Indigo Airlines: नंदन कुमार नाम के एक पेसेंजर ने इंडिगो एयरलाइन्स की वेबसाइट ही हैक कर ली लेकिन उसने ऐसा जानबूझकर नहीं किया है यह सिर्फ अंजाने में हुआ है। दरअसल, नंदन का बैग और अन्य पेसेंजर का बेग बदल गया था, वह उस यात्री का नाम व एड्रेस सर्च कर रहा था। सर्फिंग के दौरान ही कुछ मिस्टेक हो जाने पर अनजाने में ही इंडिगो की वेबसाइट हैक हो गई। अब नंदन ने (IndiGo) एयरलाइंस को डेटा लीक की दिक्कत को ठीक करने की एडवाइस दी है। साथ ही अपनी बैग की वापसी के लिए जो संघर्ष करना पड़ा उसे भी बताया है।
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नंदन रविवार को इंडिगो की फ्लाइट 6E-185 से पटना से बंगलुरु ट्रैवेल कर रहे थे। इस सफ़र के दौरान ही उनका बैग अन्य यात्री से बदल गया। वैसे नंदन भी इसे दोनों की एक सामान्य भूल ही बता रहे हैं क्योंकि कुछ बारीक फर्क के अलावा दोनों बैग एक जैसे ही थे। अपने बैग एक्सचेंज की जानकारी नंदन को घर पहुंचने पर पता चली। नंदन की पत्नी ने बताया कि बैग किसी दूसरे का है क्योंकि उस पर की लॉक था। नंदन कहते हैं कि हम की लॉक यूज़ ही नहीं करते।
आगे की स्टोरी सांझा करते हुए नंदन लिखते हैं कि Indigo के IVR पर कई प्रयास और लंबे इन्तजार के बाद उनकी बात इंडिगो के कस्टमर केयर एजेंट से हुई। एजेंट ने नंदन की बात उस पैसेंजर से करवाने का प्रयत्न किया जिससे नंदन का बैग बदल चुका था लेकिन कोई भी फायदा नहीं हुआ।
अगले ट्वीट में नंदन लिखते हैं कि कहानी काफी लंबी है, लेकिन संक्षेप में कहुं तो प्रोब्लेम का कोई भी साॅल्युशन नहीं निकला। इंडिगो की कस्टमर केयर टीम ने प्राइवेसी और डेटा की सुरक्षा बताकर उस पेसेंजर के कॉन्टैक्ट डिटेल्स देने से भी साफ इन्कार कर दिया।
कॉल्स से कोई परिणाम नहीं मिला और एजेंट ने भरोसा दिलाया कि उनका दूसरे यात्री से संपर्क होने पर वो नंदन को कॉल करके इत्तिला दे देंगे। नंदन कहते हैं इसके बाद मैं कॉल आने का इन्तजार करते करते सो गया और सोचा कि अब सुबह ही कॉल करके देखेंगे।
अगले दिन यानी नंदन ने उस पेसेंजर की बैग पर लगे PNR टैग से Indigo की वेबसाइट पर उसका एड्रेस, मोबाइल नंबर वगैरह जांचने की कोशिश की थी। नंदन ने चेक-इन, एडिट, बुकिंग, और अपडेट जैसे तरीकों से खोजा लेकिन अबतक कोई पोजिटिव रिस्पांस नहीं मिला।
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व्यंग्यात्मक लहजे में नंदन ने आगे लिखा हैं कि फिर मेरे अंदर एक नैसर्गिक प्रेरणा जागृत हुई और मैंने अपने कंप्यूटर के कीबोर्ड पर F12 की प्रेस कर दी । ऐसा करते ही इंडिगो की वेबसाइट का डेवलपर कंसोल ओपन हो गया। कमाल ही है गया क्योंकि वहां नेटवर्क के लॉग रिकॉर्ड के साथ-साथ पूरा चेक-इन डेटा भी साफ नजर आ रहा था। उस नेटवर्क से जो रिजल्ट्स ओपन हुए उन्हीं में से एक में मेरे सहयात्री का फ़ोन नंबर और ईमेल आइडी था। ये मेरे लिए एक छोटे-मोटे हैकर जैसा ही एहसास था और साथ ही बैग वापस आने की उम्मीद की किरण भी। मैंने सारे ही डिटेल्स नोट कर लिए और उस व्यक्ति को फ़ोन किया।
सामने वाले व्यक्ति से नंदन का संपर्क हो गया और वो उनके घर से 6-7 किलोमीटर दूर ही रहते थे। दोनों सेंटर पॉइंट पर मिले और अपने बैग्स बदल लिए।
नंदन के लिए बैग्स की वापसी की कहानी बड़ी ही सुखान्त रही, लेकिन उन्होंने Indigo एयरलाइंस को तीन सुझाव दिए. है।
एक यह की वे अपना इंटेरैक्टिव वॉइस रेस्पॉन्स में सुधार करें और यूजर्स के लिए आसान बनाएं। अपनी कस्टमर केयर सर्विस को reactive के बजाय Active बनाएं। साथ ही आगे यह भी कहा कि आपकी वेबसाइट से डेटा लीक होता है, इसे भी ठीक करें।
इसके अलावा भी नंदन ने ऑन अ लाइटर नोट ये भी कहा है कि जब मैंने अपने को-पैसेंजर से पूछा कि क्या आपको इंडिगो कस्टमर केयर से कोई कॉल आई थी, तो उन्होंने इन्कार कर दिया। जबकि कस्टमर केयर एजेंट ने कहा था कि उसने तीन बार कॉल किया है।
नंदन के ट्वीट पर जवाब में आएशा नाम की यूजर ने भी अपना ऐसा ही एक एक्सपिरियंस शेयर किया हैं। आएशा का लैपटॉप बैग बदल गया था और जब उसने Indigo हेल्प डेस्क से अन्य पैसेंजर के बारे में पता करने के लिए कहा तो उन्होंने इन्कार कर दिया। आएशा को बदले हुए लैपटॉप बैग से TCS का आईकार्ड मिला था। उन्होंने TCS के इमरजेंसी नंबर पर कॉल करके उनकी एम्पलॉयी की गलती के बारे में बताते हुए बैग वापसी का प्रयत्न किया था।