रूस ने यूक्रेन पर 2 दिन के अंदर ही अपनी दो ताकतवर हाइपरसोनिक मिसाइल दागी। पहली किंझाल जिसे डैगर यानी कि खंजर भी बुलाया जाता है तथा दूसरी कैलिबर जिसे क्रूज मिसाइल। आखिरकार क्रूज मिसाइल को हाइपरसोनिक क्यों कहा जा रहा है?
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Hypersonic Missile वह हथियार होते हैं जो ध्वनि की गति से 5 गुना अधिक गति में चले। यानी कि कम से कम मैक 5। अगर हम इसे साधारण भाषा में कहें तो इन मिसाइलों की गति 6100 किलोमीटर प्रति घंटा की होती है। इनकी गति तथा दिशा में बदलाव करने की क्षमता इतनी ज्यादा सटीक तथा ताकतवर होती है कि इन्हें ट्रैक करना तथा मार गिराना असंभव होता है।
आमतौर पर क्रूज मिसाइल या फिर बैलेस्टिक मिसाइलों की गति बहुत ज्यादा तेज होती है। लेकिन इनकी दिशा तथा यात्रा मार्ग की वजह से इन्हें ट्रैक किया जा सकता है। इन्हें मार कर भी गिराया जा सकता है। अगर इनकी गति की ध्वनि की गति से 5 गुना अधिक यानी कि 6100 किलोमीटर प्रति घंटा कर दी जाए। इसके साथ ही दिशा बदलने लायक यंत्र लगा दिया जाए तो यह Hypersonic हथियारों में बदल जाते हैं। इन्हें ट्रैक करना तथा मार गिराना असंभव हो जाता है।
बता दें कि हाइपरसोनिक हथियार दो प्रकार के होते हैं पहला ग्लाइड व्हीकल्स यानी की हवा में तैरने वाले और दूसरा क्रूज मिसाइल। लेकिन अभी दुनिया का फोकस ग्लाइड व्हीकल पर है। जिसके पीछे छोटी मिसाइलें भी लगाई जाती हैं। फिर उसे मिसाइल लॉन्चर से छोड़ दिया जाता है। एक निश्चित दूरी तय करने के बाद से ही मिसाइल अलग हो जाती है। उसके बाद से ग्लाइड व्हीकल्स आसानी से उड़ते हुए टारगेट पर हमला करता है। हालांकि इन हथियारों में आमतौर पर स्क्रैमजेट इंजन लगा होता है। जो हवा में मौजूद ऑक्सीजन का उपयोग करके तेजी से उड़ता है। इससे ही उसे एक तय गति तथा ऊंचाई मिलती है।
Military.Com के मुताबिक रूस का यह दावा है कि उसके पास ऐसी बैलेस्टिक मिसाइलें हैं। जिनके ऊपर Hypersonic Glide Vehicles तथा Hypersonic Cruise Missiles लगाई जा सकती है। यानी कि बैलेसक मिसाइल की रेंज तथा ताकत मिलने के बाद से हाइपरसोनिक मिसाइल का Combination बहुत ही खतरनाक हो जाता है।
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Hypersonic Missile अमेरिका, चीन और रूस के पास है। यह कहा जाता है कि उत्तर कोरिया भी ऐसी मिसाइलें विकसित करने में लगा है। जो धरती से अंतरिक्ष है या फिर धरती से धरती के दूसरे हिस्से में सटीकता से मार कर सकते हैं। वैसे तो भारत भी ऐसी ही मिसाइलों को विकसित करने में जुटा हुआ है। इसके अलावा आस्ट्रेलिया तथा कुछ यूरोपीय देशों के बारे में भी बीच-बीच में चर्चा होती रहती है।
भारत Hypersonic Glider हथियार बना रहा है। हालांकि उसका परीक्षण भी कर चुका है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी कि डीआरडीओ ने मानव रहित स्क्रैमजेट का Hypersonic Speed फ्लाइट का सफल परीक्षण वर्ष 2020 में किया था। इसे एचएसटीडीवी (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicles) कहते हैं। हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान भी है। जो विमान 6126 से 12251 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़े। उसे हाइपरसोनिक विमान कहते हैं।