Police कर्मी बना शिक्षक, पुलिस स्टेशन में गरीब बच्चों पढा कर बदल रहा उनकी किस्मत

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Police विभाग को लेकर अक्सर हमने यही सुना हैं कि ना पुलिस की दोस्ती अच्छी और ना दुश्मनी। कई बार ऐसा भी होता है कि Police वाले किसी गलत काम के लिए आलोचनाओं में भी घिर जाते हैं तो कई बार अच्छे कामों के लिए उनकी सराहना भी होती है। हकीकत में कई पुलिस वाले ऐसे भी होते हैं

जो समाज के लिए एक आदर्श व्यक्ति बन कर उभरते हैं। बात फिल्मों की हो तो हमें बाॅलीवुड में की सारी फिल्में देखने को मिलेंगी। लेकिन ऐसा ही मामला हमें हकीकत में देखने को मिलता है जहां Police कर्मी खाकी वर्दी में समाज और देश के लिए काम कर रहा है। अभी कुछ दिनों से एक पुलिस वाले की हर तरफ प्रशंसा हो रही है। ये प्रशंसा उसके किसी पुलिसिया कार्य के लिए नहीं लेकिन इनकी शिक्षक की भूमिका निभाने के लिए हो रही है।

Police कर्मी ने दूर किया अज्ञानता का अंधेरा

जी हां यह बात बिल्कुल ही सही है। देश और समाज से गुनाखोरी को मिटाने वाले एक पुलिसकर्मी ने अब बच्चों के बीच फैले अज्ञानता के अंधेरे को दूर भगाने का जिम्मा उठाया है। दरअसल, मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के एक पुलिसकर्मी ने ये जिम्मा उठाया है कि उनके क्षेत्र का कोई गरीब बच्चा शिक्षा से वंचित नही रहेगा।पन्ना जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर स्थित ब्रजपुर नाम एक गांव है जहां पर यह पुलिस शिक्षा अभियान चला रहे हैं। इस गांव के थाना परिसर में हमें थाने में पुलिसकर्मी और कैदियों के अलावा बहुत से छोटे छोटे बच्चे भी देखने को मिलते हैं।

Police बनने के बाद भी शिक्षक धर्म नहीं भूले बखत सिंह

Police के पद पर कार्यरत बतख सिंह पहले सरकारी शिक्षक थे। अब बखत सिंह सब इंस्पेक्टर बन चुके हैं लेकिन सब इंस्पेक्टर बनने के बावजूद भी वह अपना शिक्षक धर्म नहीं भूले हैं। बतख सिंह का एक नियम है कि हर सुबह वह ड्यूटी पर जाने से पहले कक्षा 4 से आगे के बच्चों और प्रतियोगी और सिविल सेवा परीक्षाओं में बैठने की इच्छा रखने वाले विधार्थियों को सुबह 7 से 10 तक पढ़ाते हैं। बतख सिंह ने थाना परिसर में ही एक अध्ययन केंद्र-सह-पुस्तकालय भी शुरू किया है। उनका उद्देश्य शिक्षा से वंचित बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान कर उनकी सहायता करना है।

बतख सिंह ने उठाया अज्ञानता और गरीबी को दूर भगाने का जिम्मा

मध्य प्रदेश के करीब 6 हजार आबादी वाले ब्रजपुर गांव में इंसपेक्टर बखत सिंह अज्ञानता और गरीबी को दूर भगाने का जिम्मा उठाए हुए हैं। उन्होंने यहां के बच्चों में से अज्ञानता को दुर कर उन्हें शिक्षित बनाने की ठान ली है। अपने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए बतख सिंह ने ‘विद्यादान’ जैसी पहल शुरू करते हुए पुलिस स्टेशन में लाइब्रेरी बनवाई और बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया।

बखत सिंह की इस पहल का लाभ खास तौर पर क्षेत्र के दलित, आदिवासी और अन्य ओबीसी वर्ग के शिक्षा से वंचित बच्चों को मिल रहा है। इनमें वे सभी बच्चे भी शामिल हैं जो पास में स्थित खदानों में मजदूर के रूप में काम करते हैं। बखत सिंह ने इन सभी बच्चों को शिक्षित करने का जिम्मा उठाया है।

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बखत सिंह ने बनाई पुलिस की सकारात्मक छवि

आम तौर पर पुलिस स्टेशन का नाम सुनते ही हम डर जाते हैं लेकिन बखत सिंह कहते है कि पुलिस का उद्देश्य अपराधियों में डर पैदा करना होता है। अपने इस उमदा कार्य से बखत सिंह पुलिस की सकारात्मक छवि बनाना चाहते हैं। उन्हें विश्वास है कि साक्षरता और अच्छी नैतिक शिक्षा के दम ही पर समाज में फैले हुए अपराध को रोका जा सकता है.।

बखत सिंह से शिक्षा प्राप्त करने वाले 15 वर्षीय आदर्श दीक्षित सिविल सेवा की परीक्षा देना चाहते हैं। वे कहते हैं कि शुरुआत में उन्हें भी पुलिस स्टेशन में पैर रखने से भी डर लगता था लेकिन बखत सिंह से मिलने के बाद वह उनके पढ़ाने के तरीकों और व्यक्तित्व से प्रभावित हो गए और पुलिस विभाग को लेकर मन में बैठा हुआ डर भी दुर हो गया।

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