Madhya Pradesh: भारत में पारम्परिक रूप से हो रही खेती लंबे समय से प्रचलन में है किंतु अब बढ़ती जागरूकता और तकनीक के सहारे किसान गैर पारम्परिक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं । इतना ही नहीं बहुत से किसान गैर पारम्परिक खेती कर अच्छा मुनाफा तो कमा ही रहे हैं बल्कि देश विदेश तक अपना नाम भी रोशन कर रहे हैं । इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के बड़वानी जिला के किसान अरविंद जाट का नाम आता है । अरविंद ने कई दशक पहले पारम्परिक खेती छोड़ करीब 6 एकड़ में केले की फसल उगानी शुरू की थी ।
आज की स्थिति ये है कि अरविंद फसल की लागत से 3 गुना अधिक मुनाफा कमा रहे हैं । इतना ही नहीं अब अरविंद अपने पेशे में इतना कुशल हो गए हैं कि केले की खेती में भी खूब प्रयोग करते हैं । करीब 37 साल से केले उगा रहे अरविंद ने अब ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिससे आम आदमी से लेकर कृषि वैज्ञानिक तक हैरान हैं ।
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बड़वानी जिले के बगूद गांव के रहने वाले अरविंद जाट ने करीब सवा 6 एकड़ जमीन में केले की फसल उगा रखी है। केले की फसल उगाने वाले अरविंद को इतना अनुभव हो गया है कि अब वह इसमें प्रयोग करने से भी नहीं चूकते। इसी के तहत अब उनकी मेहनत भी रंग ला रही है । अरविंद की वजह से बड़वानी का केला देश ही नहीं विदेश में भी नाम कमा रहा है । वजह है केले की लंबाई। अरविंद ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिसे देखकर कृषि वैज्ञानिक भी हैरान हैं ।
बगूद गांव के रहने वाले अरविंद ने खेतों में 13 इंच लम्बा केला उगाया है। यह अपने आप मे एक अजूबा तो है ही साथ ही भारत मे केले की फसल उगाने वाले किसानों के लिए एक उम्मीद की रोशनी भी है ।
तलून स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डी के जैन ने बताया कि अमूमन एक सामान्य केले की लंबाई 8 से 9 इंच तक होती है । इस जिले में भी इतनी लम्बाई का केला उगने की सूचना पहली बार मिली है । उद्यानिकी विभाग के डीके जैन ने कहा कि 13 इंच और करीब 250 ग्राम वजन का यह केला सामान्य से अधिक है। अभी तक इस लम्बाई का केला जिले में किसी किसान को उगाते नही देखा गया है ।
बड़वानी जिले के केले की डिमांड दिल्ली स्थित अम्बानी की रिलायंस कम्पनी से लेकर ईरान इराक तक है। अरविंद जानकारी देते हुए कहते हैं कि अभी पिछले सप्ताह दिल्ली से अम्बानी की कम्पनी वाले आये थे । उन्होंने आगे बताया कि रिलायंस के कर्मचारी खेत से ही केला खरीद कर ले गए हैं । वहीं 19 मई को ईरान इराक में करीब 10-12 टन केले की फसल भेजी गई है ।
अरविंद बताते हैं कि वह करीब 3 दशकों से केले की खेती कर रहे हैं । करीब सवा 6 एकड़ में केले की फसल तैयार करने वाले अरविंद बताते हैं कि उन्हें केला उगाते हुए इतना अनुभव हो गया है कि कब,कितनी और किस प्रकार की खाद डालनी है उसका अंदाजा उन्हें अच्छे से हो गया है । इसी अनुभव से वह केले की खेती कर रहे हैं और नतीजा सबके सामने है । इसी अनुभव से वह बेहतरीन क्वालिटी का केला उगा रहे हैं
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जिसकी डिमांड देश ही नहीं विदेशों में भी खूब हो रही है । उन्होंने बताया कि केले की फसल करते हुए जितनी लागत आती है उससे करीब 3 गुना उपज का मूल्य उन्हें मिल जाता है ।
Madhya Pradesh के बड़वानी जिले के रहने वाले अरविंद बताते हैं कि देश मे केले को अच्छा मूल्य नहीं मिलता है । यहां आसपास की कम्पनियां करीब 7 रुपये/ किलो में केला खरीदती हैं । यही नहीं केले का वेस्टेज भी वह खेत पर ही छोड़ जाते हैं । जबकि विदेशों से आईं कम्पनियां करीब 15.50 रुपये/ किलो के हिसाब से केला खरीदती हैं। इतना ही नहीं वह केलों की खरपतवार और वेस्टेज भी साथ ले जाते हैं। अरविंद बताते हैं कि देश से अधिक उन्हें विदेशों में केले की सप्लाई करते हुए मुनाफा होता है ।