Madras High Court Judgement: कार्यालय में बैठकर कार्य करने के दौरान ही अपने मोबाइल फोन से निजी काम करने वाले सरकारी कर्मियों की नौकरी अब खतरे में भी पड़ सकती है। बता दें कि मद्रास हाई कोर्ट ने मंगलवार को यह कहा है कि सरकारी कर्मियों को कार्यालय समय के दौरान ही निजी उपयोग के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
इस पोस्ट में
Madras High Court के न्यायमूर्ति एमएस सुब्रमण्यम ने तमिलनाडु सरकार को इसके संबंध में नियम बनाने को कहा है। हालांकि कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से यह भी कहा कि वो राज्य में सारे सरकारी कर्मचारियों को कार्यालय समय के दौरान ही निजी उपयोग के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दे। सिर्फ इतना ही नहीं कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से नियम बनाने के लिए भी कहा है।
Madras High Court की बेंच ने एक सरकारी कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान ही अपने आदेश में यह कहा कि जो भी इन नियमों का पालन नहीं करेगा। उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का निर्देश दिया जाए। दरअसल याचिका स्वास्थ्य विभाग की महिला कर्मचारी ने लगाई थी। यह बताया गया कि इन कर्मचारियों को ऑफिस में काम के दौरान ही मोबाइल का उपयोग करते हुए पाया गया था। इसके बाद से इन कर्मचारियों को विभाग से निलंबित भी कर दिया गया था। इसके खिलाफ ही उन्होंने कोर्ट में याचिका लगाते हुए यह मांग की थी कि उनका निलंबन आदेश रद्द कर दिया जाए।
फिलहाल याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश एसएम सुब्रह्मण्यम ने मामले को पूरा विस्तार में जाने से ही मना कर दिया तथा यह कहा कि ऑफिस में यह बात इन दिनों काफी आम हो गई है। हालांकि सरकारी कर्मचारी दफ्तर के काम के दौरान ही निजी काम के लिए मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं। जो कि अच्छा चलन नहीं है। सरकारी कर्मचारियों को इसकी इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। साथ ही कोर्ट ने याचिका लगाने वाली महिला कर्मचारी को राहत देने से भी इनकार कर दिया।
भारत भ्रमण पर निकले है साइकिल बाबा ये क्या रखे है बैग में…?
बिना आरटीओ जाए और बिना टेस्ट दिए ऑनलाइन बनवा सकेंगे लर्नर्स लाइसेंस..
Madras High Court ने ये कहा है कि जो भी इन नियमों का पालन नहीं करेगा, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई इमरजेंसी कॉल है तो इसके लिए आपको अपने वरिष्ठ से अनुमति लेकर ही दफ्तर से बाहर जाना चाहिए। सारे परिस्थितियों में मोबाइल फोन को या तो बंद कर दिया जाना चाहिए या फिर वाइब्रेशन या साइलेंट मोड पर रखा जाना चाहिए। ये नियम सरकारी दफ्तर में काम करने वाले सारे कर्मचारी तथा अधिकारियों पर लागू होना चाहिए।
आपको बता दें कि क्षेत्रीय कार्यालय तिरुचिरापल्ली मैं अधीक्षक के रूप में काम कर रहे एक व्यक्ति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ही अदालत ने उसे ये टिप्पणी की। इस कर्मचारी को बार-बार चेतावनी के बावजूद भी सहयोगीयों के वीडियो शूट करने के लिए भी निलंबित कर दिया गया था।