कश्मीर के गांदेरबल जिले में हरमुख हसीन पहाड़ियों के दामन में बसा एक खूबसूरत गांव बाबावाईल है। जो अपने अनुशासन और कड़े नियम कानून के लिए पूरी कश्मीर में जाना जाता है। आप भी हैरान रह जाएंगे इस गांव के नियम सुनकर। इस गांव में तो शादियों में दहेज लेना व देना दोनों ही अपराध माना जाता है। और तो और शादी में लड़की वालों को एक रुपया भी खर्च नहीं करना पड़ता है। उल्टा यहां लड़की के घरवाले लड़की वालों को शादी में होने वाले खर्च, दुल्हन के कपड़े और चाय पानी के इंतजाम के लिए पैसे देते हैं। यहां पर बड़ा घर के नाम से मशहूर 1500 की आबादी वाले इस गांव में नो डावरी का नियम पिछले 30 वर्षों से सख्ती से लागू है। यही वजह है कि इतने वर्षों से इस गांव में एक भी घरेलू हिंसा की घटना नहीं हुई।
इस पोस्ट में
सरपंच अल्ताफ का कहना है कि सन् 1990 तक इस गांव में भी आम रीति-रिवाज रिवाज के साथ शादियां कराई जाती थी। लड़की के मायके वाले उसे पूरा दहेज के साथ ससुराल भेजते थे। लेकिन साल 1991 में यहां घरेलू हिंसा का एक मामला सामने आया। पड़ोस के गांव की एक लड़की की शादी हमारे गांव के एक युवक के साथ हुई। पति ने अपनी पत्नी से मायके से कुछ पैसे मांगने को कहा, ताकि वो पैसे अपने कारोबार में लगा सकें। लेकिन पत्नी ने मना कर दिया। उसके बाद से उसने एक दिन अपनी पत्नी की बेरहमी से पिटाई कर दी। लड़की के मायके वालों ने उस पर घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करवाया। मामला अदालत तक पहुंच गया। तथा तकरीबन डेढ़ साल तक लटका रहा। और इस मामले ने गांव का नाम खराब कर दिया।
गांव के बुजुर्गों ने पंचायत बुलाई तथा पीड़ित महिला के परिवार से बात कर मामले को अदालत से खारिज करवा दिया। उसके बाद पंचायत में लड़के ने अपनी पत्नी से माफी मांग ली। और दोनों परिवारों के बीच सुनह कर मामले को हल कर दिया गया था। तथा पति पत्नी दोनों राजी खुशी से एक दूसरे के साथ रहने को राजी हो गए। यह एक ऐसी घटना थी जिसने गांव वालों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी। और उसके बाद से पंचायत ने फैसला किया कि आज के बाद से गांव का कोई भी न दहेज लेगा और न देगा। अल्ताफ ने बताया कि एक लिखित दस्तावेज पर इस सिलसिले में सभी स्थानीय लोगों के हस्ताक्षर लिए गए हैं।
इस गांव में दहेज पर रोक नें न केवल लड़कियों की शादी आसान कर दी है। बल्कि इसने महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, अत्याचार व अपराधों को भी रोक दिया है। यहां के सरपंच अल्ताफ ने बताया कि बीते 30 बालों में महिलाओं पर अत्याचार का एक भी मामला सामने नहीं आया है।
यहां के स्थानीय लोगों ने दहेज न लेने की परंपरा को केवल अपने गांव तक ही सीमित नहीं रखा है। बल्कि “नो टू डावरी सिस्टम” के नाम से एक अभियान भी यहां के स्थानीय लोगों ने चला रखा है। जिसके अंतर्गत वो जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को विशेषकर युवाओं को प्रेरित करते हैं। हालांकि नजीर अहमद ने कहा कि हमारा ये अभियान रंग लाने वाला है। इससे पड़ोसी गांव के युवा भी जुड़ रहे हैं। वो इसके प्रति अन्य लोगों को जागरूक कर रहे हैं। रैना ने बताया कि हमारी यही कोशिश है कि दहेज लेने गया परंपरा पूरे कश्मीर में स्वेच्छा से लागू हो।