Population Control: आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने इस मुद्दे पर बयान देकर एक बार फिर से उन्होंने ये बहस छेड़ दी है। उन्होंने 1 दिन पहले यह कहा था कि बांग्लादेश की तरफ से लगातार घुसपैठ तथा धर्मांतर के चलते “जनसंख्या असंतुलन” पैदा हो रहा है। क्या सच में भारत में धर्मांतरण तथा बाहरी लोगों के आने से जनसंख्या का संतुलन गड़बड़ा गया है? पड़ोसी मुल्क बांग्लादेशी बड़ी संख्या में लोग भारत में घुसपैठ भी कर रहे हैं। जिससे कि सीमावर्ती जिलों में हिंदू आबादी घट गई है।
हमारे लिए बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या सिर दर्द ही है। खास तौर पर सीमा से सटे राज्यों में। अक्सर असम में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ की खबरें आती ही रहती हैं। उत्तरी बिहार बॉर्डर में ये समस्याएं आए दिन खड़ी हो जाती हैं। अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें तो तस्वीर कुछ और ही होगी। हालांकि बांग्लादेश में 1971 से पहले हिंदूओं की आबादी कितनी थी तथा अब कितनी है? पिछले 50 वर्ष में भारत में बांग्लादेशी घुसपैठ कितनी ज्यादा बढ़ गई है तथा मौजूदा स्थिति क्या है?
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बता दें कि भारत की मदद से नए देश के रूप में जन्म लेने के बाद बांग्लादेश की आबादी सन् 1971 में छह करोड़ 55 लाख 31 हजार 634 थी। अगले 50 वर्षों में ये संख्या करीब दोगुनी हो गई। मगर हिंदू आबादी की बात करें तो इन पांच दशक में इनकी संख्या बहुत तेजी से घटी है। सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि यहां पर रहने वाले ईसाई, बौद्ध तथा अन्य धर्मों के लोगों की भी आबादी में अच्छी खासी गिरावट आई है। अगर हम सिर्फ हिंदू आबादी पर नजर डालें तो इस दौरान लगभग 75 लाख की कमी आई है।।
1971 में विश्व पटल पर बांग्लादेश के नए देश के रूप में उभरने के दौरान ही उसने 1974 में पहली बार जनगणना कराई थी। तब देश की कुल आबादी का 13.5 प्रतिशत हिस्सा हिंदू आबादी का था। तब से लेकर अभी तक देश में चार बार जनगणना हो चुकी है। लेटेस्ट 2011 की जनगणना में कुल आबादी में हिंदू धर्म की आबादी के करीब 8.5 प्रतिशत पर आ गई थी।
सन् 1974 में पहली जनगणना में जहां पर बांग्लादेश में हिंदू लोगों की संख्या एक करोड़ 3 लाख 13 हजार थी तब देश की कुल आबादी 76,598,000 थी यानी कि वहां की कुल आबादी में से 13.5 प्रतिशत हिस्सा हिंदुओं का था। जबकि 85.4 प्रतिशत लोग मुसलमान थे। लेकिन इसके बाद से 5 के दशकों में हिंदुओं की संख्या में लगातार कमी आती चली गई। वर्ष 2011 में बांग्लादेश में हुई आखिरी जनगणना में जहां पर कुल आबादी बढ़ते हुए 14,977,2000 हो गई थी तो इसमें हिंदुओं की संख्या महज 1.20 करोड़ रह गई थी।
अगर हम आजादी से पहले की बात करें तो अविभाजित भारत में 1901 में हुई जनगणना में बांग्लादेश में कुल 33 प्रतिशत हिंदू आबादी रहती थी। जो यह दिखाता है कि हिंदुओं की आबादी में लगातार गिरावट आती जा रही है। हालांकि बांग्लादेश की पहली जनगणना में आबादी जहां 9,673,048 थी लेकिन अगले 5 दशकों में ये संख्या बढ़ कर दो करोड़ के पार यानी कि 20,219,000 तक हो जानी चाहिए थी।
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लेकिन इसकी संख्या में भी लगातार गिरावट आती चली गई तथा इसकी संख्या महज 12,730,650 तक सिमटकर रह गई। तब 13.5 प्रतिशत थी तथा अब यह 8.5 प्रतिशत पर आ गई। यह कहा जा रहा है कि इस दौरान देश में हिंदुओं की आबादी लगभग 75 लाख कम हुई है।
Population Control, बीएसएफ की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 से अप्रैल 2022 के बीच कम से कम 14000 बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेज दिया गया। इस दौरान 9233 लोगों को आईबी ने वापस भागते हुए लोगों को पकड़ा। वहीं पर 4896 बांग्लादेशियों को भारत में अवैध तरीके से घुसपैठ करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। बता दें कि 14361 लोगों में से 11034 लोगों को दक्षिण बंगाल से पकड़ा गया। बीएसएफ के अनुसार भारत में घुसपैठ करने की कोशिश में 80 प्रतिशत अवैध प्रवासी बांग्लादेशी ही होते हैं।
Population Control, सरकार के अनुमान के अनुसार भारत में 2 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी मौजूद है। हालांकि केंद्र सरकार भी लगातार इसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर रही है। असम बंगाल जैसे राज्यों में तो ये एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा है। असम में यहां का सबसे बड़ा मुद्दा है। देश में लगभग 30,000 अवैध बांग्लादेशी बताए जाते हैं।