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Last Indian Village: क्या आपको पता है भारत के इस आखिरी गांव के बारे में? जहां पर स्वर्ग जाने के लिए भीम ने किया था पुल का निर्माण

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Last Indian Village: यूं कहें तो भारत में लाखों गांव हैं। लेकिन कभी तो आपके मन में यह जानने की भी उत्सुकता हुई होगी कि आखिरकार भारत का आखिरी गांव (Last Village of India) कहां है ? आप अगर जानना चाहते हैं, तो इसके बारे में हम आपको बताते हैं। भारत का आखिरी गांव उत्तराखंड में एक ऐसी जगह पर है। जहां कभी भी आप घूमने जा सकते हैं। जब कभी भी आप ‘बद्रीनाथ’ भगवान के दर्शन के लिए जाएं‌। तो बस वहां से आपको तीन किमी ऊंचाई पर और जाना है।

Last Indian Village

बद्रीनाथ से तीन किमी की ऊंचाई पर माणा गांव स्थित है। माणा गांव ही भारत का आखिरी गांव है। कहा यह जाता है कि इस गांव का नाता महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। तो आइए हम आपको बताते हैं भारत के आखिरी गांव से जुड़ी रोचक बातें..।

Last Indian Village

इस गांव से होते हुए पांडव स्वर्ग गए थे

यह माना जाता है कि पांडवों ने स्वर्ग जाने के लिए यही रास्ता चुना था। स्वर्ग जाते वक्त जब पांडव माणा गांव पहुंचे तो यहां बहने वाली सरस्वती नदी से पांडवों ने रास्ता मांगा। रास्ता न मिलने पर भीम ने दो बड़ी शिलायें उठाकर नदी के ऊपर रखीं एवं पुल का निर्माण कर दिया। इस पुल के रास्ते वह नदी को पार करते हुए आगे बढ़े। आज भी उस स्थान पर सरस्वती नदी बहती है जो आगे जाकर अलकनंदा से मिल जाती है। नदी पर आज भी शिलाओं का वो पुल बना हुआ है।

हालांकि इस पुल को “भीमपुल” के नाम से जाना जाता है। आप भी अगर इस गांव में जाते हैं तो भीम पुल के अलावा भी आपको हर जगह से विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी के भी दर्शन करने का मौका मिलेगा।

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भारत की आखिरी दुकान यहां मौजूद है

Last Indian Village Last Indian Village

बता दें कि माणा गांव में ही आपको देश की आखिरी दुकान मिल जाएगी। इस दुकान पर बड़े-बड़े अक्षरों में यह लिखा हुआ है “हिंदुस्तान की आखिरी दुकान” ये चाय की दुकान है। इस क्षेत्र में घूमने आने वाले पर्यटक भी इस दुकान की चाय जरूर पीते हैं एवं इसके सामने तस्वीर भी खिंचवाते हैं। इस क्षेत्र से कुछ ही दूरी पर चीन की सीमा भी शुरू हो जाती है। इस क्षेत्र में आपको तमाम सैनिक गश्त करते हुए भी मिल जाएंगे।

गांव 400 लोगों की आबादी में है

Last Indian Village, इस गांव में लगभग 60 मकान हैं तथा 400 लोगों की आबादी यहां पर रहती है। अधिकातर घर लकड़ी से बने हैं। यह कहा जाता है कि यह मकान भूकंप के झटकों को आसानी से झेल लेते हैं। इन मकानों में ऊपरी मंजिल पर लोग रहते हैं तथा नीचे पशु। गांव में लगभग हर घर में चावल से शराब तैयार की जाती है। यह यहां का पसंदीदा पेय है। इसके अलावा भी इस गांव में ऐसी तमाम जड़ीबूटियां हैं, जो सेहत के लिहाज से बहुत ही अच्छी मानी जाती हैं।

इन सबके अलावा भी यहां पर गणेश गुफा, व्यास गुफा भी देखने लायक है। यह कहा जाता है कि इस गुफा में बैठकर ही गणपति ने महाभारत लिखी थी। बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद से यहां लोगों की आवाजाही बिल्कुल बंद सी हो जाती है‌।

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