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Kanpur Dehat में पाकिस्तानियों की जमीन निकलने से हड़कंप, जांच शुरू, जानिए क्या है पूरा मामला

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Kanpur Dehat

Kanpur Dehat में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है । अकबरपुर तहसील के कानपुर-इटावा हाइवे किनारे स्थित बारा गांव में इस मामले की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों सहित सम्बंधित अधिकारियों में हड़कंप मच गया । दरअसल हाइवे किनारे स्थित इस गांव में अब भी कुछ जमीनें ऐसी हैं जिनके मालिक पाकिस्तानी हैं । 1947 के भारत विभाजन के समय यहां रह रहे करीब आधा दर्जन लोग देश छोड़कर नये बने पाकिस्तान में जाकर बस गए थे ।

जबकि उनकी जमीनें यहीं पड़ी रहीं । यह सब इतनी जल्दी हुआ होगा कि उन्हें अपने घर जमीनें छोड़कर रातों रात जाना पड़ा होगा । जब यह मामला सम्बंधित अधिकारियों के संज्ञान में आया तो पड़ताल शुरू हुई जिससे पता चला कि कुछ पाकिस्तानी लोगों की जमीनें अब भी इस गांव में मौजूद हैं और खतौनी में उनके नाम पर दर्ज हैं ।

Kanpur Dehat में लोगों ने कर रखे हैं कब्जे

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

बता दें कि बंटवारे के बाद बारा गांव से पाकिस्तान गए लोग दोबारा गांव नहीं लौटे । कई साल तक जमीन के ये छोटे छोटे टुकड़े ऐसे ही पड़े रहे । न तो किसी को ये जानकारी थी कि इनके मालिक पाकिस्तान में जा बसे हैं न ही किसी ने सुध लेने की कोशिश की । लेकिन कई साल बाद भी जब इन जमीनों की कोई देखरेख नहीं हुई तो यहां आसपास रह रहे लोगों ने कब्जे करने शुरू कर दिए ।

इन लोगों के नाम दर्ज हैं जमीनें

सांकेतिक तस्वीर

Kanpur Dehat जानकारी के मुताबिक देश विभाजन से पहले तक अकबरपुर तहसील के बारा गांव में शराफत खां, खालिद अहमद,मोहम्मद अहमद खां, जमील खां, असलम और नियाज अहमद रहते थे । गांव के बुजुर्गों के अनुसार इन लोगों के यहां पर घर और जमीनें थीं । इंतिखाब खतौनी में आज भी इन लोगों के नाम यहां पर जमीनें दर्ज हैं । 1947 के बंटवारे में यह लोग देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए और दोबारा कभी लौटकर नहीं आये । इस समय यह भी ज्ञात नहीं है कि ये लोग जीवित हैं अथवा नहीं ।

तहसील प्रशासन कार्यवाही में जुटा

मामले की जानकारी जब आलाधिकारियों को हुई तो प्रशासन सक्रिय हुआ । स्थानीय लेखपाल योगेंद्र कटियार ने जाकर भूमि की पैमाइश की। उन्होंने बताया कि भूलेख रिकॉर्ड में 6 लोगों के नाम ये जमीनें दर्ज हैं । इन नामों के आगे पाकिस्तान का नाम भी दर्ज है । अब तक कोई शिकायत न होने के चलते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया किंतु जिलाधिकारी द्वारा मामले का संज्ञान लेने पर जांच करा कर ब्यौरा तैयार किया जाएगा। वहीं तहसीलदार रणविजय सिंह ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है और जमीन की पैमाइश हेतु लेखपाल को निर्देशित किया है । जांच रिपोर्ट आने के बाद विधिवत कार्यवाही की जाएगी।

Kanpur Dehat में घोषित होगी शत्रु सम्पत्ति

Kanpur Dehat की DM नेहा जैन ने कहा कि मामला प्रकाश में आया है । कानपुर देहात की तहसील अकबरपुर के बारा गांव में कुछ खतौनियों में नाम के आगे पाकिस्तान का नागरिक होने की जानकारी मिली है । मामला शत्रु सम्पत्ति के तहत प्रतीत होता है । जांच कराई जा रही है । यदि जमीन खाली निकलती है तो हम शत्रु सम्पत्ति के तहत कार्यवाही करेंगे ।

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क्या कहता है शत्रु सम्पत्ति कानून

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बता दें कि भारत मे शत्रु सम्पत्ति कानून 1968 में पारित हुआ था । इसके अनुसार कोई सम्पत्ति शत्रु सम्पत्ति घोषित होने पर उसपर अधिकार भारत सरकार का होगा । बता दें कि यह कानून 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1968 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था । इसके अनुसार जो लोग 1947 के बंटवारे, 1965 या 1971 की लड़ाई के बाद पाकिस्तान चले गए और वहां की नागरिकता ले ली उनकी यहां भारत मे अचल संपत्ति “शत्रु सम्पत्ति” होगी जिसका मालिकाना हक भारत सरकार का होगा।

ऐसे भारतीय नागरिकों को जिनके पूर्वजों ने शत्रु राष्ट्र की नागरिकता ले ली हो उन्हें सम्पत्ति के आधार पर “शत्रु” घोषित किया गया। यह कानून उनकी सम्पत्ति को लेकर है और इससे उनकी नागरिकता पर कोई फर्क नहीं पड़ता। इस अधिनियम में 2016 में संशोधन किया गया जब महमूदाबाद के राजा ने इस कानून को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। संशोधन के पश्चात “शत्रु नागरिक” की नई परिभाषा तय हुई । इस संशोधन के अनुसार विरासत में मिली ऐसी किसी सम्पत्ति पर भारतीय नागरिकों का अधिकार खत्म हो गया।

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