Mushroom Girl: कहते हैं हौसलों में अगर जान हो तो कामयाबी का आसमान कितना भी दूर और ऊंचा क्यों न हो एक न एक दिन हम उसे पाकर ही रहते हैं । उत्तराखंड की एक लड़की ने न सिर्फ इसे सच कर दिखाया है बल्कि आज वह न जाने कितने लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी है । हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के देहरादून स्थित मोथरोवाला गांव की रहने वाली दिव्या रावत की । उत्तराखंड जैसे राज्य में जहां प्राकृतिक आपदाओं के चलते और जीविका के साधन कम होने की वजह से पलायन एक आम बात है वहां दिव्या रावत जैसे लोग एक नई उम्मीद जगाते हैं ।
किसी के भी लिए बड़ी डिग्रियां हासिल कर और 10 वर्ष पहले की 25 हजार की नौकरी छोड़कर वापस गांव आ जाना और वहां से अपना स्टार्टअप शुरू करना आसान नहीं होता और फिर बात अगर लड़कियों की हो तब तो यह और भी मुश्किल होता है । लेकिन इसे मशरूम गर्ल दिव्या ने न सिर्फ सम्भव कर दिखाया है बल्कि उन्होंने अपने राज्य के लोगों को रोजगार भी मुहैया करवाया है ।
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उत्तराखंड के एक गांव में आर्मी अफसर के घर जन्मी दिव्या रावत ने अपनी मेहनत से मुकाम हासिल किया है । जब वह 12वीं में थीं तब उनके पिता का देहांत हो गया ऐसे में दिव्या को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा । उन्होंने इन्ही मुश्किलों के बीच पढ़ाई जारी रखी और इंटरमीडिएट के बाद नोएडा के एमिटी यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ सोशल वर्क(BS W) और मास्टर ऑफ सोशल वर्क( MSW) की डिग्री प्राप्त की ।
उन्होंने इसके बाद एक प्राइवेट कम्पनी में 25 हजार प्रति महीने की जॉब कर ली । दिव्या ने नौकरी भले ही जॉइन कर ली लेकिन उनके मन मे कहीं न कहीं एक असंतुष्टि का भाव था । वह चाहती थीं कि अपनी मिट्टी, अपने राज्य के लिए कुछ करें ।
खैर, 8 नौकरिया बदलने के बाद आखिर 2011-12 में दिव्या नौकरी छोड़ अपने गांव मोथरोवाला आ गईं और यहीं पर कुछ ऐसा करने का प्लान बनाने लगीं जिससे उनकी आय भी हो साथ ही आसपास के लोगों को भी रोजगार मिल सके । दिव्या ने इसी सोच के साथ मशरूम की खेती करने का विचार किया और इसकी खेती करने के तरीके सीखने लगीं ।
2013 में आई उत्तराखंड की बाढ़ और उसके बाद लोगों के पलायन ने दिव्या को सोचने पर मजबूर कर दिया । वह कुछ हजार रुपयों के लिए राज्य के लोगों को दिल्ली, मुंबई जाते हुए देखतीं तो उनके मन मे विचार आता कि यदि यहीं पर रोजगार इन्हें मिल जाये तो लोग अपना घर, गांव,मिट्टी छोड़कर बाहर क्यों जाएं । दिव्या ने इसी सोच के साथ मशरूम की खेती करने का निश्चय किया । उन्होंने खेती के लिए मशरूम को ही क्यों चुना इसका जवाब देते हुए दिव्या कहती हैं कि मशरूम की खेती पूरे साल की जा सकती है साथ ही यह महंगा भी बिकता है ।
Mushroom Girl दिव्या ने मशरूम उत्पादन के लिए शुरुआती समय मे गांव मोथरोवाला स्थित अपने घर को ही चुना । लेकिन बाद में 2016 में आय बढ़ने के बाद उन्होंने खुद का एक लैब बनवाया और उसमें मशरूम की कई प्रजातियों के उत्पादन हेतु रिसर्च करने लगीं । दिव्या बताती हैं कि शुरू में बहुत दिक्कतें आईं । सबसे मुश्किल था लोगों को समझाना और उन्हें इसके लिए तैयार करना। हालांकि धीरे धीरे लोगों में जागरूकता आने लगी ।
दिव्या ने 3 लाख रुपये लगाकर देहरादून में सौम्य फ़ूड प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की । वह अब तक बटन, ऑयस्टर,मिल्की मशरूम के अलावा कार्डिसेफ मिलिटरीज जैसा मशरूम भी उगाती हैं जिसकी बाजार में कीमत 3 लाख रुपये प्रति किलो है ।
Mushroom Girl दिव्या बताती हैं कि शुरुआती सालों में मशरूम की पैदावार कम होने की वजह से टर्नओवर ज्यादा नहीं हो पाता था । उन्होंने बताया कि शुरुआत में हर साल लगभग 4 हजार किलो मशरूम बेचती थीं लेकिन बाद में पैदावार अधिक होने से हालिया सालों में करीब 1.2 लाख किलो मशरूम वह बेच रही हैं । जहां शुरुआती सालों में कम्पनी का सालाना टर्नओवर 1 करोड़ तक पहुंच पाता था वहीं अब 5 करोड़ से अधिक का टर्नओवर कम्पनी का हो जाता है ।
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उत्तराखंड सरकार द्वारा दिव्या रावत को साल 2016 में राज्य का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया गया था वहीं उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए 2016 में ही तत्कालीन राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । बता दें कि दिव्या मशरूम की खेती कर राज्य में युवाओं और महिलाओं को प्रेरित करने के लिए उन्हें उत्तराखंड में मशरूम गर्ल के नाम से जाना जाता है । यही नहीं उनसे देश के अलग अलग हिस्सों से करीब 7 हजार किसान जुड़े हुए हैं ।
वह अपनी कम्पनी द्वारा उत्पादन किये गए मशरूम से 70 प्रकार के उत्पादों का व्यापार करती हैं । उनके मशरूम से बने उत्पाद ऑनलाइन माध्यम जैसे अमेजन आदि से भी खरीदे जा सकते हैं ।