NCF 2023 Draft Curriculum Proposes 5.5 Day Week for Schools: नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के मसौदे में यह सुझाया गया है कि अब छात्रों को हफ्ते में सिर्फ साडे 5 दिन ही स्कूलों की पढ़ाई करनी होगी और हर शनिवार को भी हाफ डे होना सुझाव दिया गया है। इस सुझाव पर अमल किया जाएगा तो अब हर हफ्ते छात्रों को कुल 29 घंटे क्लास में पढ़ाई करनी पड़ेगी।
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इसके राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) के मसौदे में यह भी सिफारिश हुई है कि प्रारंभिक और माध्यमिक विद्यालयों लिए क्लास का समय 40 मिनट और कक्षा 9 से आगे 50 मिनट का हो। छात्रों को सप्ताह में साढ़े पांच दिन स्कूल जाना चाहिए और शनिवार को आधे दिन की पढ़ाई करनी चाहिए। यह प्रति सप्ताह 29 घंटे के निर्देश समय के बराबर है। साल 2005 में जारी पिछले NCF (National Curriculum Framework- NCF) ने स्कूलों को शैक्षणिक वर्ष का टाइम-टेबल बनाने में छूट दी थी। एनसीएफ ने इस बात को महत्व दिया था कि स्कूलों का दिन छह घंटे का हो और कक्षाओं का समय कम से कम 45 मिनट का ही हो।
इसके विपरीत NCF का नया मसौदा (Draft Curriculum Proposes 5.5 Day Week for Schools) स्कूल के दिनों और शैक्षणिक वर्ष के लिए एक विशेष रूपरेखा मुहैया करता है। अब ये दस्तावेज जनता की टिप्पणियों के लिए खोला गया है। इस दस्तावेजों में दिए गए सुझाव के अनुसार शैक्षणिक वर्ष में शिक्षा के सभी चरणों में कम से कम 180 स्कूल दिन या 34 हफ्ते शामिल हों।
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नया NCF दस्तावेज 2005 की तुलना में अपने सुझावों में अधिक साफ है। कहा जाता है कि पुराने NCF मसौदे की आलोचनाओं में से एक वजह यह भी है कि यह बहुत ही बड़ा था और इसी वजह से राज्यों और शिक्षकों के लिए इसे अपनाना कठिन बना था।
नया NCF 2023 बनाने वाले एक्सपर्ट चाहते हैं कि अब नया NCF दस्तावेज शिक्षकों के लिए सीधे निर्देश के रूप में काम कर पाएं। इस नए दस्तावेज का मुख्य हेतु यह है कि शिक्षक बोर्ड के सिद्धांतों की व्याख्या करने की कोशिश करने के बजाय दस्तावेज से सीधे उदाहरणों और उपायों को अपनाएं। एनसीएफ एक ऐसा दस्तावेज है जो उन बदलावों का आधार तैयार किया जाता है, जिन्हें स्कूल के पाठ्यपुस्तकों में भी लाया जाएगा। जो (Draft Curriculum Proposes 5.5 Day Week for Schools) शिक्षा के पैटर्न और कक्षाओं में मूल्यांकन को भी कुछ हद तक प्रभावित करेगा।
एनसीएफ के मसौदे में बोर्ड की परीक्षा को लेकर भी सुझाव दिया गया है। दरअसल मसौदे में यह बात भी बताई गई है कि बोर्ड की परीक्षा को साल में दो बार आयोजित किया जाए। इसके अलावा कक्षा 12 की परीक्षा के लिए एक सेमेस्टर प्रणाली को अमल में लाया जाए और छात्रों को साइंस और मानविकी के मिश्रण को आगे बढ़ाने की भी छूट दी जाए, जिससे स्कूल बोर्डों में कक्षा 11 और 12 में कला, वाणिज्य और विज्ञान की सख्त सीमाओं को दूर करना मुमकिन हो पाए।