Pulitzer Prize: पत्रकारिता का नोबेल कहे जाने वाले पुलित्जर पुरस्कारों की घोषणा हो गयी है । इस साल यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वालों में 4 भारतीय पत्रकार भी हैं जिन्हें उनकी विलक्षण पत्रकारिता के लिए सम्मानित किया गया । बता दें कि पुलित्जर पुरस्कार पाने वाले पत्रकारों में से बीते साल अफगानिस्तान में तालिबानियों द्वारा मारे गए दानिश सिद्दीकी भी हैं जिन्हें भारत मे कोविड-19 के दौरान ली गयी फोटोज के लिए सम्मानित किया गया ।
इसके अलावा जम्मू कश्मीर से रॉयटर्स के लिए पत्रकारिता करने वाली 28 साल की सना इरशाद मट्टू, अमित दवे और अदनान आबिदी को भी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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फ़ोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को अमेरिका के सबसे बड़े पुरस्कार पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया। यह दूसरी मर्तबा है जब उन्हें उनकी पत्रकारिता के लिए पुलित्जर प्राप्त हुआ है । इससे पहले 2018 में उन्हें यह सम्मान मिला था हालांकि 2022 में मिले सम्मान को प्राप्त करने के लिए वह आज हमारे बीच नहीं हैं । बता दें कि पिछले वर्ष अफगानिस्तान में रिपोर्टिंग के समय तालिबान ने उन्हें गोली मार दी थी जिससे उनकी म्रत्यु हो गयी थी । रॉयटर्स के लिए फ़ोटो शूट करने वाले पत्रकार दानिश सिद्दीकी को इस वर्ष का पुलित्जर भारत मे कोरोना काल के दौरान दुर्लभ फोटोज के लिए दिया गया है ।
फ़ोटो पत्रकार दानिश के पिता अख्तर सिद्दीकी बेटे को दूसरी बार पुलित्जर पुरस्कार मिलने पर भावुक हो उठते हैं । दिल्ली निवासी अख्तर बेटे दानिश को पिछले वर्ष खो चुके हैं । उन्होंने मीडिया से कहा कि उनके बेटे को उसके काम ने अमर कर दिया है । बता दें कि उन्हें इसी साल अप्रैल में बोस्टन विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित किया गया था। बता दें कि दानिश की तालिबानी आतंकियों द्वारा हत्या किए जाने का मामला पिता ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में उठाया है ।
दानिश ने अफगानिस्तान सहित एशिया के तमाम देशों में पत्रकारिता की है । म्यामार के रोहिंग्या शरणार्थियों के संकट के समय भी वह ग्राउंड रिपोर्टिंग करने गए थे और कुछ दुर्लभ फ़ोटो लिए थे जिनकी खूब चर्चा हुई थी।
श्रीनगर की फ़ोटो पत्रकार 28 वर्षीय सना इरशाद मट्टू को रॉयटर्स के लिए पत्रकारिता में पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त हुआ है । उन्हें कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद और उससे पहले की गई पत्रकारिता, कोरोना के दौरान कश्मीर में की गई फोटोशूट के लिए यह सम्मानित पुरस्कार प्राप्त हुआ । बता दें कि सना कश्मीर के सेंट्रल यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में PG हैं । सना की पत्रकारिता को टाइम, अलजजीरा, द नेशन, साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट सहित कई इंटरनेशनल पत्र पत्रिकाओं में छापा गया है ।
बता दें कि सना को फीचर फोटोग्राफी कैटेगरी में यह सम्मान दिया गया है । नीचे दी गयी तस्वीर उन्होंने अपने कैमरे से उस वक्त ली थी जब घाटी में एक चरवाहे को रोककर कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही थी ।
बता दें कि सना को लाइव रिपोर्टिंग के साथ ही इन डेप्थ और डिटेल रिपोर्ट के लिए भी जाना जाता है । वह अक्सर कश्मीर में आम लोगों की जिंदगी और उनकी कठिनाइयों को दिखाती रहती हैं ।
दक्षिणी दिल्ली के हौजरानी में रहने वाले अदनान को बचपन से ही दुर्लभ फ़ोटो देखने का शौक था । वह प्रख्यात फ़ोटोग्राफर S पाल के दुर्लभ चित्र देखकर उन्ही के जैसा करने को प्रेरित हुए । सरकारी स्कूल से बचपन की पढ़ाई के बाद उन्होंने B कॉम किया और फिर फ़ोटो पत्रकारिता शुरू कर दी। अदनान आबिदी को तीसरी बार पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया है ।
अहमदाबाद के अमित दवे रॉयटर्स में काम करते हुए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता है । वह पहले गुजराती हैं जिन्हें अमेरिका का प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है । अमित भी फ़ोटो पत्रकारिता करते हैं । बता दें कि अमित के पिता भी फ़ोटो संग्रहकर्ता और फोटोग्राफर भी थे ।
बता दें कि वाशिंगटन पोस्ट को कैपिटल हिल्स हिंसा पर रिपोर्टिंग के लिए पुलित्जर पुरस्कार मिला है जबकि रूस के हमले से त्रस्त यूक्रेन के पत्रकारों को उनके साहस पूर्ण पत्रकारिता के लिए पुलित्जर पुरस्कार के साथ ही विशेष प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा ।
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अमेरिका सरकार द्वारा पत्रकारिता क्षेत्र में दिया जाने वाला पुलित्जर पुरस्कार इस देश का सबसे बड़ा पुरस्कार है । इसे अमेरिका का नोबल पुरस्कार कहा जाता है । इस पुरस्कार का मिलना पत्रकार के लिए सम्मान की बात होती है । बता दें कि पुलित्जर पुरस्कार की शुरुआत 1917 में की गई थी। यह पुरस्कार जोसेफ पुलित्जर की याद में दिया जाता है । इसे 21 श्रेणियों में दिया जाता है । यह अमेरिका का ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मे पत्रकारिता क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है । इसके अंतर्गत विजेता को 15000 अमेरिकी डॉलर दिए जाते हैं । वहीं पब्लिक सर्विस कैटेगरी के विजेता को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाता है ।