Right to Repair रिपेयर का अधिकार क्या है ? एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियां क्यों कर रही इस अधिकार का विरोध ?
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रिपेयर का अधिकार व्यक्ति को अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को अपने हिसाब से अपनी शर्तों पर रिपेयर कराने का अधिकार देता है। हाल ही में पश्चिमी देशों में रिपेयर के अधिकार को लेकर आंदोलन चल रहा है जिसमें अमेरिका सबसे आगे चल रहा है। कई बड़ी कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक उपकरण देते हैं लेकिन यदि उनके उपकरण में कुछ निश्चित समय बाद कुछ खराबी आती है तो रिपेयर की आवश्यकता पड़ती है और यह रिपेयरिंग हर जगह नहीं होती कुछ निश्चित स्थानों पर ही इन कंपनियों के उपकरणों की रिपेयरिंग की जा सकती है। इसका अर्थ हम उपकरणों की रिपेयरिंग किसी भी दुकान पर नहीं करा सकते उसी कंपनी को रिपेयरिंग करने के लिए देना पड़ेगा या फिर अन्य नया उपकरण लेना पड़ेगा। उपकरणों की रिपेयरिंग करवाने के लिए जो प्रतिबंध कंपनियों द्वारा लगाए गए हैं उनके विरोध में आंदोलन चल रहा है। और लोग रिपेयरिंग के अधिकार की मांग कर रहे हैं।
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रिपेयर के अधिकार के कई उद्देश्य है जिनमें प्रमुख कंपनियों से स्पेयर पार्ट्स बनवाना है। (Right to Repair ) रिपेयर के अधिकार के लिए जो आंदोलन चल रहा है उसका उद्देश्य है कि उपकरण के रिपेयर करने के तरीकों के बारे में ग्राहकों, रिपेयर दुकान को सूचनाएं उपलब्ध कराई जाएं क्योंकि यदि हर रिपेयर की दुकान पर इन बड़ी कंपनियों जैसे माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल के उपकरणों की रिपेयरिंग नहीं होगी जिससे उपभोक्ता को परेशान होना पड़ता है और अधिक खर्चा करना पड़ता है। यदि रिपेयर के अधिकार को छोटे दुकानदारों को दे दिया जाए तो उन्हें भी रोजगार मिल जाएगा और उपभोक्ताओं को अधिक परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी और अपने पास ही की दुकान पर उपकरणों को रिपेयरिंग करवा सकते हैं। रिपेयर के अधिकार को लेने के लिए अमेरिका के लोग सड़कों पर है और इन कंपनियों के नियमों में रिपेयरिंग के अधिकार प्रतिबंध को हटाना है।
* रिपेयर के अधिकार मिल जाने से छोटी दुकानों को एक रोजगार मिल जाएगा। छोटे छोटे दुकानदारों को इससे लाभ होगा ।
* उपभोक्ताओं को अपने उपकरण रिपेयरिंग के लिए दूर नहीं भेजना पड़ेगा और कहीं भी छोटी दुकानों पर उपकरणों को रिपेयरिंग करा सकते हैं जिससे उपभोक्ताओं के पैसों की बचत भी होगी।
* रिपेयर पर कंपनी के निर्माताओं का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा और कहीं भी उपकरणों को रिपेयरिंग कराया जा सकेगा।
* हर साल करोड़ों टन ई- कचरा उत्पन्न होता है यदि उपकरणों को रिपेयरिंग करके फिर उपयोग में लाया जाएगा तो ई – कचरा में भी कमी आएगी ।
इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं द्वारा रिपेयर के संदर्भ में प्रतिबंध लगाएं जाते हैं। बड़ी कंपनियों का कहना है कि रिपेयर के अधिकार को देने से कंपनी को घाटा है रिपेयर दुकानों को रिपेयर के संदर्भ में सूचना उपलब्ध कराने से इन कंपनियों के उपकरणों को सेफ्टी एवं सिक्योरिटी प्रभावित हो सकती हैं। और कंपनियों की डाटा सिक्योरिटी एवं साइबरसिक्योरिटी को खतरा हो सकता है इसलिए बड़ी-बड़ी कंपनियां रिपेयर के अधिकार का विरोध कर रही हैं। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति वाइडेन ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया । (Right to Repair ) इस आदेश के तहत उन्होंने फेडरल ट्रेड कमिशन से कहा कि वे निर्माताओं द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को रोके ताकि उपभोक्ता अपने हिसाब से अपने उपकरणों की मरम्मत करवा सकें। यूरोपीय आयोग ने भी इस स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप के लिए मरम्मत के अधिकार के संदर्भ में नियम लाने की घोषणा की।
रिपेयर के अधिकार कंपनियों को बड़ा घाटा है क्योंकि कंपनियां ऐसी रणनीति अपना रहे हैं की उपकरण को ऐसा बनाया जाता है कि उसमें एक निश्चित समय सीमा रख कर दी जाती है कि इतने समय के बाद उपकरण बेकार या रिपेयर के लिए हो जाएगा। और कंपनियों ने रिपेयर पर प्रतिबंध लगा ही रखा है जिसके कारण कोई और दुकानदार उपकरण की रिपेयरिंग कर ही नहीं पाता और उपकरण बेकार हो जाता है जिससे वही वर्जन व्यक्ति को नया खरीदना पड़ता है। जिससे कंपनी में उपकरणों की मांग बढ़ती है और कंपनियों को लाभ होता है। (Right to Repair ) और यदि रिपेयर के अधिकार पर से प्रतिबंध हटा लिया जाएगा तो किसी भी दुकान पर व्यक्ति रिपेयरिंग करवा कर अपना उपकरण सही करवा लेगा तो उपकरणों की मांग अधिक नहीं होगी जिससे कंपनियों को लाभ नहीं पहुंचेगा। और कंपनी को घाटा होगा।