khuntkatti law: क्या है खुंटकट्टी कानून जिसके तहत व्यक्ति को जिंदा जला दिया

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खुद के गांव के व्यक्ति को पुलिस की मौजूदगी में जिंदा जलाया

khuntkatti law के तहत अपने ही बीच के व्यक्ति को जिंदा जलाया

khuntkatti law: यह मामला झारखंड के सिमडेगा बेशराजारा बाजारटांड़ गांव का है। जहां बताया जा रहा है कि उसी गांव के एक व्यक्ति को ग्रामीणों ने पीटा और फिर उस व्यक्ति को जिंदा जला दिया। बताया जा रहा है कि उस व्यक्ति को ग्राम पंचायत ने कई बार चेताया कि पेड़ मत काटो लेकिन ग्राम पंचायत के बार-बार मना करने पर भी वह व्यक्ति नहीं माना और उसने वही काम किया जिसके लिए ग्राम पंचायत ने मना किया था। तो उस व्यक्ति को सबक सिखाने के लिए ग्रामीणों ने पुलिस की मौजूदगी में जिंदा जला दिया। ग्रामीणों का कहना है कि मरने वाले व्यक्ति ने khuntkatti law का उल्लंघन किया है। इसलिए उसे जिंदा जला  कर सजा दी है।

आखिर क्या है khuntkatti law

khuntkatti law या खुंटकट्टी कानून किसी भूमि पर आदिवासियों का संयुक्त स्वामित्व है। जैसे कि किसी भूमि को खेती लायक बनाने के लिए आदिवासियों के संयुक्त लोगों द्वारा जंगलों की सफाई करके उस भूमि को प्राप्त करना है। इसमें किसी एक व्यक्ति विशेष का अधिकार नहीं होता है बल्कि पूरे आदिवासियों का संयुक्त अधिकार होता है। यह संयुक्त  कार्य कर के संयुक्त स्वामित्व होना इनका कानून है और यदि कोई इस कानून का उल्लंघन करता है तो उसे चेतावनी दी जाती है और फिर भी व्यक्ति नहीं मानता है तो क्षेत्रीय संविधान के हिसाब से ग्रामसभा व्यक्ति को सजा देती है।

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ग्राम सभा ने व्यक्ति को सबक सिखाने के लिए दे दी सजा khuntkatti law

कैसे बना khuntkatti law

अंग्रेजों और बाहरी जमींदारों के आगमन के साथ इस प्रणाली को 1874 तक जमीदारी प्रणाली से बदल दिया गया था । यहां आदिवासियों के बीच कर्ज और जबरन मजदूरी का कारण बना। रण आत्मक ऋणग्रस्तता के परिणामस्वरूप बिरसा मुंडा के नेतृत्व में मुंडा आदिवासी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह करना शुरू कर दिया था । बिरसा मुंडा आंदोलन ने उनकी समस्याओं के प्रति सरकार के रवैए को जमीनी स्तर पर प्रभावित किया । इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने 1902 और 1910 के दौरान उनके लिए सर्वेक्षण और बंदोबस्त संचालन किया और अंत में सरकार ने अनिवार्य बेगार प्रणाली को समाप्त करने का निर्णय लिया और 1903 का काश्तकार अधिनियम पारित किया। 1903 के काश्तकारी अधिनियम ने मुंडारी खुंटकट्टी प्रणाली को मान्यता दी। सरकार ने 1908 में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम पारित किया।  झारखंड में वन  अधिकारों को लेकर  झारखंड का आदम भूमि व्यवस्था khuntkatti law का पुरातन अवशेष जो अब पुराने रांची तक सीमित रह गया है ।

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