Politics : आमतौर पर यह देखा गया है कि Politics के चक्कर मे अक्सर मजबूत से मजबूत रिश्ते टूट जाते हैं परंतु इस बार यह कहानी कुछ अलग है यहाँ पर राजनीति की वजह से दो भाइयों के बीच दरार पड़ने की जगह उनके बीच पहले से खड़ी दीवार टूट गयी,आम धारणा से अलग यह व्यवहार सभी को अचंभित कर देने वाला है और इसी वजह से इसे सोशल मीडिया पर काफी सराहा जा रहा है।
हम आपको इस कहानी की तह तक ले जायेग ताकि आप भी हक़ीक़त से रूबरू हो सकें।
इस पोस्ट में
Politics : सबसे पहले आपको बता दें कि यह कहानी उत्तर प्रदेश के सीता पुर जनपद की है,सीतापुर से एक गृहराज्य मंत्री हुये हैं राम लाल साही जो अब इस दुनिया मे नहीं है,यह कहानी उन्ही के दो बेटों की है जिनके नाम क्रमश सुरेश राही और रमेश राही है,सुरेश राही वर्तमान में हरगांव से विधायक हैं जबकि रमेश राही भी विधायक रह चुके हैं।
Politics : कहानी की शुरुवात लगभग 6 महीने पहले होती है,समय था पंचायत चुनाव का,पंचायत चुनाव के दौरान सुरेश राही और रमेश राही के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया,यह विवाद इस कदर बढ़ा की दोनों भाइयों के बीच दरार पड़ गयी।
यह दरार इतना अधिक गहरी हुई कि एक ही घर मे रहने वाले दोनों भाइयों के बीच एक दीवार खड़ी हो गयी और उनका आँगन दो भागों में बांट दिया गया जो कि अब चुनावो के दौरान फिर से गिराई जा रही है जिसकी कहानी हम आपको आगे बताने वाले हैं।
कहानी का ट्विस्ट यहाँ पर है कि इन दोनों भाइयों में एक सुरेश राही वर्तमान में हरगांव से विधायक हैं और यह विधायिकी उनके पास भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर है और इस बार भी वही चेहरा हैं जबकि रमेश राही समजवादी पार्टी के नजदीक..इसलिये दोनों के बीच विवाद होना तो लाजमी था,पर यह विवाद कैसे सुलह में बदल गया यह जानना और रोचक है।
दीवार उठाने के बाद गिरने की कहानी तब शुरू हुई जब समाजवादी पार्टी ने रमेश राही को टिकट नहीं दिया, Politics गलियारे की बात यह है कि समाजवादी पार्टी ने टिकट भाजपा से सपा में शामिल हुये पूर्व मंत्री रामहेत भारती को टिकट दिया न कि रमेश राही को जबकि रमेश राही ने इसके लिये काफी प्रयास किये,टिकट न मिलने से आहत रमेश राही अपने भाई सुरेश राही से जा मिले और आंगन में बनी दीवार तुड़वा डाली।
हुबहू रानू मंडल की आवाज में गाते हैं, हर फीमेल सिंगर की मिमिक्री गजब करते हैं
Police कर्मी बना शिक्षक, पुलिस स्टेशन में गरीब बच्चों पढा कर बदल रहा उनकी किस्मत
यह बहुत विचित्र खेल है कि कल तल दोनों एक दूसरे के विरोधी थे पर टिकट न मिलने पर दोनों आपसी विवाद भूल गये परंतु अगर रमेश राही को टिकट मिल जाता तो वह हरगांव से ही अपने भाई सुरेश राही के खिलाफ ताल ठोंकते पर सियासत ने उन्हें मौका नहीं दिया ,हाँ उनके आंगन की दीवार जरूर गिरा दी।