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National Medical Commission ने भारत में इंटर्नशिप पूरा करने की दी इजाजत, यूक्रेन से लौटे एमबीबीएस छात्रों के लिए अच्छी खबर

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National Medical Commission यूक्रेन से लौटे एमबीबीएस छात्रों के लिए अच्छी खबर

National Medical Commission: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण ही मेडिकल स्टूडेंट को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत लौटना पड़ा है। इनको अपने भविष्य की चिंता सता रही थी। इसे लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है। एनएमसी यानी कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) ने इन्हें भारत में Internship करने की परमिशन दे दी है। एनएमसी ने इस संबंध में 4 मार्च को सर्कुलर जारी किया है। इस Permission से उन Medical student की टेंशन दूर हो जाएगी जो युद्ध के चलते 12 महीने की अनिवार्य Internship करने से वंचित हो रहे थे। यह सर्कुलर एनएमसी की वेबसाइट nmc.org.in पर देखा जा सकता है

National Medical Commission दरअसल स्टूडेंट से यह कहा गया है कि अगर एफएमजीई (स्टूडेंट फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट) एक्जाम पास कर लेते हैं तो उन्हें भी भारत में रहकर ही अपनी अधूरी रही मेडिकल की पढ़ाई को पूरा करने का मौका मिलेगा। FMGE को Next Exam के रूप में जाना जाता है। Medical Students को Post Graduation करने में सक्षम होने तथा भारत में मेडिसिन की प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की योग्य बनाने के लिए पास करना जरूरी होता है। आयोग ने ये भी कहा है कि Internship की परमिशन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।

इसके साथ ही FMGE के लिए वजीफा तथा अन्य सुविधाएं भारतीय चिकित्सा स्नातकों को मिलने वाली राशि के अनुसार ही होगी।

ऑपरेशन गंगा यूक्रेन से छात्रों को लाने के लिए चलाया जा रहा

National Medical Commission बता दें कि यूक्रेन से भारतीय छात्रों और नागरिकों को वापस लाने के लिए ऑपरेशन गंगा चलाया जा रहा है। हालांकि केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने ट्वीट किया कि यूक्रेन से अभी तक 11000 भारतीयों को निकाला गया है।

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यूक्रेन पढ़ाई का खर्चा कम होने से जाते थे

दरअसल दुनिया की अधिकतर निजी कॉलेज में मेडिकल पढ़ाई का खर्च बहुत अधिक होता है। भारत में जहां मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए किसी निजी कॉलेज की फीस एक करोड रुपए तक भी होती है। तो वहीं पर अमेरिका में 8 करोड़, न्यूजीलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया में भी चार करोड़ का खर्च एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए आता ही है। जबकि यूक्रेन में डॉक्टर की डिग्री मात्र 25 लाख रुपए में ही मिल जाती है।

दूसरी वजह यह भी है कि भारत में अभी एमबीबीएस की लगभग 88,000 सीटें हैं। जिसमें से करीब 8 लाख से अधिक उम्मीदवार बैठते हैं। यानी कि लगभग 7 लाख से अधिक परीक्षार्थियों का डॉक्टर बनने का सपना प्रति वर्ष अधूरा रह जाता है। ऐसे में ही छात्र यूक्रेन जाकर मेडिकल की पढ़ाई करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई तुलनात्मक रूप से काफी बेहतर भी बताई जाती है। यूक्रेन से हर साल दुनियाभर के लाखों लोग मेडिकल की डिग्री लेकर निकलते हैं।

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