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यह खबर मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के जोवा गांव की है। यहां एक महिला आईएएस ऑफिसर की शादी बहुत चर्चा में है । शादी में दुल्हन तपस्या ने कन्यादान करवाने से मना कर दिया। हालांकि यह अच्छा कदम है। लोगों को इस कदम से सीख लेनी चाहिए कि लड़की कोई दान करने वाली वस्तु नहीं है। लेकिन कुछ लोग ट्विटर पर लिख रहे हैं कि कैसे-कैसे लोग IAS जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठ जाते हैं और प्रसिद्धि पाने के लिए उल्टा सीधा काम करते हैं। बताया जा रहा है कि तपस्या परिहार की शादी IFS गर्वित गंगवार से हुई और तपस्या ने पिता से पहले कह दिया था कि मैं इस रीति रिवाज को नहीं मानती । क्या मैं वस्तु हूं कि कन्यादान किया जाए । इसीलिए कन्यादान नहीं करवाया । वह बचपन से ही सोचती थी कि लोग कन्यादान कैसे करते हैं इसीलिए शादी से पहले अपने परिवार वालों से मना कर दिया था और गर्वित गंगवार के परिवार वालों से बात कर ली। परिवार वाले भी बात मान गए थे और बिना कन्यादान की शादी हो गई । तपस्या ने कहा दो परिवार आपस में मिलकर विवाह करते हैं तो फिर बड़ा- छोटा या ऊंचा नीचा ठीक नहीं । क्यों किसी का दान किया जाए। इस बात को सुनकर दोनों परिवार वाले खुश है। इस खबर को सामाजिक जागरूकता के तौर पर देखा जाना चाहिए। तपस्या और गर्वित गंगवार के परिवार वालों की तारीफ होनी चाहिए।
रीति-रिवाजों को अपडेट करते रहना चाहिए। जिस तरह पुराने जमाने में होता था कि लड़कियां पराया धन है। लड़कियों को पराया धन कहा जाता था और आज भी हमारे भारत में लड़कियों को पराया धन कहा जाता है। लेकिन आज की लड़की समझदार हो गई है कि वह धन नहीं है। वह जीती जागती इंसान है। उसे दान करना उसका अपमान है। आदि काल से चले आ रहे हैं रीति रिवाज परंपराएं समय के साथ मेल नहीं खा रही है तो उन्हें जबरन नहीं थोपना चाहिए। इसी प्रकार खतरनाक सती प्रथा थी जिसमें औरतों को जबरन पति कि चिता पर जला दिया जाता था। यह सरासर औरतों का अपमान औरतों की हत्या और औरतों पर अत्याचार था जिसे पेठा का चोला पहना दिया गया था लेकिन समय अनुसार इस सती प्रथा को बंद करवा दिया। हमारे भारत में ऐसे बहुत से रीति रिवाज पर था अभी मानी जाती हैं लेकिन उन्हें मारना नहीं चाहिए लेकिन समयानुसार धीरे-धीरे इन प्रथाओं को भी अपडेट किया जाएगा।
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