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किस धर्म में अधिक बच्चे पैदा हो रहे हैं हिंदू या मुस्लिम? NFHS की रिपोर्ट ने किया खुलासा

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NFHS: जनसंख्या बढ़ रही या घट रही है इसको लेकर लोगों में कई सवाल बने रहते हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि देश में बच्चे पैदा करने की रफ्तार में कमी हुई है। (National Family Health Survey) रिपोर्ट के मुताबिक, NFHS के अनुसार, देश में बच्चे पैदा करने की रफ्तार में 0.2% से घटकर सिर्फ 2% ही रह गई है।

इसलिए अब देश में बच्चे कम पैदा हो रहे हैं (Total Fertility Rate ) और सभी धर्मों में यह पहले की तुलना में बच्चे पैदा में कमी आयी है। वहीं बेटियों को लेकर देश में धीरे ही सही लेकिन लोगों की सोच बदल रही है। नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की ताजा रिपोर्ट में यह बात समाने निकलकर आई है कि देश में 65% महिलाएं ऐसी है जिन्हें दो बेटियों के बाद बेटे की कोई ख़ाहिश ही नहीं होती है |

किस रफ़्तार से बढ़ रही है किस धर्म की जनसँख्या

सभी धर्म और जाति के लोगों में पहले की तुलना में कम बच्चे पैदा हो रहे हैं| वर्ष 2015-16 में किए गए चौथे नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) और पांचवें वर्ष 2019 – 21, इस सप्ताह की शुरुआत में ही जारी आंकड़ों से पता चलता है।

जारी आधिकारिक आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि उच्च प्रजनन दर वाले एक समूहों में तेजी से गिरावट देखी जा सकती है। इस प्रकार से, मुसलमानों में एनएफएचएस -4 और एनएफएचएस -5 के बीच में 2.62 से 2.36 तक 9.9% की सबसे तेज गिरावट देखी गई है। यह अन्य समुदायों की तुलना में सबसे अधिक है। 1992-93 में सर्वेक्षणों की शुरुआत के बाद से, भारत में कुल प्रजनन दर 3.4 से 40% से अधिक गिरकर 2.0 हो गया है। साथ ही यह उस स्तर पर पहुंच गया है जो जनसंख्या के इन आकंडों को स्थिर रखे।

एक ही समूह के लिए TFR राज्यों के हिसाब से अलग

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि मुसलमानों के अलावा अन्य सभी प्रमुख धार्मिक समूहों ने अब प्रतिस्थापन स्तर (Replacement Rate) से नीचे का TFR हासिल कर लिया है। वहीं सर्वे के प्रत्येक चरण में तेजी से गिरावट के बावजूद मुस्लिमों के बीच यह रेट थोड़ा अधिक है। एनएफएचएस के अब तक के पांच सर्वे में मुस्लिम टीएफआर (Total Fertility Rate) में 46.5 फीसदी की गिरावट आई है, ईसाइयों और सिखों के लिए लगभग एक तिहाई की गिरावट आई है वही हिंदुओं में 41.2 फीसदी की गिरावट देखी गई |

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रिपोर्ट में यह भी देखने में आया है कि एक ही समूहों के लिए टीएफआर राज्यों के हिसाब से अलग- अलग है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में हिंदुओं का TFR 2.29 है, लेकिन तमिलनाडु में उसी समूहों का TFR 1.75 है, जो प्रतिस्थापन दर से काफी कम है। इसी तरह, उत्तर प्रदेश में मुस्लिम TFR 2.66 है, लेकिन तमिलनाडु में यह TFR 1.93 है, जो फिर से प्रतिस्थापन दर से बहुत नीचे है।

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सेक्सुअल असॉल्ट के मामले में भी स्थिति खराब है। देश की 99.5 फीसदी महिलाएं ऐसे मामलों में चुप्पी साध लेती हैं। गांवों में घरेलू हिंसा शहरों के मुकाबले आम है। 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों में किया गया सेक्सुअल हिंसा के केस में सर्वे | देश में 59 फीसदी महिलाओं को हॉस्पिटल, बाजार या गांव से बाहर जाने की इजाजत ही नहीं मिलती है | जहां तक बात रही रोजगार की तो शादीशुदा 32 फीसदी ही महिलाएं सिर्फ नौकरी करती हैं।

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