय राउत के करीबी प्रवीण राउत ने रियल इस्टेट कम्पनी HDIL से 100 करोड़ रुपये लिए और उन रुपयों को अपने रिश्तेदारों, करीबियों को दिए और कुछ पैसों को दूसरे बिजनेस में भी लगाया । ईडी का आरोप है कि साल 2010 में प्रवीण राउत ने अवैध रूप से 83 लाख रुपये संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किये ।
ईडी का कहना है कि वर्षा राउत ने इन पैसों से दादर में एक फ्लैट खरीदा । वहीं अलीबाग के किहिम बीच मे वर्षा राउत और स्वप्ना पाटकर के नाम से 8 फ्लैट भी खरीदे गए ।
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बता दें प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में शिवसेना सांसद संजय राउत को पिछले महीने 27 जून को समन जारी कर 28 जून को ईडी ऑफिस में पेश होने को कहा था । हालांकि संजय राउत तब पेश नहीं हुए थे ।