phoolan devi: बागी से सांसद कैसे बनी।

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फूलन देवी की 12 वर्ष की उम्र में ही कर दी गई थी शादी

Bandit queen phoolan devi

phoolan devi: यदि कभी कोई महिला डकैत की बात करता है तो जहन में फूलन देवी का नाम आता है लेकिन क्या फूलन देवी शुरू से ही डकैत बनना चाहती थी या फिर कोई मजबूरी थी। फूलन देवी को डकैत इस समाज ने, उनके खुद के करीबी सगे- संबंधियों ने बनाया। यदि फूलन देवी के माता पिता ही सपोर्ट दे देते तो शायद शायद फूलन देवी को डकैत नहीं बनना पड़ता। फूलन देवी को बचपन से ही कई यातनाओं का सामना करना पड़ा और वह एक डरी सहमी छोटी बच्ची से फिर वह डकैत बन गई। फूलन देवी का जन्म 1963 में जालौन यूपी जिला के गोरहा का पूर्वा गांव में हुआ था। इनका जन्म गरीब मल्लाह परिवार में हुआ था। फूलन देवी अपने चार भाई बहनों में सबसे छोटी थी। वह छोटी सी उम्र से गुस्से वाली थी। उनके इस स्वभाव के कारण उनके पिता ने फूलन देवी की शादी 12 वर्ष की उम्र में ही 40 वर्ष के पुरुष के साथ कर दी। phoolan devi बहुत छोटी थी वह शादी के लिए ना तो मानसिक और ना ही शारीरिक तौर पर तैयार थी लेकिन उनके पिता द्वारा उन्हें घर से इतनी छोटी सी उम्र में विदा कर दिया गया। जब वह ससुराल पहुंची तो उनके पति पुट्टी लाल ने 12 वर्ष की फूलन देवी से यौन शोषण किया। फूलन देवी को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना सहनी पड़ी । फूलन देवी अक्सर अपने पति के घर से भागकर पिता के घर पर आ जाया  करती थी। लेकिनphoolan devi के मायके वालों ने उन्हें वापस उनके ससुराल उनके पति के पास भेज दिया। जब वह पति के पास गई तो उनके पति ने फूलन देवी का यौन शोषण किया। वह कुछ दिन पति के घर ठहरी और फिर पुनः अपने पिता के घर भाग कर आ गई।

पति के बाद फिर पुलिस वालों ने किया रेप :-

समाज के दिए गए दर्द को सहा और फिर लिया बदला

वह हर बार पति के घर से भाग कर अपने पिता के घर पर आ जाया करती थी और फिर वह भाग कर आए तो फूलन देवी से पीछा छुड़ाने के लिए फूलन देवी के पिता ने एफ. आई. आर. दर्ज कर दी कि फूलन देवी ने उनकी सोने की अंगूठी चुराई है। पुलिस फूलन देवी को पकड़ कर ले गई और उन्हें 4 दिनों तक हवालात में रखा हवालात में फूलन देवी के साथ पुलिस वालों ने लगातार रेप किया। और जब फूलन देवी पुलिस की गिरफ्त से छूटकर माता-पिता के घर आइ तो माता पिता ने उन्हें फिर से उनके ससुराल भेज दिया। जब फूलन देवी ससुराल पहुंची तो देखा कि उनके पति ने दूसरी शादी कर ली है । फिर फूलन देवी कुछ दिनों तक वही ठहरी और फिर फूलन देवी के पति पुट्टी लाल ने फूलन देवी को शादी के सामान के साथ पिता के घर पहुंचा दिया।

सभी के द्वारा दुत्कारे जाने के बाद phoolan devi शामिल हो गई डकैत गैंग में :-

धीरे-धीरे phoolan devi की डकैतों में पहचान बनने लगी थी। इसके बहुत से कारण बताए जाते हैं कि phoolan devi का क्रोधी स्वभाव को देखकर डकैतों ने फूलन देवी को अपने गैंग में शामिल किया। कहीं बताया जाता है कि फूलन देवी के गांव के मल्लाह पहले से ही  गैंग में शामिल थे इसलिए उनके साथ phoolan devi को भी शामिल कर लिया गया। सभी के द्वारा दुतकारी गई phoolan devi भी इस गैंग में शामिल हो गई। जब phoolan devi डकैत गैंग में शामिल हुई थी तब इनका लीडर बाबू गुर्जर था। और गैंग का डिप्टी विक्रम मल्लाह था जो फूलन देवी की जाति का था। विक्रम मल्लाह का phoolan devi के प्रति शुरुआत से ही कुछ लगाव सा हो गया था। एक दूसरे के करीब आ गए थे। यह बाबू गुर्जर को देखा नहीं जा रहा था और बाबू गुर्जर की भी नियत फूलन देवी के प्रति खराब हो गई और रात बाबू गुर्जर phoolan devi के साथ जबरदस्ती करने लगा । जब फूलन देवी ने शोर मचाया तो आवाज सुनकर वहां पर विक्रम मल्लाह आ गया । दोनों में उठापटक हुई और विक्रम मल्लाह की बंदूक से गोली चल गई। जिससे बाबू गुर्जर की मौत हो गई।

फूलन देवी की चंबल डकैत में बनने लगी पहचान :-

बचपन से ही था क्रोधी स्वभाव

बाबू गुर्जर की मौत के बाद गैंग का लीडर विक्रम मल्लाह बन गया। विक्रम मल्लाह, phoolan devi को हथियार चलाना सिखाता था और साथ में लूटपाट क्राइम अपहरण जैसे काम करता था। phoolan devi अपनी डकैत गैंग के साथ अपने पति के घर पर गई और पुट्टी लाल को  घर से घसीट कर बाहर लाई और फिर खूब मारा। फूलन देवी गांव वालों को चेतावनी देती है कि यदि किसी ने छोटी लड़कियों के साथ शादी की, उनके साथ जबरदस्ती की तो फूलन देवी की गोली का शिकार बनेगा। फूलन देवी ने चंबल में अपनी पहचान बना ली थी। इसके बाद बाबू गुर्जर के साथ काम करने वाले दो व्यक्ति श्री राम और लालाराम जेल से रिहा होकर वापस आते हैं उन्हें पता चलता है कि विक्रम मल्लाह ने बाबू गुर्जर को मार दिया है तो दोनों में कहासुनी होने लगती है । डकैत गिरोह  राजपूत और मल्लाह दोनों बैठ जाते हैं। बाबू गुर्जर, श्रीराम, लालाराम यह सभी राजपूत थे और विक्रम मल्लाह और फूलन देवी मल्लाह थी। इसलिए दो अलग-अलग डकैत गैंग बन गई थी। श्रीराम से बचकर विक्रम मल्लाह और फूलन देवी जान बचाकर भागते हैं लेकिन विक्रम मल्लाह को पकड़ लिया जाता है और हत्या कर दी जाती है।

फूलन देवी ने 22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा करके मार दी थी गोलियां :-

श्रीराम गैंग विक्रम मल्लाह की तो हत्या कर देते हैं लेकिन वह phoolan devi को नहीं मारते हैं बल्कि फूलन देवी के साथ तीन हफ्तों तक 3 दर्जन से अधिक लोगों द्वारा रेप किया जाता है। फूलन देवी अपने जीने की उम्मीद छोड़ देती है लेकिन विक्रम मल्लाह के साथ काम करने वाले कुछ लोग उन्हें श्रीराम गैंग से छुड़वा कर ले जाते हैं। इस प्रकार फिर phoolan devi गैंग का निर्माण होता है । कुछ महीने बीतने के बाद खबर मिलती है कि श्रीराम गैंग गांव में ठाकुरों की शादी में शामिल होने जा रहे हैं तो फूलन देवी अपने गैंग के साथ वहां पर पहुंच जाते हैं। जिनमें 2 सदस्य पकड़े जाते हैं बाकी भाग जाते हैं। फूलन देवी इतने क्रोध में होती है कि 22 लोगों को लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून डालती हैं। यह खबर पूरे देश में फैल जाती है और उस समय की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पीवी सिंह को रिजाइन देना पड़ता है।

सरेंडर करने के लिए phoolan devi ने रखी थी कुछ शर्तें :-

phoolan devi ने शर्त रखी थी कि वह मां दुर्गा की मूर्ति के सामने ही सरेंडर करेंगी

ठाकुरों की हत्या के बाद phoolan devi पर पुलिस कार्यवाही तेज हो जाती है और इस साल तक फूलन देवी ज्ञान के कई सदस्यों को पुलिस द्वारा निशाना बनाया जाता है लेकिन फूलन देवी हाथ नहीं आती है। उस समय इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थी । इंदिरा गांधी ने भिंड के एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी द्वारा फूलन देवी के सरेंडर की बात कहती हैं। फूलन देवी का गैंग कमजोर हो गया था । चंबल के बीहड़ों में उनका समय परेशानियों से गुजर रहा था। फूलन देवी ने सरेंडर के पहले शर्तों को बताया-(1) फूलन देवी ने शर्त रखी कि वह मध्यप्रदेश में सरेंडर करेंगी ।

मां दुर्गा की मूर्ति के सामने सरेंडर की मांग की। फूलन देवी ने सरकार से आवास की मांग की ।

उनके गैंग के किसी भी मेंबर को फांसी की सजा ना होने की मांग की।

फूलन देवी ने मांग की कि उनके गैंग के किसी भी मेंबर को 8 साल से ज्यादा सजा ना दी जाए। उनकी शर्तों को सरकार द्वारा मान लिया गया 13 फरवरी 1983 को फूलन देवी ने सरेंडर किया।

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फूलन देवी कैसे बनी बागी से सांसद

चंबल के बीहड़ों को छोड़ने के बाद बनी सांसद

इस ऐतिहासिक लम्हे को देखने के लिए बहुत भीड़ उमड़ी । 11 साल जेल में रहकर फूलन देवी अपना इलाज कराती रही। 1994 फूलन देवी रिहा हुई और मुलायम सरकार ने उनकी गुनाहों को माफ कर दिया और फिर उम्मीद सिंह नाम की व्यक्ति से फूलन देवी ने शादी कर ली। इसी बीच मुलायम सिंह मिर्जापुर से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव फूलन देवी को देते हैं । चुनाव में फूलन देवी जीत जाती हैं फूलन देवी 1996 से 1998 तक चुनाव में रहती हैं। 1998 के चुनाव में हार जाती हैं। 1999 में उसी सीट से वह जीत जाती हैं और 2 साल तक भी काम करती रहती हैं । 25 जुलाई 2001 को फूलन देवी पर पार्लियामेंट से अपने आवास पर लंच के लिए आती हैं। अपने गाड़ी से नीचे उतरती हैं तभी फूलन देवी पर पार्लियामेंट से अपने आवास पर तीन नकाबपोश  गोलियों से हमला कर देते हैं। फूलन देवी को 9 गोलियां लगी थी ।उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल में मृत घोषित कर दिया।  2 दिन बाद फूलन देवी पर गोली चलाने वाले शख्स ने, जिसका नाम शेर सिंह राणा था, अपना गुनाह कबूल किया कि phoolan devi ने 22 ठाकुरों को मारा था इसलिए उसने बदला लिया । शेर सिंह राणा ने पुलिस के सामने सरेंडर किया।

phoolan devi

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