Kids Care: जैसे जैसे हम विकास की ऊंचाइयों को छू रहे हैं उसी क्रम में हमारे आस-पास अनेकों अव्यवस्थायें भी उत्पन्न होती जा रही हैं।स्वास्थ्य का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है।बता दें की एक शोध में यह पता चला है कि बच्चों में हृदय और मधुमेह जैसे रोग बड़ी तेजी से फैल रहे हैं। ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि इसकी वजह क्या है और इसकी रोकथाम कैसे की जा सकती है। अतः आज हम इस गंभीर विषय पर विस्तार से बात करेंगे….
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अगर आप शहरी क्षेत्रों में बच्चों को देखेंगे तो आप पायेंगे कि बच्चे अपनी उम्र से अधिक मोटे होते है। इससे उलट जब आप ग्रामीण क्षेत्र में नजर दौड़ायेंगे तो आप पायेंगे कि कुछ बच्चे उम्र से अधिक दुबले पतले और हल्के हैं। ऐसे बच्चे शहरों में भी हैं पर गाँवो की अपेक्षा उसकी संख्या थोड़ा कम है। इन दुबले पतले और कम वजन वाले बच्चों का कम वजन ही इनकी बीमारी की सबसे बड़ी वजह बनता जा रहा है। अतः समय रहते इस विषय पर गौर करने की जरूरत है कि बच्चों में कम वजन को संतुलित करने हेतु आहार प्रणाली किस प्रकार विकसित की जाये।
कम वजन की वजह से बच्चों को कई तरह की बीमारियो का शिकार होना पड़ रहा है। बता दें कि बच्चे उच्च रक्तचाप,कोर्डिया मेटाबॉलिक जैसे जोख़िम की ओर बढ़ रहे हैं। जो इन्हें कॉर्डियावैस्कुलर,मधुमेह ,मोटापा इत्यादि से परेशान कर सकता है और आज बड़े पैमाने पर बच्चे इससे प्रभावित भीज्ञहो रहे हैं।
शोध के मुताबिक कम वजन के चलते उत्पन्न होने वाली विभिन्न बीमारियों से पाँच वर्ष से लेकर 19 वर्ष तक के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं! अतः इस उम्र के बच्चों का ख़ास ध्यान रखने की जरूरत है।इस दिशा में समय रहते प्रयास शुरू कर देने चाहिये। ताकि बड़े संकट के आने से पहले ही उसका निवारण हो सके।
आपको यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि कम वजन से पीड़ित बच्चों को होने वाली हृदय अथवा मधुमेह जैसी बीमारियों के कारण आज हर दूसरा बच्चा पीड़ित है।यह आंकड़ा कितना खतरनाक है यह आप गम्भीरता से विचार करें क्योंकि बच्चे ही हमारा आनेवाला भविष्य हैं और जब भविष्य ही खतरे में होगा तो अन्य सब की बात ही नहीं हो सकेगी।
इसी कड़ी में हम सभी को यह भी समझ लेना होगा कि यह भारत के लिये चिंता का विषय क्यों है। आपको बता दें कि भारत में दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा सर्वाधिक युवा हैं। यह वही युवा हैं जो कुछ समय पहले बच्चे थे। जब बचपन मे ही यह उक्त बीमारियों से ग्रसित हो जायेंगे तो इनके यौवन की शक्ति क्षीण हो जाना लाज़मी है और इसका सीधा असर भारत के मानव संसाधन पर पड़ेगा। अतः भारत के लिये यह गम्भीर चिंता का विषय है।
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Kids Care, नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के अनुसार भारत में बाल स्वास्थ्य पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। अन्यथा देश मे 2030 से 2040 तक बीमारियों का भार और भी अधिक बढ़ सकता है। बता दें कि चिकित्सीय अध्ययन बताते हैं कि 20 से 25 साल के बाद भारत मे प्रति परिवार बीमारियों पर सालाना खर्च 50 से 60 गुना बढ़ जायेगा। इस प्रकार आप देख सकते है की यह एक बड़ी समस्या है जो लगातार बच्चों के भविष्य को निगल रही है।
Kids Care, आज पर्यावरण इतना दूषित हो चुका है कि हम खुलकर सांस भी नहीं ले पा रहे है। ऐसे में हम अन्य चीजों की कल्पना ही क्या करें लेकिन बाल स्वास्थ्य को सुधारने का एक मार्ग यही है कि वातावरण शुद्ध हो और आहार पौष्टिक हो। यह आज के समय मे बहुत ही बड़ी चुनौती है। किंतु, याद रहे कि चुनौती के साथ ही यह अंतिम विकल्प भी है। अतः आप सभी को इस विषय पर ध्यान देने की जरूरत है और अपने बच्चों के और राष्ट्र के भविष्य को बचाने हेतु प्रयास करने की जरूरत है।