Jhansi: यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ के धार्मिक स्थलों से Loudspeaker उतारे जाने के अनुरोध का असर प्रदेश के कई जगहों पर भी दिखाई देने लगा है। झांसी में भी अलग-अलग धार्मिक स्थलों पर लगाए गए Loudspeaker उतारे गए। धार्मिक स्थलों के प्रबंधकों का यह कहना है कि अब वह ऐसे साउंड का उपयोग करेंगे जिससे आवाज परिसर के बाहर ना जा सके।
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Jhansi के बड़ागांव स्थित सुन्नी Jama Masjid Loudspeaker उतारे गए तो वहीं दूसरी तरफ श्री राम जानकी मंदिर बड़ागांव से भी प्रबंधकों ने Loudspeaker उतारे। मस्जिद के पेश इमाम हाफिज मोहम्मद ताज आलम ने यह बताया है कि हार्नों को उतारने के लिए भी कहा गया था। चूंकि हमने ऊपर का हार्न भी उतार लिया है तथा नीचे वाले हार्न काम करेंगे। मस्जिद के भीतर के हिस्से में ही आवाज रहेगी। आज बाहर नहीं जाएगी। हम यह चाहते हैं कि आपस का भाईचारा बना रहे।
Jhansi दरअसल मंदिर के महंत श्याम मोहन दास ने यह बताया कि आपस में भाईचारा सही रहे इसीलिए Loudspeaker हटाए गए हैं। इसको लेकर जो हिंसा तथा दंगा हो रहा है उसी को देखते हुए यह बड़ा कदम उठाया गया है। ताकि किसी को भी परेशानी न हो। इसी को देखते हुए भी Loudspeaker हटा दिए गए।
इससे पहले भी मथुरा में श्री कृष्ण जन्म स्थान पर Loudspeaker की आवाज कम कर दिए जाने के बाद से उससे सटे ईदगाह में पिछले शुक्रवार को नमाज के दौरान ही Loudspeaker नहीं बजाए गए। मुख्यमंत्री योगी द्वारा सारे धार्मिक स्थलों पर loudspeaker उसी परिसर में बजाए जाने के अनुरोध के बाद से ये कदम उठाया गया। पिछले शुक्रवार को नमाज के दौरान ही शाही मस्जिद ईदगाह में नमाजियों के बिना माई के ही नमाज पढ़ी गई।
बता दें कि इसी मामले में शाही ईदगाह मस्जिद के प्रबंधन कमेटी के सचिव तनवीर अहमद ने यह बताया है कि मस्जिद में तीन लाउडस्पीकर को हटा दिया गया तथा कम आवाज वाला केवल एक लाउडस्पीकर ही चालू है। उन्होंने यह भी कहा है कि ये सुनिश्चित किया गया है की मस्जिद में लगे लाउड स्पीकर की आवाज मस्जिद परिषद के बाहर ना जा सके। तनवीर अहमद ने इसे धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने वाला कदम बताते हुए यह कहा है कि ये सद्भाव को बढ़ावा देने की तरफ एक कदम है। जिसके लिए मथुरा जाना भी जाता है।
Ramjanki Nagar Temple के महंत श्याम मोहन दास का यह कहना है कि मंदिर में नियमित रूप से सुबह और शाम आरती तथा भजन कीर्तन हो रहे हैं। लेकिन अब loudspeaker का उपयोग नहीं किया जा रहा है। अब शांति के साथ ही सारे धार्मिक आयोजन भी किए जा रहे हैं।
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गौरतलब है कि अंग्रेजी हुकूमत को खोजने के लिए वर्ष 1857 के संग्राम में वीरांगना लक्ष्मीबाई की सेना ने जहां एक तरफ हर हर महादेव के उद्घोष गूंजते थे। तो वहीं पर दूसरी तरफ अल्लाह हू अकबर के नारे भी खूब होते थे। मजहब भी अलग-अलग थे लेकिन सभी का एक उद्देश्य झांसी को फिरंगीयो आजाद कराना था। झांसी तथा रानी के खातिर ही सैकड़ों हिंदू मुस्लिमों ने हंसते हंसते अपने प्राण त्याग दिए थे। प्रदाय की एकता तथा सद्भाव की इसी विरासत को झांसी आज भी सहेजे हुए हैं।
बता दे कि मंदिर में सुबह तथा शाम आरती के दौरान ही लाउडस्पीकर बसते थे। की मस्जिद में भी पांचों वक्त की नमाज के समय ही लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाता था। बीते कई दशकों से यहां ऐसा ही होता आ रहा है। धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है।