MP Journalist News: मध्यप्रदेश के सीधी जिले में स्थानीय विधायक के खिलाफ रिपोर्टिंग करने के आरोप में पत्रकारों और रंगकर्मियों संग पुलिस द्वारा किये गए अमानवीय व्यवहार की एडिटर्स गिल्ड ने निंदा की है। एडिटर्स गिल्ड ने ग्रह मंत्रालय से इस मामले का संज्ञान लेने का अनुरोध किया है।गिल्ड ने एक प्रेस स्टेटमेंट द्वारा बयान जारी कर कहा है कि पत्रकारों और सिविल सोसायटी वर्कर्स संग हुई ज्यादती की वह निंदा करता है।उन्होंने गृह मंत्रालय से इस मामले का संज्ञान लेकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का अनुरोध किया है।
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पिछले सप्ताह यानी 2 अप्रैल को सीधी पुलिस ने एक पत्रकार और कुछ नाट्यकर्मियों को स्थानीय विधायक को सोशल मीडिया पर बदनाम करने के आरोप में जेल में बंद कर दिया था।आरोप है कि इन्द्रावती नाट्य समिति प्रमुख नीरज कुंदेर एक छद्म नाम से फेसबुक id बनाकर स्थानीय बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला और उनके बेटे के खिलाफ अपशब्द लिखकर उन्हें बदनाम कर रहा था। विधायक द्वारा की गई शिकायत पर पुलिस नाट्य समिति चलाने वाले नीरज कुंदेर को उठा ले गयी थी जिसके विरोध में साथ काम करने वाले नाट्य कर्मी थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
MP Journalist News वहीं एक स्थानीय पत्रकार और विंध्य tv नामक यू ट्यूब चैनल चलाने वाले कनिष्क तिवारी मामले को कवर करने आ पहुंचे।आरोप है कि पुलिस ने इन सभी को पकड़कर लॉक अप में बंद कर दिया और तलाशी लेने के बहाने इनके सारे कपड़े उतरवा दिए गए।आरोप है कि पत्रकार सहित नाट्य कर्मियों की पुलिस ने पिटाई भी की।इस घटना के बाद से ही पत्रकार और नाट्य कर्मियों की नग्न तस्वीरें सोशल मीडिया पर घूम रही हैं।
MP Journalist News पत्रकार और नाट्य कर्मियों पर पुलिस के इस अमानवीय व्यवहार की हर तरफ आलोचना की जा रही है। आरोप है कि पुलिस ने स्थानीय विधायक के कहने पर पत्रकार एवं अन्य के साथ ऐसा व्यवहार किया।सोशल मीडिया पर यह मुद्दा हाईलाइट होते ही चर्चा का विषय बना हुआ है।हर तरफ इसी बात की चर्चा है कि पुलिस द्वारा पत्रकार एवं अन्य का जुर्म क्या इतना बड़ा था कि उनकी अर्धनग्न फोटो सोशल मीडिया पर डाली जाएं।चारों ओर इस पर एक बहस छिड़ गई है और पुलिस का रवैये की हर तरफ निंदा की जा रही है।पुलिस की इस तरह की कार्यवाही पर निजता एवं मानवाधिकार की भी दुहाई दी जा रही है।
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SP मुकेश श्रीवास्तव से घटना के बारे में पूछे जाने पर कहा कि ,”मामला उनके संज्ञान में आया है।फ़ोटो वायरल नही होनी चाहिए थी।हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि किसने फ़ोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डालीं।”उन्होंने आगे कहा,”जब पुलिस किसी को हिरासत में लेती है तो उनकी पूरी तलाशी ली जाती है क्योंकि आरोपी छुपाई हुई किसी चीज से जेल में आत्मघाती कदम उठा सकते हैं। इसीलिए पुलिस आरोपियों की तलाशी लेती है यह सब सिस्टम का हिस्सा है। हाँ फ़ोटो कब और किसने वायरल की इसकी जांच हम कर रहे हैं। “SP मुकेश श्रीवास्तव ने आगे कहा कि पुलिस इस बात का ध्यान रखती है कि पुलिस अभिरक्षा में किसी के आत्मसम्मान को ठेस नहीं पहुंचे।”
पत्रकार कनिष्क तिवारी और नाट्य समिति के कर्मियों की अर्धनग्न फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद एडिटर्स गिल्ड के अलावा मानवाधिकार आयोग भी इस मामले का संज्ञान ले सकता है। सूत्रों के मुताबिक सीधी पुलिस पर इस मामले में कार्यवाही हो सकती है।